प्रख्यात वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का 95 वर्ष की आयु में निधन

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प्रधानमंत्री ने कुलदीप नैयर के निधन पर दु:ख जताया

नई दिल्ली : प्रख्यात वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का बुधवार देर रात 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दशकों तक पत्रकारिता जगत के टिमटिमाता तारा विलुप्त हो गया. अपनी लेखनी से देश की नीतियों को प्रभावित करने करने वाले बेबाक कलमकार व कूटनीतिक मामलों के जानकार नैयर ने भारत सरकार में प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई वर्षों तक अपनी सेवा दी थी। उन्होंने अपनी पत्रकारिता  उर्दू रिपोर्टर के तौर पर शुरू की थी और समाचार पत्र द स्टैट्समैन के संपादक भी रहे। 1990 में उन्हें ब्रिटेन में भारत का उच्चायुक्त भी नियुक्त किया गया था। यही नहीं नैयर 25 वर्षों तक ‘द दाइम्स’ लंदन के भी संवाददाता रहे थे। नैयर ने राज्यसभा के मनोनीत सांसद के रूप में भी देश की सेवा की । प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने दिग्‍गज पत्रकार और राज्‍यसभा के पूर्व सदस्‍य कुलदीप नैयर के निधन पर दु:ख व्‍यक्‍त किया है।

14 अगस्त 1924 को सियालकोट (अब पाकिस्तान) में जन्मे कुलदीप ने अपनी स्कूली शिक्षा भी सियालकोट से ही ली थी। लाहौर से कानून की डिग्री लेने वाले नैयर ने अमेरिका से पत्रकारिता की डिग्री ली थी। उनके लेख विश्व की 80 से अधिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। नैयर ऐसे पत्रकारों में रहे हैं जो हमेशा भारत पाकिस्तान के बीच वार्ता के बड़े पैरोकार थे.

लंबे समय तक वह यूएनआई, पीआईबी और इंडियन एक्सप्रेस के साथ जुड़े रहे। आपातकाल के दौरान वह जेल में भी रहे।

उन्होंने कई किताबें भी लिखीं जिनमें से ‘द डे लुक्स ओल्ड’ के नाम से प्रकाशित उनकी आत्मकथा काफी चर्चाओं में रही थी। 1996 में भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र संघ में भेजे गये प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य भी रहे। 2015 में उन्हें पत्रकारिता में आजीवन उपलब्धि के लिए रामनाथ गोयनका स्मृ़ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने दिग्‍गज पत्रकार और राज्‍यसभा के पूर्व सदस्‍य कुलदीप नैयर के निधन पर दु:ख व्‍यक्‍त किया है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कुलदीप नैयर हमारे समय के एक बौद्धिक दिग्‍गज थे। विचारों में स्‍पष्‍टता और निडरता के साथ उनके काम का दायरा कई दशकों तक विस्‍तृत रहा। आपातकाल के खिलाफ उनका एक मजबूत पक्ष, जन सेवा और बेहतर भारत के लिए उनकी प्रतिबद्धता हमेशा याद की जाएगी। उनके अचानक निधन पर मेरी संवेदना।’

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