हरेन्द्र ढींगरा RTI एक्टिविस्ट के साथ प्रधान संपादक सुभाष चौधरी की
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गुरुग्राम : हरियाणा में आर टी आई के माध्यम से भ्रष्टाचार पर हमला बोलने वाले प्रसिद्ध आर टी आई (RTI Activist) एक्टिविस्ट हरेन्द्र ढींगरा ने पिछले एक दशक से भी अधिक समय में दर्जनों ऐसे मामले का खुलासा किया जिनमें हजारों करोड़ की रिकवरी हुई. राजनीतिक, प्रशासनिक या फिर व्यावसायिक गठबंधन के माध्यम से जनता की गाढ़ी कमाई की हो रही लूट का पर्दाफ़ाश कर उस पर रोक लगाना अब इनका प्राथमिक लक्ष्य बन गया है. इनके ही लम्बे संघर्ष के बाद हरियाणा की 30 से अधिक प्राइवेट संस्थाओं को आर टी आई की सीमा में लाया जाना संभव हो सका है. गुरुग्राम के अप्पू घर को जमीन आवंटन की कहानी हो या फिर बिल्डरों द्वारा ईडीसी के रूप में 17 हजार करोड़ जमा नहीं कराने का मामला, ऐसे मुद्दों को जनता की नजर में लाने की कोशिश में हरेन्द्र ढींगरा को कई बार विषम परिस्थितियों का सामना करना पडा. जनहित की इस लड़ाई में आर टी आई एक्ट 2005 कितना मददगार सिद्ध हो रहा है, इन तमाम विषयों पर thepublicworld.com न्यूज पोर्टल के प्रधान संपादक सुभाष चौधरी से लम्बी बातचीत में श्री ढींगरा ने अपना अनुभव साझा करते हुए कई महत्वपूर्ण खुलासा किया.
सबसे महत्वपूर्ण विषय ई डी सी
हरियाणा में महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उनका कहना था उनके लिए हरियाणा में सबसे महत्वपूर्ण विषय ई डी सी का था . कई वर्षों से बिल्डर लोगों से ई डी सी वसूलते थे लेकिन सरकारी खाते में जमा नहीं कराते थे. जब 2014 में आर टी आई से इसकी जानकारी मांगी गयी तो बताया गया कि बिल्डरों पर 12 हजार करोड़ रु बाकी हैं. पुनः आर टी आई से पूछा गया तो यह राशि 17 हजार करोड़ की सीमा पार कर गयी. उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा की इतनी बड़ी रकम सरकारी खजाने से बाहर जबकि पब्लिक से लगातार वसूली गयी, आखिर यह कैसे संभव था ? लेकिन आर टी आई के माध्यम से ही इसका खुलासा हुआ .
30 पब्लिक इंस्टिट्यूट्स को आर टी आई के तहत लाया
उनके शब्दों में इसी तरह वैट का 10 हजार करोड़ का घपला निकला. ऐसा ही एक बड़ा मामला टेलीफोन ऑपरेटर्स का था। फिर हमें लता चला कि यहाँ हॉस्पिटल्स को subsidised रेट पर जमीन दी गयी है लेकिन गरीबों का निःशुल्क इलाज नहीं किया जा रहा था। लम्बी लड़ाई के बाद अब हम 30 पब्लिक इंस्टिट्यूट्स को आर टी आई के तहत ला चुके हैं। इसमें मेडिकल, हॉस्पिटल, कॉलेज, स्पोर्ट्स इंस्टिट्यूट्स, सहबाग़ स्पोर्ट्स स्कूल और यूनिवर्सिटीज जैसी सस्थाएं शामिल हैं ।
बड़े अधिकारी भी इस खेल में मिल जाते हैं
जब उनसे यह पूछा गया कि इनमें किस प्रकार की खामियां मिलीं तो उनका कहना था जमीन लेने के वक्त जो इकरार हुडा के साथ करते हैं वे पूरा नहीं करते हैं। एग्रीमेंट को पूरी तरह पालन तो करते है लेकिन जब देने की बात आती है तब वहां चुप्पी साध जाते हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कुछ बड़े अधिकारी भी इस खेल में मिल जाते हैं। इन विषयों को लेकर जनता और सरकारी तंत्र को जागरूक करने की कोशिश हम करते हैं। हम कोई specialised काम नही करते बल्कि जो गरीबों का हक़ है उन्हीं को दिलाने का प्रयास करते हैं। एक बीपीएल परिवार को उनका हक दिलाने की हमारी कोशिश होती है।
