क्या देश चुनाव के लिए फिर बैलेट पेपर की ओर लौटेगा ?

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सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक 

नई दिल्ली।  ईवीएम से हुए चुनाव में चुनाव जीतने के बाद भी विपक्ष की ओर से इस पर सवाल खड़ा किया जाना जारी है. यह आरोप विधान सभा चुनाव और लोक सभा के उपचुनाव में देश के कई हिस्सों से लगाए जा रहे हैं. आरोप है कि सत्ता पक्ष द्वारा वोटिंग मशीन में  छेड़छाड़ की जाती है. पिछले चार वर्षों में विपक्षी पार्टियों की ओर से बीजेपी पर चुनाव में कई बार आरोप लगाए गए । इस पर निर्वाचन आयोग ने सभी दलों को इसमें छेड़छाड़ करने की चुनौती भी दी जिसमें वे फेल रहे लेकिन कांग्रेस पार्टी ने फिर यह सवाल उठाया है. इस पर भाजपा का कहना है कि यदि विपक्षी पार्टियों को इवीएम से चुनाव कराने पर आपत्ति है तो फिर बैलेट पेपर के जरिए चुनाव कराने पर विचार किया जा

कांग्रेस पार्टी के महाधिवेशन के दौरान बैलट पेपर से चुनाव कराने का प्रस्ताव पारित कर इसकी मांग की गयी है.  इस संबंध में बीजेपी महासचिव राम माधव ने मिडिया से बातचीत में कहा कि यदि  देश के सभी दल इस पर सहमत होते हैं तो आने वाले समय में ईवीएम को हटा कर पुनः बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने पर विचार किया जा सकता है।

गौरतलब है कि इस मामले में विपक्ष की दोहरी भूमिका नजर आती है. जब चुनाव में परिणाम उनके खिलाफ आते हैं तो वे ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाते हैं और जब परिणाम उनके हक में आते हैं तो उनकी ओर से चुप्पी साध ली जाती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि देश में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद कई राज्यों के चुनाव हो चुके हैं और उनमें भाजपा की हार भी हुई है. इसका जीता जागता उदाहरण है बिहार , पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के विधान सभा चुनाव जहाँ भाजपा हारी और क्षेत्रीय विपक्ष दलों को जीत मिली. तब ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत किसी भी दल ने नहीं की. बिहार के सीएम नितीश कुमार और पंजाब के सीएम व कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह ने इस सवाल को यह कहते हुए बेमानी बता दिया की अगर ईवीएम नहीं होता तो वे चुनाव ही नहीं जीत पाते. पश्चिम बंगाल में भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी थी लेकिन ममता बनर्जी भारी बहुमत से चुनाव जीत कर सत्ता में वापस आई. इसी प्रकार गोवा में भाजपा व कांग्रेस बराबर की स्थिति में रही. उत्तराखंड , असम और हिमाचल में भाजपा को जीत मिली.

ईवीएम पर सवाल उठाने वाले विपक्ष के सुर तेज तब हुए जब भाजपा ने उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया. इससे तिलमिलाई बसपा व सपा ने ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए इसे चुनाव से दूर रखने की मांगी की जबकि कांग्रेस ने भी उनके सुर में सुर मिला दिया.  हाल ही में हुए गुजरात विधान सभा के चुनाव से पूर्व भी कांग्रेस ने ईवीएम को लेकर आशंका जताई थी लेकिन चुनाव के परिणाम को देख कर इस पर चुप्पी साध ली थी. क्योंकि वहां उनकी स्थिति में काफी सुधार दिखा. अब एक बार फिर उनकी ओर से अपने अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव करवाने की मांग करने से यह सवाल फिर देश की राजनीति के केंद्र में आ गया है.

इस सवाल पर भाजपा की ओर से सकारात्मक जवाब मिले पर अन्य क्षेत्रीय पार्टियों की क्या राय रहती है यह देखने वाली बात होगी क्योंकि अभी अभी उत्तर प्रदेश और बिहार में हुए उपचुनाव में सपा बसपा गठबंधन और राजद को विजय मिली है. संभव है कि उन्हें यह भय हो कि अब आगरा ईवीएम पर सवाल खड़े किये जायेंगे तो जीती बाजी पर सवाल उठेंगे. फिर सपा बसपा के नेता किस मुंह से यह कह पायेंगे कि उत्तर प्रदेश की जनता ने मोदी व योगी की सरकार व उनकी नीतियों को नकार दिया है. 

 

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