मनवांछित फल देता है जन्माष्टमी पर मंत्र साधना

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मंत्र विज्ञान

 

पंडित नीवन चन्द्र झा
कर्मकाण्ड विशेषज्ञ

मनुष्य के सांसारिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के लिए प्रार्थना का बड़ा महत्व है। यह प्रार्थना कभी हम भजन के रूप में गाकर करते हैं या फिर मंत्र के रूप में। क्योंकि संस्कृत भाषा के किसी भी मंत्र के शाब्दिक अर्थ में अगर जाएं तो आप पाएंगे कि यह ईश्वर के प्रति हमारे समर्पण के भाव या फिर किसी प्रकार की सांसारिक या आध्यात्मिक याचना को दर्शाता है। इसलिए हम अपने ईष्ट को रिझाने के लिए दोनों ही तरीके से पूजा कर सकते हैं। जहां तक मंत्र की बात है यह वेद व पुराण जो हमारे सनातन धर्म के सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं पुरातन ग्रंथ हैं में वर्णित हैं। इनका उपयोग भगवान ब्रह्मा व भगवान विष्णु ने विभिन्न प्रकार की शक्तियों के आवाहन के लिए किया है। उन्होंने जगत की रचना एवं पालन के लिए उन दैवी शक्तियों से सहायता की प्रार्थना की है। इसका प्रतिफल सृष्टि के रूप में है। इससे समझा जा सकता है कि जो हमारे आपके आराध्य देव हैं अगर उन्होंने ने दैवी शक्तियों के आवाहन व कृपा प्राप्त करने के लिए मंत्रों का उपयोग किया है तो फिर हम संसारी जीव के लिए यह शक्तिदायक है ही। वस्तुत: यह हमारे लिए बेहद लाभप्रद है। निर्भर करता है कि आप किस मंत्र जाप करते हैं और उसकी विधि व विधान के साथ करते हैं या नहीं। इसलिए ध्यान रहे कि मंत्र का जाप वेदों में बताई विधि या फिर किसी विद्वान ज्योतिष से मंत्र साधना के विशेषज्ञ गुरु के निर्देशों का पालन करते हुए करें। इससे जीवन में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं साथ ही इससे आश्चर्यजनक बदलाव भी आता है।

सितम्बर माह में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का पर्व हम मनाएंगे। जन्माष्टमी का श्ुाभ अवसर तंत्र-मंत्र की दृष्टि से काफी महत्व रखता है। तंत्रशास्त्र बताता है कि दिवाली, होली, शिवरात्रि, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण के साथ साथ जन्माष्टमी भी अति महत्व का दिन होता है। क्योंकि वेदों में तीन महारात्रि का वर्णन आया है। इनमें एक दिवाली, दूसरी शिवरात्रि और तीसरी जन्माष्टमी। अत: इस दिन की गई साधना और मंत्र जप से हमारे कार्य सिद्ध होते हैं।

इस अंक में आपके हितार्थ योगेश्वर श्रीकृष्ण से संबंधित मंत्रों का उल्लेख किया जा रहा है। आम भक्तों के लिए उनके लीला स्वरूप में लड्डïू गोपाल सबसे प्रिय रूप है।

संतान प्राप्ती के लिए : नि:संतान महिलाओं को लड्डïू गोपाल के मंत्रका जाप, ध्यान और पूजन करना चाहिए। श्रीकृष्ण का एकाक्षरी मंत्र Þक्लींÞ है। इसका संकल्पपूर्वक 12 लाख बार जप करना चाहिए। आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।

देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते,
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।

इस मंत्र का जाप करें तथा अर्जुन के साथ रथ पर विराजमान योगेश्वर कृष्ण और समुद्र में प्रविष्ट होकर वहां से पुत्र को लाकर ब्राह्मïण पिता को सौंपते हुए भगवान वासुदेव का ध्यान करें।

इस मंत्र के एक लाख जप करने के पश्चात घी, शहद और शक्कर की 10000 आहूति दें। तर्पण-मार्जन के साथ ब्राह्मïणों को भोजन करवाएं। इससे आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।

अशांति दूर करने या मोक्ष की कामना के लिए :

1. ऊँ नमो वासुदेवाय ।

2. ऊँ ऐं श्रीं क्लीं प्राणवल्लभाय सौ:
सौभाग्यदाय श्रीकृष्णाय स्वाहा।

3. श्रीं ह्रïीं क्लीं कृष्णाय क्लीं ।

4. श्रीकृष्णशरणं मम।

इनमें से किसी भी मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जाप करने से मनवांछित कार्यों की सिद्धी होती है तथा जीवन में शांति व सुख प्राप्त होता है।

देवी मंत्र का जाप : जिन भक्तों को देवी के प्रति अटूट श्रद्ध है उनके लिए भी जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन रात्रि में देवी के किसी भी मंत्र का जाप कर जगत माता को प्रसन्न कर सकते हैं। उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

1. सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतन्वित:,
मनुष्य मत प्रसादेन भविष्यति न संशय:।

इस मंत्र का 10 हजार बार जप कर दशांस हवन करें। कोशिश करें कि प्रतिदिन एक माला का जाप हो सके। इससे जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। मां की कृपा से आपको यश और समृद्धि की प्राप्ति होगी। ध्यान रखें कि आपने जितने मंत्र जपे हैं उसके दसवें हिस्से से हवन करें।

2. ऊँ ह्रïीं श्रीं आं ऐं लक्ष्मी स्वाहा।

इसमंत्रका 10000 बार या यथाशक्ति जाप करें तथा यथाशक्ति हवन करें। साथ ही 21 बार धान्य को अभिमंत्रित कर बड़े बर्तन में अपने भंडारगृह में रख दें। इसका प्रभाव आप स्वयं देख पाएंगे। भंडार भरपूर रहेगा। कभी खाली नहीं होगा।

जीवन में समृद्धि के लिए :
Þश्रींÞमंत्र का जाप करें ।

अगर श्रद्धा व विश्वास के साथ इस मंत्र का 12 लाख बार जाप कर हवन किया जाए तो इससे जीवन समृद्ध होता है। परिवार में सम्पन्नता आती है। केवल ध्यान इस बात का रखना है कि जिस भी मंत्र का जितनी बार जाप करें उसका दशांस हवन अवश्य करना चाहिए। दशांस का अर्थ है कि यदि एक लाख बार मंत्र का जाप किया गया है तो 10000 मंत्रों की आहूति से हवन करें।

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