बहुत धमकियां भी मिलती रही है
आर टी आई के माध्यम से सूचना हासिल करना और न्याय प्राप्त करना कितना कठिन है ? इस सवाल पर श्री ढींगरा ने स्वीकार किया कि अब तो आसान लग रहा है लेकिन आरम्भ में यह बहुत कठिन था। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह दुस्कर कार्य था। बहुत धमकियां भी मिलती रही है। यहां तक कि प्रशासन भी हमारे खिलाफ हो जाता है। जो सरकार में हैं वे हमारे खिलाफ हो जाते है और जो विपक्ष में होते हैं वे हमारे साथ हो जाते हैं लेकिन वही जब सरकार में आते हैं तो वे हमारे खिलाफ हो जाते है। एक विषय को लेकर उनका सुर सत्ता में आते ही बदल जाता है। इससे निराशा होती है . वास्तव में यह लड़ाई बहुत कठिन है।
सूचना का अधिकार कानून कितना कारगर ?
सूचना का अधिकार कानून कितना कारगर है, इस पर उन्होंने बताया कि आर टी आई के माध्यम से 57 हजार करोड़ रु जो फाइलों में थीं आर टी आई के माध्यम से ही उसे हमने बाहर लाया। यह सरकार को मिल रहा है या नहीं इसका भी फॉलो अप कर रहे हैं. पब्लिक की नजर में इसका खुलासा हुआ। इतनी बड़ी राशि सरकार के खजाने से बाहर थी। 57 हजार करोड़ की रिकवरी नोटिस जारी करवाने में हमें आर टी आई से ही सफलता मिली।
उनके अनुसार सबसे पहले ग्वाल पहाड़ी की 464 एकड़ जमीन के मामले में सफलता मिली। रेपिड मेट्रो ने केवल 50 रु के स्टाम्प पर जमीन का काम कर लिया था। उन्होंने दावा किया कि 87 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी नहीं दी जिसकी रिकवरी हमारी आर टी आई से हुई और हमारी शिकायत जायज पाई गई।
इसी तरह एक व्यक्ति को एमसीजी में 5 लाख 35 हजार केवल ट्विटर और फेसबुक संभालने के लिए दे दिया था। 6 माह पूर्व हमने इसका खुलासा आर टी आई से किया और अब बताया गया कि इसे केंसिल कर सारा सामान रिकवर किया गया। हालांकि उसका पेमेंट तो तीन माह पूर्व ही रोक दिया गया था।
42 एकड़ जमीन केवल 94 करोड़ में दे दी
गुरुग्राम के अप्पू घर की चर्चा करते हुए श्री ढींगरा का कहना था कि कभी उनके घर में तत्कालीन भजपा प्रदेश अध्यक्ष राम विलास शर्मा ने प्रेस कान्फरेन्स में इसे mother of all corruption कहा था। मुझे खुशी हुई थी कोई हमारी बात सुनने को तैयार है। लेकिन् आज उनके सुर बदल गए है। अब मंत्री बनने के बाद वे कहते हैं यह illegal तो है लेकिन फ्रॉड नहीं है। बड़ा दुख होता है इस तरह की बातों से। अप्पू घर एक ऐसा ढांचा है जिससे पता चलता है कि हरियाणा में करप्शन किस कदर व्यवस्था पर हावी है।
उन्होंने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से 42 एकड़ जमीन केवल 94 करोड़ में दे दी गई जबकि आर टी आई में इसका जवाब मिल रहा है कि इस जमीन का सर्किल रेट 829 करोड़ है। लेकिन इस वेशकीमती जमीन को 94 करोड़ में दे देना किस तरह तर्कसंगत है ? यह 3 हजार करोड़ की जमीन है लेकिन कुछ लोगों को औने पौने दाम में दी गयी । वे लोग जो हुड्डा साहब (पूर्व सीएम ) के निवास पंडित पंत मार्ग में गए। जून में उनसे मिले और जून में ही लेटर ऑफ इंटेंट जारी हो गया , जुलाई में नोटिस निकल गए । दो कम्पनियों ने टेंडर भरा जबकि वे दोनों आपस में दूसरे प्रोजेक्ट में पार्टनर हैं। उसके बाद इन्होंने सारे नियमों को ताक पर रख कर इसका 10 प्रतिशत भाग रिटेलर को बेच कर 400 करोड़ ले लिया। इसके लिए हुडा की कोई अनुमति भी नहीं ली। इसका भी मामला दर्ज करवाया , इसमें अब तक कुछ नहीं हुआ। जब वर्तामान मुख्य मंत्री सत्ता में आये तो उन्होंने बहुत जोश दिखाई और इस मामले की विजिलेंस इन्क्वायरी के आदेश 26 मई 2015 को दिया लेकिन अभी तक कुछ नही हुआ।
