जिला बार एसोसिएशन गुरुग्राम का चुनाव प्रचार चरम पर
जिला अदालत की गलियां उम्मीदवारों के पोस्टरों से अटे पड़े
चैम्बर आवंटित करने से लेकर महिला वकीलों की सुरक्षा जैसे कई ज्वलंत मुद्दे चर्चा में
चुनाव आगामी 6 अप्रेल को होना निर्धारित
गुरुग्राम : गुरुग्राम जिला बार एसोसिएशन की नई कार्यकारिणी का चुनाव आगामी 6 अप्रेल को होना निर्धारित है. अध्यक्ष सहित सभी पदों के लिए मैदान में उतरे उम्मीदवार व उनके समर्थक अपने अदालती काम काज के अलावा सर्वाधिक फोकस अपने चुनाव प्रचार पर कर रहे हैं. जिला अदालत की गलियां उम्मीदवारों के पोस्टरों से अटे पड़े हैं. बार एसोसिएशन में पंजीकृत लगभग 5 हजार वकीलों तक पहुँचने और उन्हें अपने पक्ष में वोट डालने के लिए गोलबंद करने की प्रतिस्पर्धा वकीलों के अलग अलग गुटों में तेज हो चली है. प्रति वर्ष होने वाले इस महत्वपूर्ण चुनाव में इस बार चैम्बर आवंटित करने से लेकर महिला वकीलों की सुरक्षा जैसे कई ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं जिन पर जिला के वकीलों की दुनिया में गरमागरम चर्चा हो रही है. रचनात्मक मुद्दे के अलावा कुछ उम्मीदवार इस चुनाव में भी जाति व समुदाय के आधार पर वोट मांग रहे हैं जबकि कई वकील, बार एसोसिएशन के काम काज में पारदर्शिता लाने को मुद्दा बना रहे हैं.
जो यहाँ प्रैक्टिस नहीं करते ?
न्यायिक दुनिया की प्रतिष्ठा से जुड़े इस चुनाव में बहस का विषय बन चुके विभिन्न मुद्दों व परिस्थितियों पर thepublicworld.com न्यूज पोर्टल के चीफ एडिटर सुभाष चौधरी से ख़ास बातचीत में जिले की वरिष्ठ महिला वकील अंजू नेगी रावत ने उन सभी मुद्दों को बेबाकी से रेखांकित किया जिसको लेकर अधिकतर वकील सक्रीय हैं. उनके अनुसार इस बार सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा यहाँ निर्माणाधीन जस्टिस टावर में एडवोकेट्स चेंबर के आवंटन का है. उनके अनुसार यहाँ जिला न्यायालय परिसर के ब्लाक ए, बी, सी और पोटा केबिन में बहुत सारे ऐसे वकीलों को चैम्बर्स अलोट कर दिए गए हैं जो यहाँ प्रैक्टिस नहीं करते हैं. ऐसे लोग दिल्ली या फिर किसी न किसी पड़ोस के शहर में प्रैक्टिस करते हैं लेकिन उन्हें भी किसी न किसी वजह से चैम्बर्स मिल गए हैं. उनका कहना है कि वकीलों के लिए यह एक बड़ा विषय है कि जब नई बार बनेगी तब इस मसले से कैसे निपटा जाएगा. इसके लिए किस प्रकार के बायलोज बनेंगे ? जस्टिस टावर के चैम्बर के आवंटन की क्या व्यवस्था बनाई जाएगी ?
बहुत से एडवोकेट्स अब तक इस सुविधा से वंचित
यहाँ चैम्बर्स पर कब्जा जमाये कई ऐसे भी वकील हैं जो लॉ की प्रैक्टिस भी नहीं करते हैं और अपने दूसरे काम के लिए इस सुविधा का इस्तेमाल करते हैं. उनका कहना है इससे जो वास्तव में जनता को न्याय दिलाने के लिए काम कर रहे हैं ऐसे बहुत से एडवोकेट्स अब तक इस सुविधा से वंचित हैं. एक सवाल के जावब में उन्होंने बताया कि यहाँ लगभग 5 हजार वकील बार में पंजीकृत हैं जबकि केबिन एवं सीटिंग सुविधा इससे काफी कम है. केबिन की संख्या की बात की जाए तो यहाँ ए, बी और सी ब्लोक्स में लगभग 600 केबिन, लगभग 500 पोटा केबिन जबकि एक से लेकर सात नंबर हाल्स में सीटिंग की व्यवस्था है.
कोई पारदर्शी नियम नहीं बनाया
एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि लम्बे अर्से से चली आ रही इस समस्या के निराकरण के लिए बार ने अब तक कोई पारदर्शी नियम नहीं बनाया जिससे काफी वकीलों को इस असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है.
