अब पब्लिक डीलिंग वाले विभागों में फुल टाइम विजिलेंस अधिकारी तैनात होंगे

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सीएम ने विजिलेंस में भी बड़े बदलाव के दिए संकेत 

 

सुभाष चौधरी /प्रधान संपादक 

चंडीगढ़, 19 दिसंबर :  हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भ्रष्टाचार के प्रति सख्त रूख अपनाते हुए विजिलेंस प्रणाली को मजबूत बनाने की प्रतिबद्घता जताई है और मुख्य सतर्कता अधिकारियों को उनके संबंधित विभागों में भ्रष्टाचार के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक प्रभावी प्रणाली विकसित करने तथा खामियों को दूर करने के निर्देश दिए हैं। इसके अतिरिक्त, पब्लिक डीलिंग के विभागों, जहां भ्रष्टाचार की संभावना है, में पूर्णकालिक सतर्कता अधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता पर भी बल दिया है ताकि भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों का शीघ्र निपटारा किया जा सके।  
 
मनोहर लाल आज यहां सतर्कता विभाग द्वारा ‘मुख्य सतर्कता अधिकारियों की भूमिका और उत्तरदायित्व’ पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान शासन के प्रति लोगों में विश्वास बहाल करने का काम किया है जोकि पिछली सरकार के दौरान समाप्त हो गया था। उन्होंने कहा कि हम पहले दिन से ही भ्रष्टïाचार के विरूद्घ जीरो टोलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं। अब लोगों के विश्वास को और बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने भ्रष्टïाचार और अनियमितताओं पर पैनी नजर रखने के लिए विभागों, बोर्डों और निगमों में मुख्य सतर्कता अधिकारी पदनामित किए हैं।
 
मुख्य सतर्कता अधिकारियों को विजिलेटर के तौर पर काम करने का आह्वïान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि वे बेहतर काम करते हैं तो सम्मानित किया जाएगा। लेकिन यदि कोई अपनी ड्यूटी में कोताही बरतते पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिकायत की जांच अक्सर ऊपर से होते हुए अभियुक्त के पास ही पहुंच जाती है, जो बहुत गलत बात है। उन्होंने मुख्य सतर्कता अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि जिस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत की गई है उसकी जांच उसके स्तर तक नहीं जानी चाहिए बल्कि यह उससे कम से कम दो रैंक वरिष्ठï अधिकारी को भेजी जानी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की मिलीभगत न हो सके। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि तहसीलदार की जांच किसी भी हालत में अतिरिक्त उपायुक्त या उपायुक्त के स्तर से नीचे के अधिकारी के पास नहीं जानी चाहिए। इसके अलावा, जांच के बाद मुकद्दमा दर्ज करने की प्रक्रिया भी समयबद्घ होनी चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि किसी भी काम में लापरवाही या भ्रष्टïाचार की संभावना होने पर सतर्कता अधिकारियों को जनहित में स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने ‘न्याय में विलंब न्याय न होने के बराबर है’ कहावत का उल्लेख करते हुए कहा कि कोई गलत काम उनके ध्यान में आता है तो उन्हें इसे दबाने की बजाय उसकी विस्तृत जांच के बाद समय से कार्यवाही करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि निचले स्तर तक यह संदेश जाना चाहिए कि ‘यदि मैं कुछ गलत करुंगा तो बख्शा नहीं जाऊंगा’। उन्होंने कहा कि यदि अनजाने में कोई गलती हो जाती है तो ऐसे व्यक्ति को एक मौका दिया जाना चाहिए लेकिन जानबूझ कर गलती करने पर माफ न किया जाए। उन्होंने कहा कि निर्दोष व्यक्ति को न्याय अवश्य मिलना चाहिए लेकिन गलत आदमी को सजा भी मिलनी चाहिए। इस कड़ी में विभाग को और अधिक सतर्क व संजीदा होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद लोगों में भय पैदा करना नहीं है लेकिन ईमानदारी व्यक्ति के स्वभाव में होनी चाहिए। ईमानदारी हमारा गुण होना चाहिए। 
 
मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में तीन दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया था जिसमें जनहित के विभिन्न मुद्दों पर परिचर्चा के अलावा भ्रष्टïाचार के विरूद्घ अभियान को सघन बनाने पर भी विशेष बल दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस चिंतन शिविर में राज्य सरकार के मंत्रियों और वरिष्ठï अधिकारियों ने हिस्सा लिया था। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम लोकतंत्र में जी रहे हैं और जनता हमारे लिए सर्वोपरि है क्योंकि हम जनता के खजाने से पैसा लेते हैं। इसलिए हम उनके कल्याण और विकास पर खर्च की गई पाई-पाई का हिसाब उन्हें देने के लिए बाध्य हैं। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसा सिस्टम विकसित करना है जो जनता के लिए काम करे और जिसमें जनता की भी भागीदारी हो। हमें सरकार के ऊपर जनता का विश्वास कायम करना है और यह काम भ्रष्टïाचार के प्रति जीरो टोलरेंस तथा पारदर्शिता के माध्यम से ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जनता में विश्वास बहाली का यह काम सतर्कता अधिकारियों को करना होगा। 
 
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों की भर्ती की प्रणाली को सुचारू किया है। गु्रप सी और डी की भर्ती के लिए साक्षात्कार को समाप्त किया गया है ताकि भर्ती में किसी भी प्रकार के स्वविवेक को कम किया जा सके। इसके अलावा, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग तथा हरियाणा लोक सेवा आयोग को भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने विभागों को सक्षम युवा योजना के तहत युवाओं की सेवाओं का भी सदुपयोग करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत अब तक स्नातकोत्तर और विज्ञान स्नातक युवाओं से लगभग 40 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं।  
 
इससे पूर्व, मुख्य सचिव  डी.एस.ढेसी ने कहा कि सरकार द्वारा आमजन के कल्याण के लिए नई-नई योजनाएं चलाई जाती हैं। ऐसे में सरकारी खजाने के एक-एक पैसे का सदुपयोग हो और किसी तरह की कोई लिकेज न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार में केन्द्रीय सतर्कता आयोग के रूप में एक पूरा तंत्र मौजूद है। पिछले तीन वर्षों में प्रदेश में भ्रष्टïाचार के प्रति सख्त रवैया अपनाते हुए जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई गई है और इस दिशा में कई ठोस कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि शासन में स्वविवेक को कम किया गया है। उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में ई-रजिस्ट्रेशन प्रणाली और ई-नीलामी प्रणाली लागू की गई है।
 
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने कालोनियों के लाइसेंस व सीएलयू देने के अधिकार पुन: नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के निदेशक को सौंपे हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टï कर्मचारियों व अधिकारियों की शिकयत दर्ज करवाने व उनके बारे में सूचना देने के लिए टोल फ्री चौकसी हेल्पलाइन नंबर 1064 तथा टोल फ्री नंबर 1800-181-2022 शुरू किया गया है। राज्य सतर्कता ब्यूरो द्वारा शिकायतें भेजने के लिए व्हट्सअप नंबर- 9417891064 भी उपलब्ध करवाया गया है। लोगों को इन नंबरों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देने की आवश्यकता है ताकि आम आदमी अपनी शिकायतें दर्ज करवा सके। 
 
सतर्कता विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती नवराज संधू ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में मुख्य सतर्कता अधिकारियों की कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार बनने के बाद भ्रष्टïाचार पर अंकुश लगाने के लिए विभिन्न निर्देश जारी किए गये हैं।  मुख्य सतर्कता अधिकारियों के महत्व पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टïार को समाप्त करने में अहम भूमिका निभानी है। उन्होंने कहा कि सतर्कता विभाग द्वारा वर्ष 2015 से अब तक 362 ट्रेप केसिज के अतिरिक्त 445 मामले दर्ज किए हैं और 289 आकलन किए गये हैं।
 
इस अवसर पर कार्मिक, प्रशिक्षण तथा सतर्कता सचिव श्रीमती नीरजा शेखर, राज्य सतर्कता ब्यूरो के महानिदेशक श्री पी आर देव, राज्य सतर्कता ब्यूरो की महानिरीक्षक श्रीमती चारू बाली तथा तथा विभिन्न विभागों के मुख्य सतर्कता अधिकारी मौजूद थे।
 

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