प्रधान मंत्री को जांच के लिए लिखा
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विषय के बारे में अब माननीय प्रधान मंत्री को लिखा है। अपने पत्र के साथ एक लाख रु का चेक भी भेजा है। पत्र में कहा है कि अगर शिकायत गलत पाई जाए तो इसे पी एम फण्ड में जब्त कर लिया जाए और निकटतम चौक पर मुझे फांसी दे दी जाए। उनका दावा है कि अप्पू घर प्रबंधन अब इसे क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को 1480 करोड़ में बेचना चाहते हैं। पता चला है कि 480 करोड़ की राशि इनके यस बैंक के खाते में आ गयी है। अगर इसे 1400 करोड़ में बेचना ही था तो इसे हुडा बेचता और इसका लाभ सरकारी खजाने को मिलता जिससे पब्लिक को फायदा होता। 1400 करोड़ की जमीन 94 करोड़ में बेचने का क्या तर्क है ?
तीन जमातें पूरे हरियाणा को खोखला कर रहीं हैं
प्रदेश में सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार को लेकर किए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि हरियाणा में दुर्भाग्यवश राजीनीतिज्ञ, प्रशासन और कारपोरेट के बीच अनैतिक गठबंधन बहुत मजबूत है। ये तीन जमातें पूरे हरियाणा को खोखला कर रहीं हैं। और अप्पू घर इसका का मजबूत उदाहरण है। उक्त जमीन हुडा से 94 करोड़ में खरीदी लेकिन अब तक केवल 78 करोड़ रु ही जमा किये। 400 करोड़ में इसका 10 प्रतिशत बेच दिया, 700 करोड़ सिनेमा हॉल वालों के साथ लिया जबकि अब 1480 करोड़ में बेचने जा रहे हैं। इस तरह का तीव्र लाभकारी व्यवसाय हमने नहीं देखा है।
बस अड्डे की जमीन पर अप्पू घर
आर टी ई एक्टिविस्ट हरेन्द्र ढींगरा के अनुसार गुड़गांव मानेसर 2031 मास्टर प्लान में 2 एकड़ जमीन बस अड्डे के लिए रखी गयी थी जबकि 23 एकड़ दो सेक्टर के बीच में खाली जगह breathing स्पेस के रूप में रेखांकित थी। लेकिन अप्पू घर ने इसे कंक्रीट का जंगल बना दिया। यहां जगह नहीं रहने दी। गुड़गांव में कोई बस स्टैंड नहीं है। बस स्टैंड की जगह पर अप्पू घर खोलना फिर 50 लाख लीटर पानी प्रतिदिन उपयोग कर रहे हैं। गर्मी में इस तरह का जल दोहन कैसे सही है ? एन जी टी में मामला दायर किया है।
निकटतम चौराहे पर फांसी दे दें
एक सवाल पर उनका कहना था कि इस मामले में सीएम साहब से तो बहुत बार मिला, पीएम से 2 सितंबर 2016 को मिला। उनसे भी इन्क्वायरी के लिए निवेदन किया। अब हमने पीएम को पत्र लिख कर एक लाख रु का चेक भी भेजा है। हमने कहा है कि अगर शिकायत झूठी हो तो इसे पीएम फंड में जब्त कर लिया जाए। उन्होंने दोहराया कि यहाँ तक कहा है कि अगर शिकायत गलत हो तो निकटतम चौराहे पर फांसी दे दें। इससे ज्यादा हम क्या कह सकते हैं। हां सरकार की बात जहां तक है गुरुग्राम के सेक्टर 29 स्थित केओडी मामले में उन्होंने हमारी बात सुनी और अब उनके साथ करार को निरस्त करने का नोटिस भी जारी कर दिया है। 200 करोड़ की लीज लैंड को मॉर्गेज कर दिया था ।