दो एडवोकेट्स के नाम आवंटित किये जाएँ चैम्बर
जब उनसे यह पूछा गया कि इस समस्या से कैसे निपटा जाए तो श्रीमती रावत का कहना था कि इस बार चुनाव में वकीलों की ओर से यह मांग उठ रही है कि अब एक चैम्बर दो एडवोकेट्स के नाम आवंटित किये जाएँ जबकि प्रैक्टिस नहीं करने वाले एडवोकेट्स को मतदाता सूचि से बाहर किया जाए. संकेत है कि इस बार, बार एसोसिएशन की मतदाता सूचि छोटी होने जा रही है. कुल मतदाताओं के सावल पर उन्होंने बतया कि इस बार लगभग 2600 वोटर्स रह गए हैं क्योंकि उन एडवोकेट्स की पहचान की गयी जो यहाँ जिला अदालत में प्रैक्टिस नहीं करते हैं या फिर लॉ प्रैक्टिस ही नहीं करते हैं. साथ ही ऐसे वकीलों से हलफनामा भी लिए गए हैं जिन्हें यहाँ चैम्बर्स आवंटित है. ऐसे में सूचि से काफी नाम बाहर कर दिए गए हैं. उन्होंने बार एसोसिएशन की ओर से उठाए गए इस कदम की सराहना की और इसका अनुसरण आगे भी करने की मांग की .
अपने चैम्बर दूसरे एडवोकेट्स को बेच दिए
जब उनसे यह पूछा गया कि कई वकील ऐसे भी हैं जो यहाँ आवंटित चैम्बर्स का उपयोग अपने दूसरे प्रकार के काम के लिए करते हैं या फिर कुछ ने अपने अपने चैम्बर दूसरे एडवोकेट्स को बेच दिए, क्या यह लीगल है ? तो उनका कहना था कि चैम्बर्स बार की प्रॉपर्टी है और इसे किसी भी सूरत में नहीं बेचा जा सकता. उन्होंने माना की इस प्रकार की काफी शिकायतें हैं और वकीलों की ओर से इस सवाल पर भी बार एसोसिएशन से पारदर्शी व निश्चयात्मक निर्णय की अपेक्षा की जा रही है. उन्होंने कहा कि अब प्रॉपर्टी डीलिंग की इन गतिविधियों पर रोक लगने की उम्मीद है.
200 महिला अधिवक्ता पंजीकृत लेकिन केवल 50 ही प्रैक्टिस में
महिला अधिवक्ता के सवाल पर उनका कहना है कि यहाँ लगभग 200 महिला अधिवक्ता पंजीकृत है लेकिन मुश्किल से 50 ही प्रैक्टिस में हैं. इसलिए उनकी आवाज अक्सर दब जाती है. उनके विषयों को अपेक्षित तवज्जो नहीं मिल पाती है. उनके अनुसार जिला बार एसोसिएशन के चुनाव में कम संख्या के कारन महिला अधिवक्ताओं की भूमिका बहुत असरदार नहीं रहती है. जब उनसे महिला अधिवक्ताओं द्वारा सामना करने वाली समस्याओं के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि सीट्स का आवंटन हो या फिर चैम्बर्स का आवंटन कभी भी उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जाती है. यह बेहद चिंतनीय है. अंजू नेगी रावत के अनुसार यहाँ पहले लेडी बार रूम नहीं था लेकिन इस विषय को उनके द्वारा उठाये जाने के बाद यह व्यवस्था तो हो गयी लेकिन अब भी कई विषय हैं जिसको लेकर महिला अधिवक्ताओं की मांग बरकरार है. दूसरा बड़ी समस्या है यहाँ महिला अधिवक्ताओं के लिए बने प्रसाधन की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होना. इसकी साफ़ सफाई की व्यवस्था ठीक नहीं है जबकि अपनी सुरक्षा को लेकर भी उनकी चिंता बनी रहती है. उन्होंने इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की कि कई बार अनधिकृत लोग परिसर में प्रवेश पा लेते हैं. कई बार परिसर में भीख मांगते लोग दिख जाते हैं जो असुरक्षा व अव्यवस्था की ओर इशारा करते हैं.
कोर्ट फीस समय पर उपलब्ध नहीं
कोर्ट फीस और स्टाम्प पेपर की कमी को लेकर अक्सर उठने वाले सवाल पर उन्होंने स्वीकार किया कि इसकी कमी महिला वकील भी महसूस करतीं हैं क्योंकि कोर्ट फीस समय पर उपलब्ध नहीं होने से उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
बार की भूमिका बेंच के साथ मॉडरेट रिलेशनशिप स्थापित करना
बार एसोसिएशन इन मुद्दों को लेकर क्यों संवेदनशील नहीं होती है ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बार की भूमिका बेंच के साथ मॉडरेट रिलेशनशिप स्थापित करना है और वकीलों की सुविधाओं और असुविधाओं की चिंता करना है लेकिन दुर्भाग्य से व्यावहारिक रूप से ऐसा नहीं हो पाता है. अक्सर व्यक्तिगत हित को प्राथमिकता देने के आरोप लगते हैं जो उचित नहीं . उन्होंने माना की इसमें करेक्शन करने की जरूरत है.
