जयपुर : केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि देश में पुलों के रख-रखाव के लिए इंडियन ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम (आईबीएमएस) बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा ब्रिजों को लेकर डाटाबेस है। यह बात गडकरी ने जयपुर की राजपूताना शैरेटन होटल में शुक्रवार को आयोजित ‘रिपेयर, रिहेबिलिटेशन एण्ड रेट्रोफिटिंग ऑफ ब्रिजेज एण्ड स्ट्रक्चर’ विषयक अंतरराष्ट्रीय सेमीनार के विशेष प्लेनेरी सत्र में कही।
गडकरी ने कहा कि आईबीएमएस के मुताबिक देश में 1 लाख 70 हजार ब्रिज है। इनमें से 23 ब्रिज 100 वर्ष पुराने है,जबकि 147 ब्रिज आईसीयू में है। उन्होंने कहा कि 6 हजार 700 ब्रिजों को सुधारने की जरूरत है। अगर किसी पुल की मरम्मत पर 30 फीसदी से अधिक धनराशि खर्च होने का अनुमान होगा, तो पुल की मरम्मत नहीं होगी, बल्कि पुराने पुल को तोड़कर नया पुल ही बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि आईबीएमस पर 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे, और अब तक 70 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके है।
गडकरी ने बताया कि 11 राज्यों में पानी की किल्लत को देखते हुए पुलों के नीचे बांध जैसे गेट बनाने की योजना पर कार्य चल रहा है। जिससे पानी को रोका जा सके।
सेमिनार में मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, सार्वजनिक निर्माण एवं परिवहन मंत्री यूनुस खान ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर सावर्जनिक निर्माण विभाग के प्रमुख शासन सचिव आलोक, एनएचएआई और सीजीएम एम.के. जैन सहित उच्चाधिकारी मौजूद थे।
दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन सार्वजनिक निर्माण विभाग, राजस्थान सरकार के सहयोग से इंडियन नेशनल ग्रुप ऑफ इंटरनेशनल एसोसिएशन फोर ब्रिज एण्ड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग (आईएनजी – आईएबीएसई) एवं इंडियन रोड कांग्रेस द्वारा किया जा रहा है।