उनका स्पष्ट कहना था कि अप्पू घर वाले मामले में विजिलेंस जांच के लिए अधिकृत अधिकारी ने अब तक उनसे कोई संपर्क नहीं किया है और न ही उनका बयान लिया गया। “हमें केवल आर टी आई का सहारा है। हमें इसके माध्यम से ही पता चलता है कि इसमें क्या प्रोग्रेस है। जनवरी 2018 में आर टी आई रिप्लाई में बताया गया कि जांच चल रही है।”
हम सबको मारने के लिए किसी बम की जरूरत नहीं
अरावली पहाड़ी के साथ छेड़छाड़ के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम लोग कहाँ जा रहे हैं, हम आपने पहाड़ बेच रहे हैं , अपनी नदियां बेच रहे हैं, अपना आसमान बेच रहे हैं और अपनी हवा बेच रहे हैं। अगर पूरे एन सी आर में अरावली को काट कर बेच दिया जाए तो हम हवा कहां से लेंगे। आपने नवंबर 2017 में देखा कि एनवायरनमेंट का पीएम 680 तक चला गया था अगर यह 800 तक चला जाए तो एटम बम की तरह हो जाएगा। यह रिसर्च किया हुआ है अगर अरावली हटा दिया तो पीएम 1000 को पार कर जाएगा फिर हम सबको मारने के लिए किसी बम की जरूरत नहीं है। सब मर जायेगा। हम लोग क्यों आने वाली generation को समाप्त करना चाहते हैं ?
लालच में दुनिया भर की जमीन खरीद ली
केवल चंद अधिकारियों एवं मंत्रियों की जमीनें हैं। अगर वहां से सड़क निकालेंगे तो उनकी ज़मीनों के भाव बढ़ जाएंगे और उन्हें लैंड aquisition एक्ट के तहत मार्केट रेट से तीन गुना अधिक मुवाबजा मिलेगा। इसलिए उन्होंने लालच में दुनिया भर की जमीन खरीद ली और वहां से रोड निकलने की तैयारी थी। कुछ करोड़ के लिए आने वाले बच्चों का भविष्य अंधकारमय बनाने का प्रयास था। कोशिश थी कि कुछ बड़े अमीर लीगों के संस्थानों तक हाइवे पहुंचाने की जिसमें एक पाथवेज स्कूल भी शामिल है।
यह सुन कर आश्चर्य होगा लेकिन सत्य है कि सिकंदरपुर नाला पर पुलिस स्टेशन का अवैध कब्जा है। इसका खुलासा आर टी आई से हुआ। जिसकी कलई खुलती है वे लोग हमारे दुश्मन बन जाते हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि हम सभी की आने वाली पीढ़ी के लिए लड़ रहे हैं।
इसी प्रकार हमने टेलीफोन ऑपरेटर पर 12 हजार करोड़ की रिकवरी का मामला दायर किया। सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने खुद जाकर कहा कि इन पर 29 हजार करोड़ बाकी है लेकिन इनसे वसूली के लिए जबरदस्ती नही किया जाए।
अनुभव बेहद खट्टा रहा
सरकारी विभागों से सूचना हासिल करने के मुद्दे पर उनका अनुभव बेहद खट्टा रहा है. उन्होंने साफ़ किया कि कभी भी फर्स्ट स्टेप में सूचना नहीं मिलती है। तीसरे चौथे पायदान पर जाकर जानकारी मिलती है। सरकारी अधिकारियों का पहला attitude होता है कि सूचना मांगने वालों को मना करो, फिर दूसरा इन्हें धमकाओ, तीसरा इन्हें थका दो , तब भी नही हारते हैं तो तो सूचना दी जाती है। कभी कभी आर टी आई के लिए हाई कोर्ट तक जाना पड़ता है।
आर टी आई कानून किसी तरह के बदलाव की आवश्यकता के सवाल पर श्री ढींगरा ने बल देते हुए कहा कि यह बहुत बढ़िया कानून है, इसमें दंड का भी प्रावधान है। इसकी धारा 20 में सूचना नहीं देने वालों के खिलाफ दंड का प्रावधान है लेकिन आयुक्त इसका उपयोग नहीं करते हैं। 25 हजार का जुर्माना और अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान भी है। इसलिए इसे बदलने की जरूरत से नहीं है.
