गुरुग्राम के संबध हैल्थ फाउंडेशन को मेंटल हैल्थ केयरिंग में मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

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नई दिल्ली में 21 वां विश्व मानसिक स्वास्थ्य सम्मेलन

एसएचएफ की ट्रस्टी रीता सेठ को मानसिक रोग के क्षेत्र में बेहतर सेवा देने के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

गुरुग्राम के संबध हैल्थ फाउंडेशन को मेंटल हैल्थ केयरिंग में मिला राष्ट्रीय पुरस्कार 2गुरुग्राम 05 नवबर। संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) की रीता सेठ को मानसिक रोग ग्रसितों की देखभाल में बेहतर सेवांए प्रदान करने पर वर्ल्ड हैल्थ की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार नई दिल्ली में 21 वें विश्व मानसिक स्वास्थ्य सम्मेलन के समापन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान रविवार को प्रदान किया गया।

संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) की ट्रस्टी रीता सेठ को यह राष्ट्रीय पुरस्कार मानसिक रोग से पीड़ितों को नियमित रुप से रिकवरी कार्यक्रम के तहत बेहतर सेवांए देकर उन्हे आत्मनिर्भर बनाने पर दिया गया है। यह पुरस्कार वर्ल्ड फैडरेशन फाॅर मेंटल हैल्थ के प्रेसीडेंट प्रोफेसर गेबरियल लवबिजारो ने प्रदान किया। 

इस अवसर पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए रीता सेठ ने कहा कि राष्ट्र, परिवार, समाज में रहने वालों को मानसिक रोग से पीड़ितों को सामान्य जीवन में लाने में मदद करनी चाहिए न कि किसी रुढ़ीवादी परंपरा को मानकर उनका तिरस्कार करें। हम सब उनका सम्मान करें और इसी सम्मान से उन्हें हौसला मिलेगा।

उन्होने कहा कि संबध टीम पिछले सात साल से हरियाणा में मानसिक रोग पर ग्रासरूट स्तर पर काम कर रही है। मानसिक रोगियों के लिए रिकवरी कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसमें विभिन्न गतिविधियेां का आयेाजन किया जाता है। इसमें योग, चिंता और अवसाद से लड़ने में योग की भूमिका पर विशेष कार्यक्रम, मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं की रोकथाम विशेष चर्चा, ग्राम स्तर पर रिकवरी सेंटर इत्यादि कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं।

भारत में पहली बार सम्मेलन

भारत में पहली बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य सम्मेलन का आयोजन किया गया है। देश में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है।

युवा वर्ग में मानसिक रोग का जोखिम सबसे ज्यादा

राष्ट्रीय मानिसक स्वास्थ्य सर्वे 2016 के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 14 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से पीड़ित है। महानगरों में रहने वालों लोगों तथा युवा वर्ग में मानसिक रोग का जोखिम सबसे ज्यादा है। भारत की 65 प्रतिशत आबादी की औसत उम्र 35 वर्ष से कम है। हमारे समाज का तेजी से शहरीकरण हो रहा है, ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य की संभावित महामारी का खतरा और भी बढ़ गया है।

मानसिक स्वास्थ्य के मरीजों के लिए सबसे बड़ा अवरोध बीमारी का कलंक व बीमारी को अस्वीकार करना है। इसके कारण न तो इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाता है और न ही इनकी चर्चा की जाती है।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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