नई दिल्ली।
यह शोध आलेख अमेरिकी एसट्रोनोमिकल सोसाइटी की पत्रिका में ऑनलाइन प्रकाशित हुआ है और इसे आईओपी पब्लिशिंग ने प्रकाशित किया है। (10.3847/1538-3881 /एएसी436)
इस ग्रह की खोज, ग्रह के द्रव्यमान को मापने के आधार पर की गई। मापन कार्य स्वदेशी तकनीक से निर्मित पीआरएल एडवांस रेडिएल-वेलोसिटी अबू-स्काई सर्च (पीएआरएएस) स्पेक्ट्रोग्राफ के द्वारा किया गया। यह स्पेक्ट्रोग्राफ भारत के माउंट आबू स्थित गुरूशिखर वेधशाला के 1.2एम टेलीस्कोप से एकीकृत है। अब तक केवल 23 ऐसी ग्रह प्रणालियों की खोज हुई है, जिनका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 10 से 70 गुना अधिक है और जिनकी त्रिज्या पृथ्वी की त्रिज्या से 4 से 8 गुनी अधिक है। यह खोज उप-शनि जैसे ग्रहों या सुपर नेप्च्यून जैसे ग्रहों की निर्माण प्रक्रिया को समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इस खोज के साथ भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है, जो हमारे सौर प्रणाली से बाहर के ग्रहों की खोज करने में सफल हुए हैं। इसके अलावा पारस (पीएआरएएस) पूरे एशिया में अपने किस्म का इकलौता स्पेक्ट्रोग्राफ है, जो सूर्य के चारों ओर घूम रहे ग्रह के द्रव्यमान को माप सकता है। पूरे विश्व में ऐसे कुछ ही स्पेक्ट्रोग्राफ हैं जो द्रव्यमान मापने का कार्य इतनी सटीकता के साथ कर सकते हैं।