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विधायक, नेता और बड़ी संख्या में उलेमा और प्रमुख लोग पहुंचे
नेताओं ने परिवार को सांत्वना और मदरसा की आर्थिक मदद की
यूनुस अलवी
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आप को बता दें कि षुक्रवार की षाम पुन्हाना खंड के गांव झिमरावट स्थित इसलामी मदरसा की आंधी-तूफान चलते मदरसा और मस्जिद को भारी नुकसान हुआ था। मदरसा और मस्जिद की मिनार टूट कर आठ कमरों पर छतों पर जा गिरी जिसकी वजह से मदरसा में पढने वाले दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। अषफाक की अस्पताल ले जाते समय दिल्ली के धौला कुआ के नजदीक मौत हो गई थी। दूसरे छात्र का अस्पताल में इलाज चल रहा है।
अपनी जान गवांकर दूसरों की जान बचाई
मरने वाला अषफाक बहुत ही होनहार बालक था वह मात्र 14 साल का था लेकिन बेहद होषियार था। बहुत की कम उम्र में अषफाक ने कुरान के 30 (पारा) हिस्सों में से 14 को कंठक याद कर लिया था। अषफाक के उस्ताद मोलाना अबदुल लतीफ ने बताया कि जिस समय हादसा हुआ कुछ बच्चे मस्जिद के अंदर पढ रहे थे, जैसे ही तेज हवाओं की वजह से मदरसा की टीन षेड जोर-जोर हिल रही थी तो अषफाक दौडकर मस्जिद के अंदर गया और कुरआन पढ रहे बच्चों और लोगों को निकालने लगा कि तूफान आ रहा है मस्जिद से बहार निकलो, उसके 10-15 को मस्जिद से निकाल भी दिया था, अचानक मस्जिद की मिनार टूट की मस्जिद की छत पर गिर गई जिसके नीचे अषफाक दब गया उसके दोनो पैर टूट गए और सिर में गहरी चोट आ गई।
अषफाक का नहीं कराया पोस्टमार्टम
पिता बोले मेरा बेटा शहीद हुआ, पोस्टमार्टम कराकर बेकद्री नहीं कराना चाहता
छात्र अषफाक ने दिल्ली अस्पताल ले जाते समय धौला कुआ के नजदीक रात के समय दम तौड दिया। उसके बाद मरदसा के संचालक उसे रात करीब 12 बजे पिनगवां थाना लेकर आए जहां मृतक के पिता दीनू ने पुलिस से कहा कि वह अपने बेटा का पोस्टमार्टम नहीं कराना चहाता उसके ऐसी ही दफनाना चहाता हूं। मेरा बेटा षहीद हुआ, पोस्टमार्टम कराकर उसकी बेकद्री नहीं कराना चहाता। पिनगवां थाना प्रभारी सतबीर सिंह ने बताया कि मामला नगीना थाने का था इसलिए परिजनों को वहां भेज दिया गया था।
मृतक के पिता दीनू का कहना है कि उसके पांच लडके है। एक जेसीबी चलाता है एक बहुत छोटा तथा तीन लडके झिमरावट के मरदसा में धार्मिक पढाई करते है। दीनू का कहना है कि उसके बेटा षहीद हुआ है। वहीं अषफाक की मौत से आसपास के गावों में मातम का माहौल है।