पानी का पता लगाने के लिए जीआईएस मैपिंग का प्रयोग
गुडग़ांव। गुडग़ांव के उपायुक्त टी एल सत्यप्रकाश ने कहा कि जिला में डेंगू पर नियंत्रण रखने के लिए जनसहयोग जरूरी है। यदि हम अगले 10-15 दिन अपने घर व आस-पास के क्षेत्र में मच्छर के लारवा को नही पनपने देंगे तो डेंगू का प्रकोप नही होगा। डेंगू को रोकने के लिए इस समय हम सभी सामुदायिक स्तर पर एक्शन लें।
श्री सत्यप्रकाश आज लघु सचिवालय के सभागार में प्रैस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार वर्षों की तुलना में गुडग़ांव जिला में इस बार डेंगू व मलेरिया के मामले अपेक्षाकृत कम पाए गए हैं। हम सभी को एकजुट होकर इन मामलों को बढऩे से रोकने के लिए अगले 10-15 दिनों तक और अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
आंकड़े देते हुए उपायुक्त ने बताया कि गुडग़ांव जिला में वर्ष-2012 में डेंगू व मलेरिया के 469 मामले, वर्ष-2013 में 375, वर्ष-2014 में 86 तथा वर्ष-2015 में 451 मामले पाए गए। इस बार अब तक डेंगू के 36 मामले सामने आए है। उन्होंने कहा कि गुडग़ांव जिला का क्षेत्रफल लगभग 300 वर्ग किलोमीटर है और पूरे क्षेत्र में कहां पानी खड़ा है, उसका पता लगाने के लिए जीआईएस मैपिंग का प्रयोग किया जा रहा है। फिर भी प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग हर जगह नही पहुंच सकता इसलिए जिला का हर व्यक्ति मच्छर का लारवा पनपने से रोकने में अपना सहयोग दे। खड़े पानी को निकालना संभव ना हो तो उसमें सप्ताह में एक बार मिट्टी का तेल डालें।
डेंगू से बचाव उपायों के बारे में आमजनता को जागरूक करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए उन्होनेें बताया कि जिला प्रशासन के पास 18 लाख मोबाइल नंबर उपलब्ध है जिनके पास मैसेज भेजे जा रहे हैं। इसके अलावा, 272 व्यक्तियों, जिनके यहां मच्छर के लारवा पाए गए है उनको नोटिस देकर चेताया गया है। हाई रिस्क एरिया में पिछले एक महीने से लगातार फोगिंग भी करवाई जा रही है। उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन डेंगू व मलेरिया से बचाव के लिए जीआईएस मैपिंग कर डाटा तैयार कर रहा है ताकि आने वाले समय में हम इनसे बचाव के लिए आवश्यक उपाय पहले से ही कर सके। डेंगू फैलाने वाला एडीज़ मादा मच्छर दिन में काटता है और साफ पानी में पनपता है। यह मच्छर 200 मीटर क्षेत्र में ही रहता है जिसकी वजह से एक घर में डेंगू होने पर उसके सदस्यों व आस-पास के क्षेत्रों मे डेंगू होने का खतरा रहता है। उन्होंने बताया कि जिला में चिकनगुनिया के भी 80 संदिग्ध मामले मिले हैं जिनके टैस्ट करने के लिए प्रशासन को आज मशीन प्राप्त हो जाएगी। कल से नागरिक अस्पताल में चिकनगुनिया के मामलों की जांच शुरू हो जाएगी।
उपायुक्त ने कहा कि चिकनगुनिया जानलेवा नहीं है, यह वायरल बुखार की तरह ही होता है जिसमें जोड़ो में दर्द होता है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला में जलभराव से फैलने वाली बीमारियों के लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है जिसका दूरभाष नंबर-0124-2222465 है तथा फोगिंग एक्टिविटी के लिए नगर निगम गुडग़ांव के टोल फ्री नंबर 18001801817 नंबर पर सूचित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यदि कोई भी व्यक्ति, समुदाय या आरडब्ल्यूए अपने क्षेत्र में डेंगू जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करवाना चाहती है तो वह हैल्पलाईन के माध्यम से संपर्क कर सकते है।
डीएचएफएल परामेरिका लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधि सुमन मजूमदार ने बताया कि डेंगू से बचाव के लिए कंपनी द्वारा वैबसाईट 222.द्धह्वद्व1ह्यस्रद्गठ्ठद्दह्वद्ग.शह्म्द्द की भी शुरूआत की गई है। वैबसाईट के माध्यम से रक्तदाताओं का डाटा भी तैयार किया जा रहा है ताकि जरूरत पडऩे पर रक्तदाता से संपर्क करके डेंगू पीडि़त मरीज़ की तुरंत सहायता की जा सके। इस अवसर पर उनके साथ सिविल सर्जन डा. रमेश धनखड़, नगर निगम के सिविल सर्जन डा. असरूद्द्ीन , उप-सिविल सर्जन डा. अरूणा सांगवान, डा. प्रदीप , हरसैक के डा. सुल्तान सिंह, मलेरिया अधिकारी डा. रामप्रकाश सहित कई चिकित्सक व गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।