सिलोखरा के आंदोलन को देश के कई प्रातों का समर्थन मिलने का दावा

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मुकेश शर्मा के नेतृत्व में धरना 15 वें दिन जारी

सिलोखरा के नागरिकों को मुख्यमंत्री के फैसले का बेसब्री से इंतजार

गुडग़ांव 24 जुलाई: सिलोखरा तालाब (तीर्थ स्थल) की पंचायती जमीन पर भाजपा कार्यालय व ग्रुप हाउसिंग निर्माण केखिलाफ व गांव के विकास की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे सिलोखरा सहित 360 गांवों के नागरिकों का धरना मंगलवार को लगातार 15वें दिन भी जारी रहा। धरने को अब तक दिल्ली-एनसीआर सहित कई प्रांतों के लोगों का समर्थन मिल चुका है। मंगलवार को भी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश आदि प्रांतों के काफी लोगों ने समर्थन दिया। इसके कारण धरना दिनोंदिन विशाल रुप धारण करता जा रहा है। उधर धरना लगातार 15 दिनों तक चलने और इसके पूर्व पिछले सालभर से चल रहे आंदोलन को अब तक संज्ञान में न लेने के कारण धरना दे रहे नागरिकों में रोष बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार को इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए जबकि बेवहज विलंब किया जा रहा है।

धरने का समर्थन करने आए पंजाबी बिरादरी के नेता व कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष विपिन खन्ना ने कहा कि सिलोखरा सहित आसपास के कई गांवों के नागरिक पिछले करीब सालभर से सार्वजनिक मांग को लेकर आंदोलन चला रहे हैं। यह पहला ऐसा आंदोलन है जो जायज होते भी लंबे दिन से चल रहा है जबकि सरकार लगातार संवेदनहीनता का परिचय दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को नागरिकों की मांगों पर विचार करते हुए शीघ्र ही भाजपा कार्यालय और ग्रुप हाउसिंग को शिफ्ट कर सभी 12 एकड़ पंचायती जमीन को विकास के नाम पर मुक्त कर देना चाहिए। ग्रामीणों पर थोपा गया फर्जी मुकदमा भी सरकार को अतिशीघ्र वापस लेना चाहिए। मेरठ सभा से पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एडी त्यागी ने धरने को समर्थन देते हुए कहा कि प्रशासन को इस मामले में अपने दायित्व का निर्वहन करना चाहिए जबकि प्रशासन का रोल नकारात्मक है।

दिल्ली-एनसीआर मेें बढ़ते प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाया है जबकि भाजपा कार्यालय और ग्रुप हाउसिंग के निर्माण के लिए करीब 400 वर्ष पुराने पौराणिक पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई। इस बात को वन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण विभाग को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए। प्रशासन ने जब लिखित रुप से आश्वासन दिया था कि 15 दिनों के अंदर विकास कार्य शुरु कर दिए जाएंगे, इसके बावजूद पिछले करीब तीन माह का समय बीतने के बाद भी विकास कार्य क्यों नहीं शुरु किए गए? राष्ट्रीय मतदाता परिषद के अध्यक्ष सतीश मराठा ने भी सरकार के रवैए पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए ग्रामीणों की मांगों को शीघ्र पूरा करने की जोरदार मांग उठाई। धरने का नेतृत्व कर रहे सिलोखरा निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ मुकेश शर्मा ने कहा कि सिलोखरा सहित 360 गांव के नागरिकों को मुख्यमंत्री के फैसले का बेसब्री से इंतजार है।

मुख्यमंत्री ने लगातार तीसरी बार ग्रामीणों को आश्वासन दिया है और अभी भी ग्रामीणों को भरोसा है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करेगी। डा. मुकेश शर्मा ने कहा कि सिलोखरा का आंदोलन गांव के विकास के साथ आध्यात्मिक आस्था और संस्कृति व सभ्यता से जुड़ा है। गांव के नागरिक अपने पौराणिक धरोहर तालाब, तीर्थ स्थल, पेड़ों, शिव मंदिर और आध्यात्मिक आस्था के केन्द्र रहे गांव की संस्कृति को बचाने के लिए आंदोलन चला रहे हैं। मुख्यमंत्री पर गांव के नागरिकों ने लगातार तीसरी बार भरोसा किया है और उन्होंने आश्वासन भी दिया है कि सिलोखरा के विकास को लेकर अच्छा फैसला होगा फिर सरकार इसमें देर क्यों कर रही है। हम जनता की तरफ से प्रश्र पूछ रहे हैं कि मुख्यमंत्री सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्यक्रमों मेें आ रहे हैं तो गांव के विकास को लेकर आंदोलन कर रहे नागरिकों के आमंत्रण पर क्यों नहीं आ रहे हैं? प्रदेश का मुखिया होने के नाते मुख्यमंत्री का नैतिक कर्तव्य भी है कि यहां के नागरिकों की बातों को सुनें और मांगों को पूरा करें। हम धरनारत नागरिकों की तरफ से मुख्यमंत्री से निवेदन कर रहे हैं कि वे शीघ्र आए अन्यथा अपने प्रतिनिधि को भेजें। डा. मुकेश शर्मा ने कहा कि जब उक्त जमीन पूर्व से ही सिलोखरा के विकास के लिए छोड़ी गई है।