रिटायर्ड अधिकारी को आयुक्त बना देते हैं
चिंता इस बात को लेकर है कि सत्ताधारी पार्टी हमेशा रिटायर्ड अधिकारी को आयुक्त बना देते हैं जो सरकार के समर्थन में रहते हैं। यह तो आर टी आई एक्ट ही है जो हमें कुछ देता है जबकि अन्य एक्ट लेता है। 2005 से लेकर अब तक की आर टी आई एक्ट की यात्रा बेहद कठिन रही है लेकिन इससे काम निकलते हैं। इसलिए लोगों को इसे दिनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए।
राइट टू सर्विस और राइट टू इन्फॉर्मेशन की एक कमीशन
राइट टू सर्विस और राइट टू इन्फॉर्मेशन की हियरिंग के लिए एक कमीशन गठन करने के सुझाव का स्वगत करते हुए उन्होंने कहा कि ” हाँ मेरा यह मानना है कि राइट टू सर्विस और राइट टू इन्फॉर्मेशन को एक ही कमीशन के तहत कर देना चाहिये। जब हमने इस पर बात की तो हरियाणा के वर्तमान सीएम इसको लेकर सहमत थे लेकिन अधिकारी वर्ग इसमें अड़ंगा लगाते हैं।
हरियाणा में हर स्तर पर पैसे का दुरुपयोग
भ्रष्टाचार पर आखिर रोक कैसे लगे, इस पर उनका मत था कि हर स्तर पर पैसे का दुरुपयोग है। हरियाणा सरकार ने साढ़े तीन साल में सरकारी विज्ञापन पर 366 करोड़ खर्च किया है जो अतार्किक है। प्रिंट मीडिया पर 80 प्रतिशत जबकि एलॉट्रॉनिक पर 16 प्रतिशत। यह पूरी तरह पर्सनलाइज्ड विज्ञापन हैं । इसमें जनहित नगण्य है। क्योंकि काम के टेंडर्स तो ई टेंडर्स हो रहे हैं। कुल मिलाकर करप्शन को समाप्त करने में सरकार की इच्छाशक्ति कमजोर है। सबसे महत्वपूर्ण है कि इसके प्रति पब्लिक जागरूकता। लोगों में वित्तीय जागरूकता का अभाव है। नार्थ इंडिया में आर टी आई एक्टिविस्ट का जन अभियान मंच है जो लोगों को जागरूक करता है। आर टी आई के माध्यम से हम जवाबदेही तय कर सकते हैं। चाहे वह पंचायत हो या मंत्रालय।
युवा अधिकारियों का attitude सकारात्मक
सुचना के अधिकार के प्रति अधिकारियों के रवैये पर उनका कहना था कि कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं जो एकाउंटेबिलिटी तय करना चाहते है लेकिन कुछ टरकाने में विश्वास रखते हैं। हाँ युवा अधिकारियों का attitude इन्फॉर्मेशन देने का रहता है लेकिन पुराने अधिकारी सूचना देने से कतराते हैं।