“इनेलो राज से 8 गुणा और हुड्डा राज से 4 गुणा नौकरी देने वाले हैं, इसलिए निशाने पर हैं भारत भूषण भारती ”
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HSSC में गड़बड़ी की जिस शिकायत पर जांच चल रही है, उसका कमीशन के चेयरमैन से दूर-दूर तक लेना देना नहीं है। मीडिया अनुसार ये सभी वहां के कर्मचारी हैं जिनमें से कुछ तो कॉन्ट्रेक्ट पर हैं जो अपने पद का दुरूपयोग कर जानकारी हासिल कर लेते थे और उसके आधार पर लोगों से पैसे लेते थे, ऐसी शिकायत है। तरीका यह था कि जिन उम्मीदवारों का चयन उनकी लिखित परीक्षा में आए अंकों के हिसाब से निश्चित है भले ही उन्हें इंटरव्यू में बहुत कम अंक मिले, उन लोगों को ये बहकाते थे कि नौकरी लगवा देंगे।
रिश्वतखोरी के इस तरीके से तो यह साफ हो जाता है कि आरोपी लोग ना तो लिखित परीक्षा में अंक कम-ज्यादा करवा सकते थे, और ना ही इंटरव्यू में वे कम-ज्यादा अंक लगवाते थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वे तो सिर्फ सूचना का दुरूपयोग करते थे कि जिनकी नौकरी लगनी तय है, उनके मन की अनिश्चितता का फायदा उठाया जाए। इस खुलासे के बाद तो यह और भी स्पष्ट हो जाता है कि एचएसएससी में नौकरियां पूरी पारदर्शिता से लगाई जा रही हैं और आधिकारिक तौर पर गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है। जो आयोग में पिछली सरकारों में लिखित परीक्षा, इंटरव्यू सब बिकता था और फाइनल लिस्ट मुख्यमंत्री निवास पर बनती थी, इस प्रकार के आरोप लगातार लगते रहे, वहां अब दलालों को गड़बड़ी का रास्ता नहीं मिल रहा। और लोगों के मन के डर और राज्य में प्रचलित चलन रही रिश्वतखोरी का कुछ लोगों ने फायदा उठाया तो अब वे जांच के घेरे में हैं। यह जांच सरकार के आदेश पर हो रही है और मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी की नेक सोच को दिखाती है।
अब सवाल ये है कि इस प्रकरण में HSSC कमीशन के चेयरमैन भारत भूषण भारती को क्यों निशाने पर लिया जा रहा है। तो इसका सीधा कारण यह है कि यह आयोग अब तक 24500 नौकरियां पारदर्शी तरीके से लगा चुका है, 38000 नौकरियां सी और डी श्रेणी की निकलने वाली हैं, 7000 पुलिसकर्मी भर्ती होने हैं अगले कुछ महीनों में, और इन सबके अलावा भी लगभग 24 हजार नौकरियां और हैं जो यह सरकार देने जा रही है। कुल मिलाकर करीब 80 हजार नौकरियां अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले मनोहर सरकार राज्य के लोगों को दे देगी, वो भी पूर्ण पारदर्शिता के साथ।
यह रिकॉर्ड पर है कि इनेलो सरकार के कार्यकाल में HSSC से सिर्फ 11800 नौकरियां दी गई जिनमें से औद्योगिक सुरक्षा बल के 2000 से ज्यादा जवान हटा दिए गए और 3206 जेबीटी की भर्ती भी अब तक जांच के दायरे में है। वहीं हुड्डा सरकार के पहले पांच साल के कार्यकाल में 20030 नौकरियां HSSC के माध्यम से दी गई।
इससे स्पष्ट है कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में तो चौटाला राज से 8 गुणा और हुड्डा राज से 4 गुणा नौकरियां दी जानी है। बस इसी से विपक्षी दलों में खलबली मची हुई है और वे कमीशन के ईमानदार और सक्षम HSSC चेयरमैन को निशाना बना रहे हैं।
असल में विपक्षी दलों की सोच ही लोगों के हित के खिलाफ है। तभी तो वे कभी भर्तियों पर स्टे करवाने के लिए कोर्ट जाते हैं और हारकर लौटते हैं तो कभी ऊलजुलूल आरोप लगाकर भर्तियों की रफ्तार कम करने की कोशिश करते हैं। आजतक भाजपा सरकार में एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया जिसमें कोई लिखित परीक्षा या इंटरव्यू में नंबर लगवा पाया हो।
ईश्वर इन कांग्रेसियों और इनेलो वालों को सदबुद्दि दे कि वे जनहित के असली मुद्दे तलाश सकें और उन्हें उठा सकें।