फिर एक मामले में गुरुग्राम पुलिस की छवि हो सकती है दागदार !

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हाई कोर्ट ने बहुचर्चित पिंकी चौहान आत्महत्या काण्ड की जाँच, आई जी, हिसार को सौंप दी  

सेक्टर 14 स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स कालेज की कई महिला प्रोफ़ेसर से होगी गहन पूछताछ 

गुरुग्राम पुलिस पर आई एस अधिकारियों के दबाव में जांच को कुंद करने के आरोप 

दो आरोपी महिला प्रोफ़ेसर के पति हैं आई ए एस, जबकि एक के पति राजनीतिज्ञ 

 

सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक 

फिर एक मामले में गुरुग्राम पुलिस की छवि हो सकती है दागदार ! 2गुरुग्राम : प्रद्युम्न ह्त्या काण्ड के बाद अब एक और बहुचर्चित काण्ड में भी गुरुग्राम पुलिस की फजीहत होने वाली है. पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरुग्राम के सेक्टर 14 स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स कालेज की छात्रा पिंकी चौहान की कथित आत्महत्या काण्ड की जाँच भी गुरुग्राम पुलिस से वापस लेकर आई जी हिसार रेंज, अमिताभ ढिल्लों को सौंप दी है. कोर्ट ने पीड़ित पक्ष की याचिका पर दिए अपने आदेश में तीन माह में जांच पूरी कर इसकी रिपोर्ट सम्बंधित कोर्ट में पेश करने को कहा है. पिंकी के परिवार वालों ने इस केस की जाँच सी बी आई से कराने की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने कहा कि इस जाँच से अगर याचिकाकर्ता संतुष्ट नहीं होंगे तो फिर मामला सी बी आई को सौंपे जाने पर विचार के लिए अदालत के समक्ष लाया जा सकता है. इस आदेश से गुरुग्राम पुलिस फिर संदेह के दायरे में है .

 

अभी रेयान पब्लिक स्कूल के छात्र प्रद्युम्न की रहस्यमय हत्या की जांच को लेकर उठ रहे सवालों से गुरुग्राम पुलिस को छुटकारा मिला भी नहीं है और अब एक और रहस्यमयी घटना की जांच इनसे छिन गयी है क्योंकि इन पर रसूखदार लोगों के प्रभाव में जाँच की दिशा बदलने का आरोप लगा है. जाहिर है पीड़ित पक्ष ने गुरुग्राम पुलिस पर इस तर्क के सहारे गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है कि उपरोक्त मामले की जांच निष्पक्षता के साथ नहीं की गयी. इस घटना में छात्रा को आत्मदाह के लिए कथित तौर पर उकसाने वाले लोगों का सम्बन्ध बड़े लोगों से होने के कारन गुरुग्राम पुलिस की जांच प्रक्रिया प्रभावित हुई और पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने की उम्मीद धूमिल हो गयी.  

उल्लेखनीय है कि पिंकी चौहान गुरुग्राम के सेक्टर 14 स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स कालेज की द्वितीय वर्ष की छात्रा थी. पिंकी के भाई आरुण चौहान के अनुसार आरम्भ से ही वह मेधावी छात्रा थी. उसको दसवीं में 94 प्रतिशत अंक मिले थे जबकि बारहवीं में 84 प्रतिशत अंक. लेकिन गर्ल्स कालेज की छात्रा के रूप में एम् डी यू यूनिवर्सिटी की परीक्षा में वर्ष 2014 के दौरान उसे मैथ में फ़ैल दिखाया गया. गौरतलब है कि केवल पिंकी चौहान ही नहीं बल्कि उसकी क्लास की अधिकतर छात्रा को भी उसी परीक्षा में मैथ विषय में फ़ैल दिखाया गया. इसको लेकर कालेज की छात्राओं ने जबरदस्त विरोध जताया था और एम् डी यू यूनिवर्सिटी के काम काज पर गंभीर आरोप लगाये थे. कालेज की छात्राओं ने आन्दोलन, धरना व प्रदर्शन भी किया था.

पिंकी चौहान के पिता वीरपाल चौहान का आरोप है कि उसी दौरान उनकी बेटी को आत्मादाह करने के लिए कथित तौर पर एक महिला प्रोफ़ेसर ने उकसाया और उसके हाथ में आग लगाने के लिए माचिस दे दी. इस सम्बन्ध में वीडियो फुटेज भी कोर्ट को दिखाए गए. इस घटना में पिंकी 70 प्रतिशत जल गयी थी और 12 अक्टूबर 2014 को अंततः उसकी मौत हो गयी. तब मजिस्ट्रेट ने उसके बयान की विडियोग्राफी की थी जिसमें उसने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी थी. पुलिस ने 29 सितम्बर 2014 को धारा 306, 511,342 और 120 बी के तहत ऍफ़ आई आर न. 835 दर्ज कर जांच करते हुए सभी आरोपों को खारिज कर दिया था. इस जांच से पीड़ित पक्ष सहमत नहीं थे और उन्होंने मजबूरन हाई कोर्ट में न्याय की गुहार लगायी.  

