पुलिस अधीक्षकों को आई आई टी व आई आई एम जैसे संस्थानों से विशेषज्ञता हासिल करना चाहिए : राजनाथ सिंह

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गृह मंत्री ने पुलिस संगठनों का आह्वान किया कि वे प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में नवाचार उपायों के लिए आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ जुड़ें

राजनाथ सिंह ने युवा पुलिस अधीक्षकों के द्वितीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिस संगठनों का आह्वान किया कि वे प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में नवाचार उपायों के लिए आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ जुड़ें। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों के छात्रों को हर वर्ष इंटर्नशिप के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए, ताकि नई विकसित प्रौद्योगिकियों की अड़चनों को दूर किया जा सके।

राजनाथ सिंह ने आज यहां पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो द्वारा आयोजित युवा पुलिस अधीक्षकों के द्वितीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, “अगर हम अपने विभिन्न मुद्दों, समस्याओं, असफलताओं और सफलताओं को एक दूसरे के साथ साझा करें और मिलकर प्रयास करें, तो हम शांति एवं व्यवस्था, सीमा सुरक्षा, आतंकवाद और उग्रवाद का कारगर और प्रभावी मुकाबला करने में अपनी क्षमता में सुधार कर सकेंगे।”

गृह मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी को अपनाने से घरेलू निर्माण में तेजी और आयातों में कमी आएगी। उन्होंने कहा, “हम शस्त्र और उन्नत उपकरणों के लिए बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर हैं। हम अपनी आवश्यकतानुसार उन्नत प्रौद्योगिकियों के घरेलू निर्माण की दृष्टि से विभिन्न संस्थानों के साथ सहयोग कर सकते हैं। इस तरह हम अपनी क्षमता का विकास करेंगे और आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी। हमें इस समय उपलब्ध प्रौद्योगिकियों का बेहतरीन उपयोग करना चाहिए और विभिन्न उपायों के आधार पर समस्याएं दूर करने के लिए नये तरीके से विचार करना चाहिए।”

श्री सिंह ने कहा कि पुलिस बलों को जटिल अपराधों और ऐसे अपराधियों के साथ मुकाबला है, जिनके पास स्वचालित हथियार मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपराधों की निगरानी और विश्लेषण पर ध्यान देना होगा तथा अपराध को उसकी शुरूआत में ही समाप्त करने के लिए तरीके और तकनीक विकसित करनी होंगी। उन्होंने कहा, “कई एजेंसियां और संगठन अपराध डाटा विश्लेषण सॉफ्टवेयर विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। इससे आगाह करने वाला पुलिस कार्य विकसित होगा और परिणामस्वरूप न केवल अपराधों को रोका जा सकेगा, बल्कि आतंकवादी गतिविधियों तथा नक्सली हमलों पर भी लगाम लगेगी। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने सोशल मीडिया के जरिए आसूचना को जमा करने के लिए एक सोशल मीडिया प्रयोगशाला बनाने के विषय में परियोजना अध्ययन रिपोर्ट साझा की है।”

गृह मंत्री ने कहा कि हम अपनी विशाल तटरेखा की सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का प्रभावी इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारे पास नौसेना, तटरक्षक और समुद्री पुलिस बलों के साथ मिलकर तटों की सुरक्षा के लिए बहु-आयामी व्यवस्था है। वर्ष 2005-06 में गृह मंत्रालय द्वारा शुरू की जाने वाली तटीय सुरक्षा योजना के तहत मछली पकड़ने वाली नौकाओं और ट्रॉलरों को रेडियोफ्रिक्वेंसी पहचान प्रणाली और जीपीएस आधारित तकनीकों से लैस कर दिया गया है। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, राष्ट्रीय तटीय पुलिस व्यवस्था अकादमी को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है, जहां तटीय पुलिस व्यवस्था मानक विश्वस्तरीय हैं।”

गृह मंत्री ने बताया कि सरकार पुलिस आधुनिकीकरण कार्यक्रम को जोरशोर से चलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हमने पुलिस बलों को आधुनिक एसएक्स-95 और ब्रेटा हथियार दिए हैं। भीड़ और जनाक्रोश से निपटने के लिए पुलिस बलों को घातक और गैर-घातक हथियारों के इस्तेमाल की जरूरत है। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने घातक और गैर-घातक हथियारों के परीक्षण और विकास के लिए एक अनुसंधान परियोजना शुरू की है। पुलिस कार्य में ड्रोन या यूएवी एक उपयोगी नई प्रौद्योगिकी के रूप में उभरे हैं। यूएवी के उपयोग का रोडमैप तैयार करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक कार्यबल का गठन किया है, जिसमें पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो अहम भागीदार है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रौद्योगिकी से अपराध जांच प्रक्रियाओं में भी बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा, “मंत्रिमंडल ने अभी हाल में एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिससे डीएनए फिंगर-प्रिंटिंग वैध प्रमाण बन जाएगी। हर जिले में दुष्कर्म जांच किट उपलब्ध कराई जा रही है। साइबर फोरेंसिक प्रकोष्ठ को भी मजबूत बनाया जा रहा है। नागरिकों को विभिन्न सेवाएं प्रदान करने के संबंध में मोबाइल ऐप विकसित करने के लिए पुलिस बलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।”

इस अवसर पर गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) के निदेशक राजीव सिंह ने कहा कि पुलिस आधुनिकीकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता इस तथ्य से साबित हो जाती है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी वार्षिक पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन के दौरान पुलिस अधिकारियों के साथ दो से तीन दिन उपस्थित रहे।

अपने संबोधन में पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के महानिदेशक डॉ. ए.पी. माहेश्वरी ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने बड़े पैमाने पर पुलिस कार्य में सुधार किया है और इसे नागरिक केन्द्रित सेवाएं प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा इसे सेफ-सिटी और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं तथा सोशल मीडिया विश्लेषण में भी लागू किया जा रहा है।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में 100 से अधिक पुलिस अधीक्षक तथा राज्यों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के आला अधिकारी भाग ले रहे हैं। पुदुचेरी की उपराज्यपाल डॉ. किरण बेदी कल सम्मेलन में समापन वक्तव्य देंगी।

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