जजों की नियुक्ति के लिए भेजे गए 33 नामों में 11 वर्तमान व रिटायर्ड जजों के संबंधी
नई दिल्ली ।अदालत में जजों की नियुक्ति को लेकर भाई-भतीजावाद के आरोप लगने लगे हैं ।इलाहाबाद हाईकोर्ट में 33 जजों की नियुक्ति के नाम रिक्रुमेंट किए गए हैं। इनमे 11 वर्तमान जज एवं सेवानिवृत्त जज जिनमें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज भी शामिल हैं के संबंधियों के नाम होने के आरोप लगे हैं। इस मामले की शिकायत इलाहाबाद हाईकोर्ट के कई वकीलों ने प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय कानून मंत्री कार्यालय को भेजी है।
खबर है कि इन शिकायतों के आधार पर प्रधानमंत्री ने कानून मंत्री को इसकी जांच कराने को कहा है। बताया जाता है कानून मंत्री ने इस मामले को इंटेलिजेंस ब्यूरो को जांच के लिए सौंप दिया है। अब इसमें अगला कदम इस बात पर निर्भर करता है कि आईबी की रिपोर्ट में किस प्रकार के तथ्य सामने आते हैं।
उल्लेखनिय है कि इसी तरह का एक मामला वर्ष 2016 में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट का सामने आया था जिसमें वर्तमान और सेवानिवृत्त जजों के संबंधियों के नाम जज के रूप में नियुक्ति के लिए भेजे गए थे। उनमें भी तत्कालीन देश के चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने गंभीरता से लिया और इसकी जांच कराई थी। उन्होंने आईबी के इनपुट के आधार पर 11 जजों की नियुक्ति को रिजेक्ट कर दिया था वर्तमान मामले से देश में जजों की नियुक्ति को लेकर गठित कॉलेजियम पर फिर से सवाल खड़े हो गए हैं। वास्तव में न्यायायिक दुनिया में लोगों को न्याय की उम्मीद जताने वाले या फिर लोगों में न्याय के मंदिर के प्रति उसकी व्यवस्था की दृष्टि से विश्वास स्थापित करने की वकालत करने वाले लोगों को बड़ा झटका लगा है ।
आशंका इस बात की है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट देश का सबसे बड़ा हाई कोर्ट है । उच्च न्यायालय की दृष्टि से उसमें जजों की नियुक्ति को लेकर गठित कॉलेजियम की ओर से इस प्रकार की कथित नेपोटिज्म के तरीके अपनाने से एक बार फिर कॉलेजियम सवालों के घेरे में है।
कहां जा रहा है कि 333 नामों की सूची इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से जज की नियुक्ति के लिए भेजी गई है उनमें 11 ऐसे नाम हैं जो वर्तमान सुप्रीम कोर्ट के 110 का खाद संबंधी है जबकि कुछ नाम ऐसे आ रहे हैं जो एक का भतीजा है और दूसरा नजदीकी संबंध है।