 

पिंकी के परिजनों ने निष्पक्ष जांच की मांग की थी और उक्त महिला प्रोफ़ेसर सहित तीन लोगों पर उसे जानबूझ कर आत्मदाह करने को मजबूर करने का आरोप लगाया था. लेकिन गुरुग्राम पुलिस ने अपनी जांच में इसे आत्महत्या करार देकर मामले को रफादफा करने की कोशिश की. तब इसको लेकर इलाके के लोग बेहद आंदोलित भी हो गए थे लेकिन आरोप था कि पुलिस ने कुछ बड़े अधिकारियों के दबाव में आकर जांच को आत्महत्या तक ही सीमित रखा. मामले को तूल पकड़ता देख राज्य सरकार ने कालेज की तत्कालीन प्राचार्या उषा मलिक का तबादला कर दिया था.

न्याय नहीं मिलने से दुखी पिंकी के पिता ने चंडीगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस काण्ड की निष्पक्ष जांच सीबीआई से करवाने की मांग की थी. यह मामला वर्ष 2016 से कोर्ट में विचाराधीन था.

पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश कुलदीप सिंह की अदालत में पीड़ित पक्ष ने अपनी शिकायत के पक्ष में हलफनामा दायर कर उषा मलिक और चेतना सहरावत के आई ए एस पति के बारे में पुख्ता जानकारी दी जबकि तीसरे आरोपी अर्चना सूटा के पति के बारे में बताया कि वे इनेलो गुरुग्राम जिला अध्यक्ष हैं. पीड़ित पक्ष द्वारा कोर्ट के समक्ष घटना से संबंधित कुछ वीडियो फुटेज और फोटो भी प्रस्तुत करते हुए एक महिला प्रोफ़ेसर पर पिंकी के हाथ में माचिस देने का आरोप लगाया गया . प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर पिंकी के पिता ने यह आरोप लगाया कि उनकी बेटी ने महिला प्रोफ़ेसर के उकसावे में आकर आत्मदाह किया.

पीड़ित पक्ष ने कोर्ट के समक्ष रखा कि क्योंकि सभी प्रोफ़ेसर किसी न किसी बड़े लोगों से सम्बंधित हैं इसलिए पुलिस ने जांच को न्यायोचित तरीके से संपन्न नहीं किया और मामले को रफादफा करने की कोशिश की. पुलिस ने छात्रा के पिता के आरोप को जाँच के आधार पर रद्द कर दिया था .

 

बताया जाता है कि अदालत ने पीड़ित पक्ष की ओर से सौंपे गए फुटेज को कोर्ट में चला कर देखा. सुनवाई के दौरान सराकर के वकील और आरोपी पक्ष के वकील ने मामले की जाँच सीबीआई को सौंपे जाने का विरोध किया लेकिन पीड़ित पक्ष ने अपनी मांग  दोहराई. इस पर अदालत ने सरकारी वकील से जांच के लिए तीन अधिकारियों के नाम के सुझाव देने को कहा. कोर्ट ने सरकारी पक्ष द्वारा सौंपे गए नाम में से एक नाम हिसार रेंज के आई जी, अमिताभ ढिल्लो को इसकी जांच सौंपने का निर्णय लिया.

 

उल्लेखनीय है कि अमिताभ ढिल्लो इससे पूर्व 6-7 वर्ष तक सीबीआई में भी अपनी सेवा दे चुके हैं इसलिए कोर्ट ने उन्हें इस मामले की जांच करने के लिए उपयुक्त मानते हुए इसके लिए तीन माह का वक्त निर्धारित किया है. कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जांच की रिपोर्ट सम्बंधित अदालत में सौंपे जाने के बाद अगर पीड़ित पक्ष उस जांच से संतुष्ट नहीं होता है तो वे पुनः इस अदालत में आ सकते हैं.

हाई कोर्ट ने अपने निर्देश में गुरुग्राम पुलिस से पिंकी आत्मदाह मामले की जांच सम्बन्धी सभी फाइलें हिसार रेंज के आई जी अमिताभ ढिल्लो को तत्काल सौंपने को कहा है.

इस निर्णय पर पिंकी के भाई अरुण चौहान ने संतोष  जाहिर करते हुए उम्मीद जताई है कि अब मामले की निष्पक्ष जांच होगी और उन्हें न्याय मिलेगा. बहरहाल अदालत के इस निर्णय से एक तरफ गुरुग्राम पुलिस की छवि फिर दागदार हुई है जबकि दूसरी तरफ उन रसूखदार महिला प्रोफेसरों सहित कुछ छात्राओं से तथा कालेज के अन्य स्टाफ्स से भी नए सिरे से गहन पूछताछ होगी जिन पर छात्रा पिंकी को उकसाने के आरोप लगे हैं, और जो घटना के वक्त वहाँ मौजूद थे.

खबर है कि पिंकी के परिजनों के आह्वान पर जिले के गाँव कासन में शनिवार को एक महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है. इस मामले में एम् डी यूनिवर्सिटी की भूमिका की जांच की भी मांग की जा सकती है.

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