यूजीसी के बाद एआइसीटीई व एनसीटीई में भी होगा बदलाव, जुर्माना और सजा का अधिकार मिलेगा

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गुणवत्ता से समझौता और फर्जीवाड़ा रोकना चाहती है सरकार

पहले सभी नियामक संस्था को एक करने की थी तैयारी

यूजीसी की तरह मिलेगा जुर्माना और सजा का अधिकार

नई दिल्ली : उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में जुटी सरकार के सामने विश्वविद्यालयों के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा (इंजीनियरिंग) और टीचर्स ट्रेनिंग की गुणवत्ता सुधारने की भी चुनौती है। ऐसे में सरकार ने यूजीसी को खत्म करने और नई एजेंसी के गठन के अगले चरण में एआइसीटीई और एनसीटीई में भी बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि जल्द ही यूजीसी की तरह इसमें भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। सरकार ने इसके संकेत भी दे दिए हैं। हालांकि इससे पहले तीनों ही नियामकों को एक करने की कोशिश थी, लेकिन उसमें सफलता न मिल पाने के बाद सरकार ने सभी में अलग-अलग बदलाव की ओर कदम बढ़ाया है।

इन बदलावों के पीछे सरकार का मकसद बिल्कुल साफ है। वह इसके जरिये इन नियामकों को और ज्यादा अधिकार संपन्न बनाना चाहती है, ताकि गुणवत्ता से समझौता और फर्जीवाड़ा करने वाले संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। यही वजह है कि यूजीसी को खत्म कर प्रस्तावित नए आयोग को जुर्माना व सजा सुनाने का अधिकार दिया गया है। सूत्रों की मानें तो ऑल इंडिया काउंसिल आफ टेक्नीकल एजुकेशन (एआइसीटीई) और नेशनल काउंसिल आफ टीचिंग एजुकेशन (एनसीटीई) को भी बदलाव के बाद यूजीसी की तरह जुर्माना करने और सजा देने का अधिकार दिया जाएगा।

वैसे भी मौजूदा समय में देश में इंजीनियरिंग कॉलेजों और टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों की जो स्थिति है, उसमें बदलाव बेहद जरूरी हो गया है। खासकर इंजीनियरिंग कॉलेजों की गुणवत्ता में भारी गिरावट देखी जा रही है। इसके चलते पिछले चार सालों में पांच सौ से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज बंद भी हुए हैं। वजह इनकी ज्यादातर सीटों का खाली रहना था। यह इसलिए हुआ, क्योंकि लोगों ने एआइसीटीई से कॉलेज चलाने की मान्यता तो ले ली, लेकिन इन कॉलेजों के पास न तो पढ़ाने वाले अध्यापक थे और न ही प्रयोग करने के लिए प्रयोगशाला थी। इन संस्थानों के पास छात्रों से सिर्फ मोटी फीस वसूलने का काम रह गया था। ऐसे ही स्थिति टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों की भी है।

पिछले दिनों सरकार ने गुणवत्ता की जांच किए बगैर देश भर में चल रहे ऐसे करीब चार हजार बीएड और डीएड कॉलेजों को नोटिस जारी किया था। इनमें अब एक हजार कॉलेजों को सही जबाव न दे पाने के चलते बंद भी किया जा चुका है। माना जा रहा है कि इन बदलावों को बाद अब कोई गुणवत्ता से समझौता कर इंजीनियरिंग कॉलेज और टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज नहीं चला सकेगा।

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