चार साल में 14 वीं बार मिले मोदी जिनपिंग : दो अहम् समझौते पर हुए हस्ताक्षर

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चीन भारत से ब्रहमपुत्र नदी के जल आवागमन , वितरण और गुणवत्ता संबंधी सूचनाएं साझा करेगा 

भारत से चीन को चावल निर्यात संबंधी सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर

चिंग दाओ:  एससीओ की बैठक से पहले प्रधानमंत्री मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई. दोनों नेताओं के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. इस बैठक में वुहान में बनी सहमित को लागू करने और भविष्य के भारत-चीन संबंधों की रूपरेखा तैयार करने पर चर्चा हुई. पिछले 4 साल के दौरान दोनों नेताओं के बीच ये 14वीं मुलाक़ात है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में दोनों पक्षों के बीच दो समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. इन समझौतों में जल संसाधनों के क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ को लेकर सहयोग और कृषि क्षेत्र में चावल के निर्यात का समझौता शामिल है.

इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई । मोदी ने कहा कि वुहान में उनके बीच अनौपचारिक वार्ता के बाद हुई यह मुलाकात भारत – चीन मित्रता को और मजबूती देगी। वुहान शिखर वार्ता के करीब छह सप्ताह बाद हुई इस बैठक में  दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के खाके पर चर्चा हुई जबकि वुहान में लिए गये फैसलों के क्रियान्वयन की भी समीक्षा की गई ।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कट इस बैठक को ‘‘गर्मजोशी भरा’’ बताया है.  इस अवसर पर चीन द्वारा भारत को ब्रहमपुत्र नदी के जल आवागमन , वितरण और गुणवत्ता संबंधी सूचनाएं साझा करने तथा भारत से चीन को चावल निर्यात संबंधी सहमति पत्रों पर मोदी – शी वार्ता के बाद हस्ताक्षर किये गये।

गौरतलब है कि 2017 के दौरान डोकलाम मसले तथा पाक के आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयासों को चीन द्वारा रोकने सहित कई मुद्दों को लेकर संबंधों में गतिरोध पैदा हो गया था। भारत ने चीन की ‘ वन बेल्ट एंड वन रोड ’ पहल का भी विरोध किया था. भारत का कहना है कि यह रोड  पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है। मोदी ने पिछले सप्ताह साफ़ शब्दों में कहा था कि अगर भारत और चीन एक दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील रहे मिलकर काम करे  तो एशिया और विश्व की जी डी पी में फिर सर्वाधिक योगदान देगा .

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