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चुनाव के मुहाने पर हिन्दू समुदाय को बांटने की कोशिश
नई दिल्ली। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने एक घिनौना व विभाजनकारी दांव खेल खेल दिया है। प्रदेश के सीएम सिद्धारमैया ने लिंगायत कार्ड खेल कर हिन्दू समुदाय के लोगों को बांटने की चाल चल दी है। खबर है कि सिद्धारमैया सरकार ने जस्टिस नागमोहन दास की लिंगायत धर्म अलग बनाने के सुझाव को स्वीकार करते हुए इसकी सिफारिश की है। कहा जा रहा है कि लिंगायत समुदाय हिंदू धर्म से अलग होने की मांग करता रहा है और उनकी मांग पर ही नागमोहन दास समिति का गठन किया गया था। सिद्धारमैया कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेज दिया है।
चुनाव के ऐन वक्त पर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की अचानक याद आ गयी। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया लगता है जब आने वाले दो माह में विधानसभा चुनाव संभावित है।
चुनाव के ऐन वक्त पर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की अचानक याद आ गयी। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया लगता है जब आने वाले दो माह में विधानसभा चुनाव संभावित है।
गौरतलब है कि लिंगायत समुदाय के मतदाता परंपरागत रूप से भाजपा के समर्थक रहे हैं और इस निर्णय से सीधा हिंदू वोट बैंक को विभाजित करने की कोशिश दिखती है। कांग्रेस के इस कदम से राज्य में भाजपा के हिन्दू वोट को एकजुट करने की कोशिश को झटका लगने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि लिंगायत कर्नाटक में ओबीसी श्रेणी में है । कुल आबादी का लगभग 17 प्रतिशत लिंगायत समुदाय से हैं। आकलन बताता है कि लगभग 100 सीटों पर इस समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा इसी समुदाय से हैं।