सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक
गुरुग्राम, 26 फरवरी। निर्धारित समय अवधि में सरकारी विभाग के अधिकारी द्वारा सेवाएं नहीं प्रदान करने पर उस पर 20 हजार रूपए तक का जुर्माना हो सकता है। यह जुर्माना करने की शक्तियां हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग के पास हैं। इसके अलावा, आयोग द्वारा पांच हजार रूपए तक का मुआवजा आवेदक को भी अधिकारी से दिलवाया जा सकता है।
यह जानकारी आज हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग के चीफ कमीशनर एस सी चौधरी ने गुरुग्राम में आयोजित मण्डल स्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए दी। इस कार्यशाला में गुरुग्राम तथा फरीदाबाद मण्डलों के अंतर्गत पडऩे वाले जिलों के उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त उपायुक्त, एसडीएम, तहसीलदार, आबकारी एवं कराधान विभाग तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। फरीदाबाद मण्डल की आयुक्त डा. जी अनुपमा भी इस कार्यशाला में विशेष रूप से पधारी थी।
कार्यशाला में आयोग के चीफ कमीशनर एस सी चौधरी के साथ सदस्य एवं कमीशनर श्री सरबन सिंह, हरदीप कुमार, डा. अमर सिंह तथा सुनील कत्याल भी थे। श्री चौधरी ने अधिकारियों को बताया कि सेवा का अधिकार अधिनियम 26 मार्च 2014 को बना था। उसके बाद जुलाई 2014 में हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग गठित किया गया। उन्होंने बताया कि सरकारी विभागों का यह दायित्व है कि वे इस अधिनियम में निर्धारित समय अवधि के भीतर आम जनता को सेवाएं उपलब्ध करवाएं। उन्होंने बताया कि शुरू में सरकार द्वारा 168 सेवाएं अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित की गई थी उसके बाद इसमें और सेवाएं जोड़ी गई हैं जिन्हें मिलाकर अब लगभग 333 सेवाएं हो गई हैं, जो उपलब्ध करवाने के लिए समय सीमा निर्धारित की गई हैं।
उन्होंने कहा कि हर सरकारी कार्यालय के बाहर सार्वजनिक जगह पर एक बोर्ड लगा होना चाहिए जिस पर उस कार्यालय के माध्यम से आम जनता को दी जा रही सेवाओं का उल्लेख अधिसूचना में दी गई समय सीमा के साथ हो। यह बोर्ड लगवाने की जिम्मेदारी उस कार्यालय के डैजीग्रेटिड अधिकारी की है। श्री चौधरी ने बताया कि आयोग के सदस्यों ने प्रदेश के सभी जिलों का भ्रमण कर पाया है कि इस प्रकार के बोर्ड कु छ कार्यालयों के बाहर अभी तक नहीं लगे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में एक रजिस्टर लगाना जरूरी है जिसमें यह दर्ज किया जाए कि आवेदन किस तिथि को आया था और अधिकारी द्वारा मांगी गई सेवा प्रदान करके उसका निपटारा किस तिथि को किया गया। उन्होंने उपायुक्तों से कहा कि वे हर महीने अधिकारियों की बैठक के ऐजेंडे में इसे शामिल करें और अधिकारियों से इसकी रिपोर्ट भी तलब करें। उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा भी विभागों के माध्यम से रिपोर्ट मांगी जाएगी। उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि जिस प्रकार से इस अधिनियम को लागू किया जाना चाहिए था, उस प्रकार से अभी तक लागू नही हो पाया है। साथ ही उन्होंने कहा कि हम जन सेवक हैं और समयबद्ध तरीके से आम जनता को सेवाएं देना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि देरी करने से भ्रष्टाचार पनपने का भय रहता है। श्री चौधरी ने अधिकारियों से कहा कि समय सीमा के भीतर सेवाएं देने के लिए अपनी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है।