उन्होंने कहा कि इस जमीन को नगर निगम द्वारा अपने अधीन करने के लिए वर्षों पूर्व निगम सदन में प्रस्ताव पास किया था फिर निगम ने क्यों नहीं जमीन ली। आज अगर नगर निगम इस जमीन को संरक्षित रखती तो हुडा के पास नहीं जाती और विकास के लिए नगर निगम को हुडा से जमीन मांगने की जरुरत नहीं पड़ती लेकिन निगम ने ऐसा नहीं किया? अगर नगर निगम इसी तरह से अपनी जमीन की सुरक्षा नहीं कर पाया तो गुडग़ांव मेें विकास के लिए जमीन ही नहीं बचेगी और हाजारों एकड़ जमीन बंदरबांट का शिकार होगी? सिलोखरा गांव के नगर निगम मेें शामिल होने के साथ यह जमीन नगर निगम के हवाले हो चुकी थी इसके बावजूद किस अधिकारी की लापरवाही से यह जमीन हुडा के पास गई, इसका जवाब नगर निगम प्रशासन को देना होगा। आज इस 12 एकड़ जमीन पर हुडा का स्वामित्व दिखाकर इसे भाजपा कार्यालय और ग्रुप हाउसिंग के निर्माण के लिए क्यों लिया गया? और इसके लिए गांव के विकास और आस्था की बलि क्यों चढ़ाई जा रही है।

डा. शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री को इन तमाम बातों से अवगत कराया जा चुका है और नागरिकों को भरोसा है कि सरकार तत्काल ही इस मामले को संज्ञान में लेगी। धरने में पूर्व सरपंच ओम प्रकाश शर्मा, रामपत यादव पूर्व पंच, रामेहर यादव, चंदर सैनी, शेर सिंह पंडित, भरत सिंह, मामचंद, धर्मवीर शर्मा, ईश्वर शर्मा, सतीश शर्मा, रविंद्र कौशिक, राजीव शर्मा, सतवीर शर्मा, लक्ष्मी नारायण सैनी, सुभाष शर्मा, दीपक शर्मा, मनोज शर्मा, राजपाल पूर्व पंच, श्रीभगवान यादव, राजू, राधेश्याम शर्मा, देवी राम शर्मा, आनंद शर्मा, परमानंद, अशोक शर्मा, अतर शर्मा पूर्व पंच, महेंद्र शर्मा, ओमबीर, सोनू शर्मा, सुभाष शर्मा, अरुण यादव, मनीष शर्मा, मुकेश शर्मा, विजेंद्र सैनी, शिव कुमार सैनी पूर्व पंच, मोनू, अजय यादव, अमर सिंह सैनी, विजेंद्र शर्मा, रणवीर सिंह, मुंशी सैनी, देशराज सैनी, शेरु यादव, विनोद यादव, ओम प्रकाश सैनी, सुंदर यादव, सुंदर सेन, संजय कुमार, राजेश कुमार, भूपसिंह, लखीराम यादव, रामजीवन, राजेश शर्मा, अतर सिंह, राजपाल राजीव शर्मा, नीरज शर्मा एडवोकेट, पवन कुमार, हेतराम यादव, जय भगवान शर्मा, बालकराम, सुभाष, राकेश, हरीश, अमन, देवीराम यादव, मुर्तजा, ममता देवी, शांति देवी, सावित्री देवी, जगवती देवी, राजवती देवी, ओमवती देवी, मूर्ति सैनी, केला, भरपाई देवी, सोना, शारदा, अंगूरी, राजबाला, द्रौपदी, प्रमिला, शांति यादव, कैलाश यादव, सुशीला यादव त्रिवेणी यादव, पुष्पा शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, सविता, माया, रेखा सैनी, कांता, ब्रह्मो, विमला, लक्ष्मी, शकुंतला सरला, मनीषा यादव, सुमन यादव व प्रेम यादव सहित काफी संख्या में महिलाएं और सैकड़ों नागरिक शामिल रहे।
फोटो– सिलोखरा में धरने को संबोधित करते डॉ मुकेश शर्मा और धरने के दौरान उपस्थित नागरिकों की भारी भीड़।

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