पत्रकारों के समक्ष वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने अर्थव्यवस्था की हालत पर दिया प्रजेंटेशन
वित्त मंत्री ने 6.90 लाख करोड़ रुपये के रोड प्रॉजेक्ट्स की घोषणा की
सरकारी बैंकों के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये की कैपिटलाइजेशन योजना
सुभाष चौधरी /प्रधान संपादक
नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष की ओर से लगातार उठाये जा रहे सवालों का जवाब देने के लिए मंगलवार को स्वयं देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की उनकी टीम ने कमान संभाल ली. उन्होंने आज की महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता में एक तरफ मोदी सरकार की आर्थिक गतिविधियों को तेज करने का संकेत दिया जबकि दूसरी तरफ अधिकारियों ने तथ्यों के साथ सभी मुद्दों को विस्तार से मिडिया के सामने रख कर सभी आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की. इस अवसर पर वित्त मंत्री ने 6.90 लाख करोड़ रुपये के रोड प्रॉजेक्ट्स की घोषणा की जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये की पिटलाइजेशन योजना लाने का ऐलान किया.
कैबिनेट की बैठाक के बाद केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज आयोजित प्रेस वार्ता में केंद्र सरकार की इन दो महत्वपूर्ण फैसले की जानकारी दी. उनका कहना था कि देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद बहुत मजबूत है. उनके इस दावे को आंकड़ों के माध्यम से सही साबित करने के लिए वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने विस्तृत प्रजेंटेशन भी दी। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि देश में निवेश को बढ़ावा देने , नौकरियों की संभावना बढाने और ग्रोथ के लिए बैंकों को मजबूत बनाए जाने की दिशा में काम किया जा रहा है. उन्होंने सार्वजनिक बैंकों की हालत सुधारने की चर्चा करते हुए कहा कि कैपिटलाइजेशन प्लान के तहत 1.35 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी किए जाएंगे.
उनके अनुसार 76 हजार करोड़ रुपये बजटीय सहायता और बाजार से दिए जाएंगे. 18 हजार करोड़ रुपये इंद्रधनुष योजना के तहत देने की योजना है. उन्होंने आरोप लगाया कि पहले अंधाधुंध कर्ज देते समय बैंकों की सही स्थिति छुपाई जाती थी. वित्त मंत्री ने कहा बैंकिंग रिफॉर्म की दिशा में कदम बढाए जा रहे हैं. अब छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योगों को कर्ज देने में प्राथमिकता दी जाएगी.
वित्त मंत्री ने दावा किया कि पिछले 3 साल में भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था रही है. इस गति को हम कायम रखने की कोशिश में हैं. उन्होंने माना कि जब बड़े परिवर्तन होते हैं तो कुछ समय के लिए उसके कुछ असर भी दिखते हैं. उन्होंने आश्वस्त किया कि मीडियम और लॉन्ग टर्म में उसके लाभ होंगे.
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने अपनी प्रजेंटेशन में दावा किया कि विदेशी पूंजी निवेश बढ़ कर 400 बिलियन डॉलर हो गया. जीएसटी को अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया और नोटबंदी से काले धन पर नकेल कसने में कामयाबी मिलने का दावा किया. उनके अनुसार जीएसटी से देश में भ्रष्टाचार में कमी आई और चालू खाता घाटा नियंत्रण में है. उनका कहना था कि यह फिलहाल सेफ जोन में है और 2 फीसदी से नीचे है. उनके आकंडे बताते हैं कि भारत का कई देशों के साथ व्यापार बढ़ेगा.
इन पहलुओं पर अधिकारियों ने विस्तार से अपनी बातें रखीं :
मजबूत वृहत आर्थिक बुनियादी सिद्धांत और सतत विकास के लिए सुधार |
आज हुए संवाददाता सम्मेलन में वित्त मंत्रालय के सचिवों द्वारा दिए गए प्रस्तुतीकरण की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है :
मजबूत आर्थिक विकास
महंगाई पर काबू पा लिया गया है
चित्र मुद्रास्फीति लगातार संतोषजनक स्तर पर बनी हुई है
वैश्विक मंदी के बावजूद वैदेशिक क्षेत्र के संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है
चित्र चालू खाता 2 प्रतिशत से कम की सुरक्षित परिधि में बना हुआ है
भारत का जिंस व्यापार
भारी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 2016-17 में भारत में सकल एफडीआई आगम 60.2 बिलियन अमरीकी डालर रहा जबकि 2015-16 में यह 55.6 बिलियन अमरीकी डालर और 2014-15 में 45.1 बिलियन अमरीकी डालर रहे थे जो भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में बेहतर वैश्विक विश्वास का संकेत है। अप्रैल-अगस्त, 2017 के दौरान अर्थव्यवस्था में सकल एफडीआई आगम 30.4 बिलियन अमरीकी डालर रहा जो पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि में 23.3 बिलियन अमरीकी डालर के आगम की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक थे। विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी मुद्रा भंडार मार्च- अंत 2017 में 370 बिलियन अमरीकी डालर के स्तर पर थे जबकि मार्च- अंत 2016 में 360.2 बिलियन अमरीकी डालर के स्तर पर थे। 13 अक्तूबर, 2017 की स्थिति के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार 400 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक हो गए। पिछले दो-एक वर्षों में विदेशी मुद्रा भंडार में इस वृद्धि के चलते मुद्रा भंडार पर आधारित वैदेशिक क्षेत्र के अधिकतर असुरक्षा संबंधी संकेतकों में सुधार हुआ है। चित्र विदेशी मुद्रा भंडार की 400 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंचने की यात्रा
राजकोषीय स्थिति और राजकोषीय समेकन में सतत सुधार जारी है पिछले कुछ वर्षों में राजकोषीय घाटे में सतत समेकन हुआ है। केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा 2011-12 में लगभग 6 प्रतिशत के खतरनाक रूप से उच्च स्तर पर पहुंच गया था और 2011-12 तथा 2013-14 के बीच लगभग 5 प्रतिशत की औसत पर रहा। सरकार राजकोषीय समेकन के पथ पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है तथा इसने राजकोषीय घाटे को 2016-17 में जीडीपी के 3.5 प्रतिशत तक लाने और 2017-18 में बजट अनुमानों के अनुसार इसे और कम करके 3.2 प्रतिशत तक लाने की दृढ़ता दर्शाई है। चित्र 3 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचने की ओर अग्रसर सतत राजकोषीय समेकन
जीडीपी के अनुपात के रूप में केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा 2015-16 में 3.9 प्रतिशत था और 2016-17 (संशोधित अनुमान) में 3.5 प्रतिशत था और 2017-18 में इसके 3.2 प्रतिशत होने की बजटीय व्यवस्था है। व्यय को युक्तिसंगत बनाने पर ध्यान देकर तथा सरकारी व्यय में व्याप्त दोषों को दूर करके और राजस्व जुटाने के नवीन प्रयासों ने यह स्थिति हासिल करने में मदद की है। आंतरिक और वैदेशिक सरकारी ऋण स्टाक की दृष्टि से, भारत को राजकोषीय शोधन क्षमता संबंधी गंभीर मुद्दों का सामना नहीं करना है। भारत सरकार का कुल बकाया देयताओं और जीडीपी अनुपात 2016-17 (सं.अ.) के अंत तक 46.7 प्रतिशत के स्तर से गिरकर 2017-18 के अंत तक 44.7 प्रतिशत हो जाने की बजटीय व्यवस्था है। कर राजस्व (केन्द्र को निवल) में 2016-17 में 16.8 प्रतिशत की वृद्धि की गई (अनंतिम वास्तविक) और 2017-18 में इसमें 11.3 प्रतिशत की वृद्धि की बजटीय व्यवस्था है। अप्रैल-अगस्त के दौरान राजकोषीय घाटा व्यय की फ्रंट लोडिंग के कारण पूरे वर्ष के बजटित राजकोषीय घाटे का 96 प्रतिशत है, लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि जीडीपी के 3.2 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के पूरे वर्ष के बजटित अनुपात की सीमा लांघी नहीं जाएगी।
माल और सेवा कर (जीएसटी) के रूप में क्रांतिकारी सुधार अनेक केन्द्रीय और राज्य अप्रत्यक्ष करों को समाप्त करने वाला, जीएसटी एक ऐसा क्रांतिकारी सुधार है जो 1 जुलाई, 2017 से कार्यान्वित किया गया है। जीएसटी का शुभारम्भ एक ऐतिहासिक आर्थिक और राजनीतिक उपलब्धि का द्योतक है जो भारतीय कर और आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया में अभूतपूर्व घटना है। इसने ढांचागत सुधारों के लिए नई आशा जगाई है। इसके परिणास्वरूप, देश भर में एकीकृत कर प्रणाली शुरू हुई है और इसमें माल की आवाजाही में लगी परिवहन संबंधी अड़चनों को हटाने में मदद की है जिसके परिणामस्वरूप उनकी आवाजाही में तेजी आई है और एक साझा बाजार सृजित करने में, भ्रष्टाचार और हेराफेरी कम करने में तथा मेक इन इंडिया कार्यक्रम में और सहायता मिली है। आशा है कि इससे राजस्व, निवेश और मध्यावधिक आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। सरकार और जीएसटी परिषद द्वारा सुलझाई जा रही आरंभिक समस्याओं के बावजूद, जुटाए गए राजस्व के रूप में आरंभिक परिणाम उत्साहवर्धक प्रतीत होते हैं। चित्र माल और सेवा कर: एक राष्ट्र एक कर
भ्रष्टाचार और हेराफेरी में कमी उत्पादन और बिक्री का संगठित रूप सहकारी राजकोषीय संघवाद
शोधन अक्षमता और दिवालियापन संहिता दूसरा महत्वपूर्ण सुधार शोधन अक्षमता और दिवालियापन संहिता, 2016 (संहिता) है जिसका लक्ष्य कंपनियों और सीमित देयतावाली संस्थाओं (सीमित देयतावाली भागीदारी और अन्य सीमित देयता वाली संस्थाओं सहित), सीमारहित देयतावाली भागीदारियों और व्यक्तियों जो विभिन्न कानूनों के तहत डील होते हैं, की शोधन अक्षमता से संबंधित कानूनों को एकीकृत करके एकल विधान में लाना है। यह संहिता वैश्विक स्तर की और कुछ मामलों में उससे भी बेहतर स्तर की समग्र, आधुनिक और सुदृढ़ शोधन अक्षमता और दिवालियापन व्यवस्था प्रदान करती है। शोधन अक्षमता और दिवालियापन व्यवस्था
सरकार ने इस संहिता के कार्यान्वयन के लिए त्वरित गति से कार्रवाई की है। अभी तक एनसीएलटी को लगभग 2050 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनमें से 112 आवेदन स्वीकार किए गए हैं और 146 आवेदन खारिज किए गए अथवा वापस लिए गए हैं। स्वीकृत आवेदन के अंतर्गत कुछ लाख रूपए से लेकर कुछ हजार करोड़ रूपये की चूक अंतर्ग्रस्त है। आरबीआई द्वारा 12 बडे़ चूककर्ताओं की घोषणा करने से इसका दायरा और बढ़ जाएगा। विमुद्रीकरण सहित काले धन के विरूद्ध धर्मयुद्ध (क) काले धन को नियंत्रित करने के लिए ढ़ांचे की निगरानी और समीक्षा के लिए मई, 2014 में गठित काले धन के संबंध में विशेष जांच टीम; (ख) 01 जुलाई, 2015 से लागू किए गए काला धन (अघोषित विेदशी आय और आस्तियां) और टैक्स आरोपण अधिनियम, 2015; (ग) आय घोषणा योजना, 2016; और (घ) 01 नवंबर, 2016 से प्रभावी रूप से लागू किए गए समग्र बेनामी लेनदेन (प्रतिबंध) संशोधन अधिनियम, 2016 जैसी पहलों ने काले धन के सृजन और धारिता के विरूद्ध छेडे़ गए युद्ध में सफलता दिलाई। 08 नवंबर, 2016 से प्रभावित उच्च मूल्य वर्ग के नोटों के विमुद्रीकरण से काले धन पर भारी प्रहार हुआ है। आवास विकास सरकार ने अर्थव्यवस्था में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए बजट सत्र 2017-18 में विभिन्न उपायों की घोषणा की है जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ सस्ते आवास को अवसंरचना का दर्जा देकर अवसंरचना विकास की गति बढाना, राजमार्ग निर्माण को अधिक अवंटन, तटीय संपर्क पर विशेष ध्यान देना शामिल है। अन्य विकास संवर्धन उपायों में निम्नलिखित शामिल हैः 50 करोड़ रुपए तक वार्षिक कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए कम आयकर; मैट क्रेडिट को वर्तमान की 10 वर्षों की बजाए 15 वर्ष की अवधि तक आगे स्थानांतरित करने की अनुमति देना; व्यवसाय करना आसान बनाने को उन्नत बनाने के लिए और उपाय तथा डिजीटल अर्थव्यवस्था को मुख्य रूप से आगे बढ़ाना शामिल है। बजट में भी अधिक कृषि ऋण देने और काफी हद तक रोजगार बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया। संस्थागत