ऑनलाइन इनफार्मेशन या पेपर्स मुहैया कराने की व्यवस्था
आधुनिक सुविधाओं के मामले में अंजू रावत ने बताया कि यहाँ ऑनलाइन इनफार्मेशन या पेपर्स मुहैया कराने की व्यवस्था तो की गयी लेकिन यह नियमित तौर पर अपडेट नहीं किये जाते हैं. इससे इस व्यवस्था का लक्ष्य पूरा होता नहीं दिखता है और न ही पेपर लेस काम करने की ओर हम बढ़ पा रहे हैं. इस प्रकार की सुविधा के उपयोग के प्रति हममें इच्छाशक्ति का अभाव दिखता है.
एडवोकेट्स के लिए काम का रचनात्मक माहौल मुहैया कराना
उनके विचारों में एडवोकेट्स के लिए काम का रचनात्मक माहौल मुहैया कराना बार एसोसिएशन की जिम्मेदारी है और इसे बखूबी निभाया जा सकता है. अपकमिंग वकीलों के लिए यहाँ कोई व्यवस्था नहीं है. उन्हें प्रोफेशनल तौर पर प्रशिक्षित करने की व्यवस्था भी नहीं है जबकि उनके बैठने तक की वयवस्था भी नहीं है. उनके विचारों में सीनियर और जूनियर्स के बीच तारतम्य स्थापित करना बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि पिछले 12 साल की वकालत अवधि के दौरान उन्होंने इस बात की बड़ी कमी महसूस की. कुछ अच्छी परम्पराओं को आरम्भ करने पर बल देते हुए उन्होंने मांग की कि यहाँ नए एडवोकेट्स को वेलकम करने के लिए एक सेल होनी चाहिए जहाँ हम उन्हें वकालत के विविध क्षेत्रों की जानकारी दे सकें और एक सीनियर के रूप में उन्हें गाइड कर सकें. यंग एडवोकेट्स के वेलफेयर की चिंता करना हम सीनियर्स की जिम्मेदारी है. यहाँ काम का वातावरण मुहौया कराने में सीनियर्स को सक्रिय भूमिका अदा करनी चाहिए.
उम्मीदवारों के बीच खुली या लाइव बहस कराने की परम्परा नहीं
बार चुनाव में उम्मीदवारों के बीच इन विषयों को लेकर खुली या लाइव बहस कराने की परम्परा आरम्भ करने को लेकर उनका कहना था कि इससे सभी उम्मीदवार कतराते हैं. कारण जो भी रहा हो लेकिन मतदाताओं के सामने सार्वजानिक रूप से बहस कराने की कई बार वकीलों की ओर से मांग उठी लेकिन उम्मीदवारों की बेरुखी से यह धरातल पर नहीं आ नहीं सकी. उन्होंने स्पष्ट किया कि एक कई वर्ष पूर्व उनकी ओर से इस दिशा में पहल की गयी थी और सभी उम्मीदवारों को एक मंच पर लाने की कोशिश हुई थी लेकिन एक उम्मीदवार को छोड़ कर किसी ने भी इसमें रूचि नहीं दिखाई और प्रयास विफल रहा. वर्ष 2008 -09 के दौरान सर शादी लाल हाल में इसका आयोजन किया गया था लेकिन उम्मीदवार नहीं आये. हाँ इस बार जरूर ऐसी संभावना दिख रही है क्योंकि दो ऐसे उम्मीदवार हैं जो विषय आधारित बात करने को इच्छुक दिख रहे हैं.
चुनावी मेनिफेस्टो लांच करने से कतराते उम्मीदवार
अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए सामने आये उम्मीदवारों की ओर से अपना चुनावी मेनिफेस्टो लांच करने के सवाल पर उन्होंने बताया कि यह निराशा की बात है कि समाज को दिशा निर्देशित करने वाले प्रोफेशन के लोग अपने चुनाव के दौरान मुद्दे आधारित बात नहीं कर रहे बल्कि जात पांत की सीमा में बट जाते हैं. जहाँ तक महिलाओं की उम्मीदवारी का सवाल है कभी कभी कुछ महत्वहीन पदों पर सफलता मिलती रही है क्योंकि उन्हें आगे आने देने की सोच का यहाँ नितांत अभाव दिखता है.
मुद्दों के आधार पे वोट करना चाहिए
अंजू नेगी रावत ने जिला बार एसोसिएशन के सभी मतदाताओं से अपील की कि उन्हें मुद्दों के आधार पे वोट करना चाहिए और ऐसे उम्मीदवार का चयन करना चाहिए जो वास्तव में एडवोकेट्स के हितों का ख़याल रखने को सक्रिय रहें.