केवल पांच देशों के पास है यह टेक्नोलॉजी
नई दिल्ली : भारत ने एनएवीआईसी नामक अपनी क्षेत्रीय नौपरिवहन प्रणाली तैनात की है, जिसमें 7 नौपरिवहन उपग्रह का तारामंडल तथा भारतीय क्षेत्र को स्थिति, नौवहन तथा समय सेवाएं प्रदान करने के लिए संबद्ध सतही वृत्तखंड की व्यवस्था है।
आईआरएनएसएस (एनएवीसी) ने स्थिति, नौपरिवहन और समय की जानकारी प्रदान करने में सक्षम बनाया है जिसका बड़े पैमाने पर सिविल और कुटनीतिक अनुप्रयोगों के लिए उपयोग किया जा सकता है जिसमें स्थलीय, हवाई और समुद्री नौपरिवहन, सटीक समय, आपदा प्रबंधन और चेतावनी संदेश, मैपिंग और जिओडेटिक आंकडे ग्रहण करना, वाहन ट्रैकिंग और बेड़े प्रबंधन, चालकों के लिए दृश्य और श्रव्य नौपरिवहन आदि शामिल हैं।
इस समय एनएवीआईसी तारामंडल के सात उपग्रह कक्षा में हैं, डीओएस/इसरो द्वारा आईआरएनएसएस-1 आई की प्रस्तुति प्रगति पर है, जिसमें इस उपग्रह की सज्जा, एकीकरण और परीक्षण करने के लिए निजी कंपनियों के समूह के साथ अनुबंध के उपयोग की व्यवस्था है। 2018 की पहली तिमाही के दौरान उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना है।
एनएवीआईसी भारत और इसके परिवेश सहित अंतरिक्ष में संकेत प्रदान करता है, यह स्थिति और समय को सही ढंग से निर्धारित करने के लिए जमीन पर रिसीवर का उपयोग करके उपयोग में लाया जा सकता है। विश्व में अंतरिक्ष में संकेत अमेरिका के जीपीएस, रूस के ग्लोनास, यूरोप के गैलीलियो और चीन के बेइडेन द्वारा मुहैया कराये जाते हैं। मौजूदा वैश्विक प्रवृत्ति, भू-आदाता का उपयोग करने के लिए है जो समय और स्थिति संबंधी समाधान प्रदान करने के लिए उपलब्ध कई संकेतों का उपयोग करते हैं।
यह सूचना केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जनशिकायत एवं पेंशन, आणविक ऊर्जा तथा अंतरिक्ष डॉ जितेन्द्र सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी।