नीति आयोग में मनरेगा व खेती के बीच समन्वय पर मुख्यमंत्रियों के सब-ग्रुप में हुई चर्चा

Font Size

मुख्यमंत्रियों के सब-ग्रुप की पहली बैठक आयोजित 

पांच संवेदनशील क्षेत्रों में मनरेगा लागू करने पर हुआ विचार 

 

सुभाष चौधरी /प्रधान सम्पादक

नई दिल्ली : मनरेगा तथा कृषि के बीच समन्वय पर मुख्यमंत्रियों के सब-ग्रुप की पहली बैठक आज नीति आयोग में आयोजित की गई। सब-ग्रुप के संयोजक शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से इस बैठक में शामिल हुए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चर्चा में शामिल हुए। एन. चंद्रबाबू नायडू, मुख्यमंत्री, आंध्र प्रदेश तथा सुश्री ममता बैनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल ने अपने सुझाव लिखित रूप से सब-ग्रुप के संयोजक को भेजे। प्रोफेसर रमेश चंद्र, सदस्य (कृषि), नीति आयोग, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सचिव, ग्रामीण विकास, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एन.आर.ए.ए., नीति आयोग, पंचायतीराज मंत्रालय, कृषि मंत्रालय तथा मध्य प्रदेश राज्य सरकार तथा उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी चर्चा में भाग लिया।  

प्रारंभ में सभी मुख्यमंत्रियों ने कृषि में सुधार तथा लागत में कमी के लिए मनरेगा के अंतर्गत रोजगार के उपयोग के बारे में साधन एवं उपाय सुझाने के लिए सब-ग्रुप गठित करने के प्रधानमंत्री के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने शीघ्र बैठक आयोजित करने के लिए नीति आयोग की भूमिका की सराहना की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कृषि तथा जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए फार्म लैंड की बाड़ लगाने आदि में श्रमिक लागत की पूर्ति हेतु मनरेगा धनराशि के प्रयोग का सुझाव दिया।

ऐसे पांच संवेदनशील क्षेत्र जिनमें मनरेगा सकारात्मक मदद कर सकता है, पर भी इस बैठक में चर्चा की गई। इसमें जुताई की लागत में कमी, जल तथा अन्य निवेशों के कुशल प्रयोग द्वारा उत्पादन वृद्धि, एकत्रीकरण को प्रोत्साहित करना, सकलन तथा विपणन अवसंरचना को प्रोत्साहित कर किसानों को लाभदायक मूल्य दिलाना, प्राकृतिक आपदाओं के उपरांत कृषि भूमि तथा संपत्तियों का पुनर्वास या मनरेगा धनराशि के उपयोग से पुनःवृक्षारोपण तथा व्यावसायिक विविधता का अधिकतम लाभ की दृष्टि से कृषि में विविधता लाना शामिल है। इसके अलावा जंगली पशुओं से किसानों के खेतों की सुरक्षा के लिए खेत में बाड़ लगाने को प्रोत्साहित करने का भी सुझाव दिया गया।

यह भी एकमत से निर्णय लिया गया कि सभी हितधारकों के साथ इन सभी मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श तथा व्यापक चर्चा की आवश्यकता है। राज्य सरकारों के साथ विशेषज्ञों, किसानों तथा किसानों के प्रतिनिधियों तथा अन्य हितधारकों के साथ चर्चा के लिए पटना, भोपाल, हैदराबाद, गुवाहाटी तथा नई दिल्ली में प्रत्येक स्थान पर पांच क्षेत्रीय बैठकें/कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। सब-ग्रुप ने यह भी कहा कि समन्वय के लिए काम करते हुए हमें श्रमिकों के अधिकारों तथा मनरेगा की भावना “संपदा सृजन” को बनाए रखना भी सुनिश्चित करना होगा। नीति आयोग, ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा कृषि मंत्रालय और राज्य सरकारों के परामर्श से क्षेत्रीय बैठकों को अंतिम रूप देगा। ये क्षेत्रीय बैठकें 15 अगस्त, 2018 से पहले संपन्न की जाएंगी। सब-ग्रुप की अगली बैठक 31 अगस्त को आयोजित की जाएगी।

भूमिकाः

      17 जून, 2018 को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की चौथी बैठक में कृषि क्षेत्र तथा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) विशेषकर किसान के खेतों में बुआई-पूर्व तथा कटाई-उपरांत गतिविधियों, के बीच समन्वय के लिए नीति संबंधी एक प्रमुख निर्णय लिया गया। प्रधानमंत्री ने सात राज्यों यथा मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल तथा सिक्किम के मुख्यमंत्रियों और नीति आयोग के सदस्य सहित एक सब-ग्रुप गठित किया जिसके संयोजक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

You cannot copy content of this page