रथ यात्रा का खांडसा रोड, भूतेश्वर मंदिर होते हुए सदर बाजार, अग्रसेन चौक से गौशाला ग्राउंड में समापन होगा
भक्तो के लिए विशेष नाटक व सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम की व्यवस्था
यूरोप, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दुबई समेत कई देशों के भक्तगण भी होंगे शामिल
भगवान को देसी घी में निर्मित 2008 पकवानों का भोग लगाया जाएगा
गुरुग्राम : ब्रह्मांड पुराण में कहा जाता है कि जो भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा में शामिल होकर उनका दर्शन करता है, उनको प्रणाम करता है ,उनके समक्ष नृत्य करता है ,व उनके नामो का उच्चव स्वर में हरे कृष्ण का गान करता है तथा रथ यात्रा की रस्सी खींचकर उनका गुणगान करता है। भगवान श्री जगन्नाथ जी का आशीर्वाद हमेशा उनके साथ रहता है। और भगवान के आशीवाद से जीवन के अंत में उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस्कॉन (अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत्यसंघ ) की ओर से 14 जुलाई को श्री जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। यह रथ यात्रा सेक्टर-10A स्थित राधा कृष्णा मंदिर से दोपहर 3.00 बजे प्रारंभ होकर खांडसा रोड, भूतेश्वर मंदिर से होते हुए सदर बाजार, अग्रसेन चौक से गौशाला ग्राउंड में शाम 8.00 बजे यात्रा का समापन व वहां पर भक्तो के लिए विशेष नाटक व सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम के साथ समापन होगा . इस रथयात्रा के लिए जिला प्रशासन की ओर से बेहतरीन इंतजाम के लिए सहयोग मिला है। रथ यात्रा में विश्व के अन्य देशों से आने वाले इस्कॉन के भक्तगण भी पहुंचेंगे जिसके लिए जबरदस्त तैयारी की जा रही है। इसमें यूरोप, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दुबई समेत कई देश है। यात्रा का मुख्याकर्षण में रॉकबैंड, क्रेन के माध्यम से भगवान को भोग लगाया जाना समेत रंगोली और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
इस्कॉन गुरुग्राम के प्रमुख अध्यक्ष मधु मंगल दास जी ने बताया कि श्री जगन्नाथ रथ यात्रा में सुबह 11 बजे श्री श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की श्री विग्रह को सेक्टर-10A स्थित राधा कृष्णा मंदिर में लाई जाएगी। इस मौके पर भगवान को देसी घी में निर्मित 2008 पकवानों का भोग लगाया जाएगा जो की पिछले वर्ष 2017 की तुलना में दोगुना अधिक है। इससे श्री जगन्नाथ जी के प्रति गुरुग्राम के भक्तों का प्रेम व सेवा भाव प्रदर्शित होता है
रथयात्रा कमेटी के इंचार्ज अजय गोयल ने बताया कि भगवान जगन्नाथ जी बहुत कृपालु है। वे भक्तों को दर्शन देने के लिए मंदिर से खुद चलकर सबके बीच पहुंचते हैं क्योंकि, मनुष्य अपने भौतिक जगत में इतना व्यस्त रहता है कि उनके पास समय की कमी होती है। ऐसे में भगवान खुद उनके बीच आकर दर्शन देते है। जो बेहद ही आनंदनीय है। रथ यात्रा के माध्यम से सामाजिक सद्भाव भी बढ़ता है। यात्रा के माध्यम से यह भी संदेश मिलता है कि कोई ऊंचा-नीचा या अमीर-गरीब नहीं है। भगवान के सामने सब एक समान है। उन्होंने कहा कि हमारी तरफ से विनम्र अनुरोध है कि आप सभी अपने सपरिवार के साथ रथ यात्रा में शामिल होकर श्री भगवान श्री जगन्नाथ जी कृपा और उनका आनंद लिजिए और जीवन सार्थक किजिए।
स्कॉन रथयात्रा के बारें में-
सन 1968 में इस्कॉन के संस्थापकाचार्य आचार्य श्री श्री मद ए सी भक्ति वेदांत स्वामी प्रभूपादा जी ने इस्कॉन जगनाथ रथयात्रा की शुरुआत सेन फ्रांस्सिको (अमेरिका ) में की थी। इस पहली रथ यात्रा में भगवान की भव्य विशाल प्रतिमा और रथयात्रा देखकर विदेशों में रहने वाले लोग अचंभित रह गए थे। इसके बाद से पुरे विश्वभर के 500 से भी ज्यादा राष्ट्रों के शहरों में प्रत्येक वर्ष रथयात्रा का आयोजन भव्य रूप से किया जाता है। इस रथ यात्रा के माध्यम से भारतीय सभ्यता और संस्कृति को विश्वभर में प्रचार-प्रसारित किया जा रहा है। साथ ही साथ विश्व के समस्त राष्ट्रों में वहां के लोग इस भारतीय वैदिक सभ्यता को अपने जीवन में उतार भी रहे है.