इस मौके पर आयोग के सदस्य एवं कमीशनर सरबन सिंह ने विस्तार से सेवा का अधिकार अधिनियम पर चर्चा की और बताया कि हालांकि अधिनियम में डैजीग्रेटिड अधिकारी द्वारा समय पर सेवाएं नहीं देने पर प्रथम एपेलेट अथोरिटी तथा द्वितीय एपेलेट अथोरिटी के पास अपील करने का प्रावधान दिया गया है, लेकिन आवेदक सीधे भी आयोग में शिकायत कर सकता है। उन्होंने कहा कि निर्धारित समय अवधि में सेवा नहीं देने पर कोताही करने वाले अधिकारी पर 20 हजार रूपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उस से आवेदक को भी 5 हजार रूपए तक का मुआवजा दिलवाया जा सकता है। श्री सरबन सिंह ने स्पष्ट किया कि समय अवधि उस समय से शुरू मानी जाएगी जब आवेदक ने सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ पूर्ण रूप से भरा हुआ आवेदन कार्यालय में जमा करवाया है।
आयोग के दूसरे सदस्य एवं कमीशनर हरदीप कुमार ने भी अधिनियम के प्रावधानों पर प्रकाश डाला और कहा कि सभी अधिकारियों को ‘नागरिक केंद्रित’ होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सरकारी विभाग से सेवाएं मांगने वाले आवेदक को रसीद भी अवश्य दी जाए। एक अधिकारी द्वारा यह पूछे जाने पर कि उनके कार्यालय में स्टाफ की कमी है तो हरदीप कुमार ने कहा कि इस विषय में वे राज्य सरकार से आग्रह करें। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि किसी मामले में सेवाएं देने में निर्धारित समय अवधि से ज्यादा समय लगता है तो उसका कारण भी रिकार्ड दर्ज करने वाले रजिस्टर में स्पष्ट किया जाए। इस अवसर पर आयोग के चीफ कमीशनर तथा सदस्यों ने अधिकारियों की सेवा का अधिकार अधिनियम से जुड़ी शंकाओं का भी समाधान किया।
आयोग को अब तक 200 शिकायतें मिलीं
हरियाणा के सेवा के अधिकार आयोग को अब तक 200 से ज्यादा शिकायतें प्राप्त हुई हैं और एक मामले में आयोग द्वारा देरी से सेवाएं देने के दोषी पाए गए अधिकारी पर 20 हजार रूपए का जुर्माना लगाया गया है।
यह जानकारी आज मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए आयोग के सदस्य एवं कमीशनर हरदीप कुमार ने दी। वे गुरुग्राम के नए लोक निर्माण विश्राम गृह में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। आयोग के दूसरे सदस्य सुनील कत्याल भी उनके साथ थे। एक सवाल के जवाब में हरदीप कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा अधिसूचित सभी सेवाएं राईट टू सर्विस कमीशन की वैबसाईट पर उपलब्ध हैं। कोई भी व्यक्ति वैबसाईट पर सेवा प्राप्त करने की अवधि देख सकता है। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि निर्धारित समय अवधि में सेवा नहीं मिलने पर कोई भी व्यक्ति ‘ह्म्ह्लह्यद्धड्डह्म्4ड्डठ्ठड्डञ्चद्दद्वड्डद्बद्य.ष्शद्व ’ पर ई-मेल के द्वारा सीधे शिकायत भेज सकता है। उन्होंने कहा कि समय पर लोगों को सरकारी विभागों से सेवाएं मिलेगी तो सरकार की छवि निखरेगी और गुड गवर्नेंस के राज्य सरकार के उद्देश्य को पूरा किया जा सकेगा। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि हर सरकारी कार्यालय में रजिस्टर लगाना जरूरी है जिसमें यह अंकित किया जाएगा कि आवेदन किस तिथि को प्राप्त हुआ तथा उसका निपटारा किस तिथि को किया गया। यह रिपोर्ट आयोग अपने पास भी मंगवाएगा। हरदीप कुमार ने बताया कि आज सभी अधिकारियों को बता दिया गया है कि उनके कार्यालय के बाहर कार्यालय से संबंधित सेवाएं प्रदान करने की अवधि के साथ प्रदर्शित करना जरूरी है।
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