गेंद राज्यों के पाले में , जीएसटी परिषद में इसे 75 फीसदी समर्थन चाहिए
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों को अंततः जीएसटी के तहत लाने का मन बना लोया है. कहा यह जा रहा है कि राज्यों के समर्थन के बाद ही इसे जीएसटी के तहत लाया जाएगा। केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में यह कहते हुए स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार पेट्रोलियम पदार्थो को जीएसटी के तहत लाने के पक्ष में हैं।
उनका कहना था कि हम राज्यों की सहमति का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि देर-सवेर राज्यों की सहमति भी इस विषय पर मिल जाएगी। उन्होंने साफ़ क्र दिया कि पेट्रोलियम पदार्थो को बाहर नहीं रखा गया है और यह जीएसटी कानून का हिस्सा है। इस पर जीएसटी लगाने का फैसला तभी लिया जाएगा, जब जीएसटी परिषद में इसे 75 फीसदी या तीन-चौथाई बहुमत से मंजूर किया जाएगा ।
उन्होंने जानकारी दी कि 115वें संविधान संशोधन में पहले से ही इसके लिए प्रावधान किया गया है, जिससे किसी भी कानून में कोई और संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि कई राजनीतिक दलों व व्यापारिक संगठनों की ओर से यह मांग की जाती रही है. सरकार ने आज स्थिति स्पष्ट क्र दी लेकिन उन्होंने यह गेंद राज्यों के पाले में डाल दिया. उनके अनुसार केंद्र सरकार तो ऐसा करनी चाहती है लेकिन राज्य सरकारों को ही सी पर आपत्ति है. संभावना इस बात की है कि इस मामले पर जनता की ओर से उठने वाली आबाज अगर बुलंद हुई तो सरकार को यह निर्णय लेना ही पड़ेगा. इसलिए सरकार देश के मूड को भांप रही है.
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