खखोल्क मंत्र से प्रसन्न होते हैं सूर्यदेव

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शंकर शर्मा 

भगवान सूर्य ने अपने सारथि अरुण अपने मंडल के बारे में बताते हुए कहा कि मेरा कल्याणमय मंडल खखोल्क है। यह विद्वानों के ज्ञान मंडल में और तीनों लोकों में विख्यात है। यह तीनों देवों एवं तीनों गुणों से परे एवं सर्वज्ञ है। यह सर्वशक्तिमान है। यह मंडल ú एकाक्षर मंत्र में अवस्थित है। घोर संसार-सागर की तरह ही खखोल्क भी अनादि है। यह संसार-सागर के लिए कल्याणकारी है।
यह मंत्र संसार-सागर के लिए एक अचूक औषधि है। इसे मोक्ष चाहने वालों के लिए मुक्ति का साधन कहा गया है। खखोल्क नाम का यह मंत्र सदैव उच्चारण और स्मरण करने योग्य है। जिसके हृदय में ú नम: खखोल्काय मंत्र स्थित है उसने मानो सब कुछ पढ़ लिया और अनुष्ठित किया है।

ऋषियों ने मंत्र को मार्तण्ड के नाम से प्रतिष्ठापित किया है। इस मंत्र के प्रति श्रद्धावनत होने पर पुण्य प्राप्त होता है।

 

अगस्त्य ऋषि द्वारा रचित भगवान सूर्यनारायण का मंत्र

 

ध्याये सूर्यमन्नत कोटि किरणं तेजोमयम्भास्करम्।
भक्ता नाम्भय प्रदमदिनकरं ज्योर्तिमयम शंकरं।।

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