अंततः इसरो का संचार उपग्रह जीसैट-6ए से संपर्क टूट गया !

Font Size

नई दिल्ली। अंततः इसरो का संचार उपग्रह जीसैट-6ए से संपर्क टूट गया है। इसरो की वेबसाइट ने इस खबर की पुष्टि कर दी है। बताया गया है कि आखिरी चरण में लैम इंजन की फायरिंग के दौरान ही सैटेलाइट से इसरो की टीम का संपर्क टूट गया। इसरो ने वेबसाइट पर जीसैट-6ए के लिए जारी अपडेट में बताया है कि जीसैट-6ए सैटेलाइट को लैम इंजन फायरिंग की मदद से 31 मार्च की सुबह सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित कर दिया गया था। सैटेलाइट सामान्य संचालन करने लगा था तभी आखिरी फायरिंग में सैटेलाइट से संपर्क टूट गया। इसरो की ओर से वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट से दोबारा संपर्क जोडऩे की अथक कोशिश की।

उल्लेखनीय है कि इसरों की ओर से इस उपग्रह जीसैट-6ए का गुरुवार को प्रक्षेपण किया गया था। यह भी 2015 में छोड़े गए अपने पूर्ववर्ती जीसैट-6 की तरह विवादों में उलझा रहा था। दो हजार किलो के यह दोनों उपग्रह विवाद का विषय रहे हैं।

बताया जाता है कि इसके 90 फीसदी ट्रांसपोंडर इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन द्वारा एक एग्रीमेंट के तहत देवास मल्टीमीडिया लिमिटेड को पट्टे पर दिए जाने थे जो फरवरी 2011 में रद्द हो गया था.  कहा जा रहा है कि यह देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने में विफल रहा था। इस विवादास्पद सौदे के तहत बेंगलुरू की देवास कंपनी 12 साल तक अपनी डिजीटल मल्टीमीडिया सेवा के लिए जीसैट-6 और जीसैट-6 ए के ट्रांसपोंडरों का प्रयोग महत्वपूर्ण एस-बैंड वेवलैंथ में करने वाली थी । गौरतलब है कि एस-बैंड वेवलैंथ मुख्य रूप से देश के रणनीतिक हितों के लिए रखी जाती है।

इसरो ने देवास के साथ जनवरी, 2005 में 30 करोड़ डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे और सरकार को सूचित किए बिना दो उपग्रहों (जीसैट-6 और जीसैट-6 ए) के लिए अंतरिक्ष आयोग और केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी प्राप्त कर ली थी. इसके तहत 90 फीसदी की भारी भरकम क्षमता मल्टीमीडिया सेवा प्रदाता को पट्टे पर दी जानी थी।दिसंबर 2009 में विवाद सामने आने के बाद सरकार के स्वामित्व वाले इसरो ने सौदे की समीक्षा का आदेश दिया और अंतरक्षि आयोग ने जुलाई 2010 में इस सौदे को रद्द करने की सिफारिश कर दी। फलस्वरूप पांच फरवरी 2011 को सौदा  को रद्द कर दिया।

You cannot copy content of this page