सुधार संस्थागत सुधारों में, व्यय का यौक्तिकीकरण और लक्ष्य एवं प्रत्यक्ष लाभ अंतरण पर विशेष जोर देते हुए सार्वजनिक सुपुर्दगी में रिसाव को प्रगामी रूप से समाप्त करना सुदृढ़ी कारगर वित्तीय समावेषण कार्यक्रम की शुरूआत; अभिशासन और निर्णय लेने में नीतिगत पारदर्शिता लाने के उपाय; डिस्कॉम के लिए उज्जवल डिस्कॉम आश्वासन योजना (यूडीएवाई) कार्यक्रम; विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का उदारीकरण; और भारत में बौद्धिक संपदा हेतु भावी दिशा-निर्देश बनाने के लिए राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति का अनुमोदन। व्यवसाय करना आसान बनाना प्रायोगिक मेक इन इंडिया कार्यक्रम के इर्दगिर्द संपूरक का निर्माण, इसमें व्यवसाय करना आसान बनाने में सुधार लाने के लिए व्यापक उपाय, स्टार्ट अप इंडिया और स्टैंड अप इंडिया पहलों के अंतर्गत उभरते उद्यमशील प्रतिभा को प्रोत्साहित करना तथा विज्ञापन एवं वैश्विक अभियान में प्रत्यक्ष रूप से व्यवसायिक केंद्र के रूप में भारत के वैश्विक दर्जा में सुधार लाया है। भारत ने, एकीकृत भुगतान केंद्र वाले सप्ताह के 24 घंटे एकल पोर्टल पर सभी व्यापार निवेश संबंधी निकासी और अनुपालना उपलब्ध करके व्यापार और निवेशक अनुकूल प्रास्थिति के सृजन के लिए ईबिज मंच शुरू किया है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति के क्षेत्र में अमूल–चूल परिवर्तन; एफडीआई के लिए अधिकांश क्षेत्र स्वतः मार्ग पर सरकार ने 20 जून, 2016 को एफडीआई के क्षेत्र को एकाएक उदार बना दिया, इसका उद्देश्य मुख्य रूप से रोजगार और नौकरी के सृजन को गति प्रदान करना है। नवम्बर, 2015 में घोषित प्रमुख परिवर्तनों के बाद यह दूसरा प्रमुख सुधार है। अब छोटी सी नकारात्मक सूची को छोड़कर अधिकांश क्षेत्र स्वतः अनुमोदन मार्ग पर कार्य करेंगे। नीति में शुरू किए गए परिवर्तनों में क्षेत्रीय अंतराल बढ़ाना, स्वतः मार्ग के अंतर्गत अधिक क्रियाकलापों को लाना और विदेशी निवेश के लिए शर्तों को आसान बनाना शामिल है। इन परिवर्तनों से भारत एफडीआई के लिए विश्व में सबसे अधिक खुला देश बन गया है। महत्वकांक्षी विनिवेश कार्यक्रम पिछले तीन वर्षों में सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश से प्रगामी रूप से अधिक राजस्व जुटाया गया है और वर्तमान वित्त वर्ष में और अधिक राजस्व जुटाने का सरकार का बहुत ही महत्वकांक्षी लक्ष्य है। अब तक का सबसे अधिक विनिवेश कार्यक्रम पूर्वोत्तर क्षेत्रों में निर्धनतम परिवारों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम पहुंचाना अत्यन्त निर्धनों की सहायता करने तथा उनका जीवन स्तर सुधारने के लिए विशेषकर महिलाओं के लिए सरकार ने मई, 2016 और जून, 2017 के बीच 3 करोड़ से भी अधिक एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराया है, जो गंदगी भरे पारंपरिक ईंधनों की जगह लेंगे जोकि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। इसी प्रकार मानवकृत तथा प्राकृतिक आपदाओं के सदमें से गरीब जनता को सुरक्षित करने के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना और प्रधानमंत्री स्वस्थ बीमा योजना के अंतर्गत सितम्बर, 2017 तक कुल 14 करोड़ व्यक्तियों का नामांकन किया गया। प्रत्येक भारतीय को सम्मान देना और देश के दुरस्थ जगहों में अत्यन्त निर्धनों को सेवा देना
III. अवसंरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) पर बल सरकार ने रोजगार को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास को नये सिरे से गति प्रदान करने के उद्देश्य से अवसंरचना पर सार्वजनिक व्यय में निरंतर वृद्धि की है। इस वर्ष 21.46 लाख करोड़ रुपए के बजटीय व्यय (पिछले वर्ष की तुलना में 1.2 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि) में से, भारत सरकार का कुल व्यय 11.47 लाख करोड़ रुपए (सितम्बर, 2017) से अधिक हो चुका है। इस अभियान का विशेष जोर ग्रामीण सड़कों, आवासन, रेलवे, विद्युत, राजमार्गों और डिजिटल अवसंरचना सहित महत्वपूर्ण विकास के क्षेत्रों पर है। वर्ष 2017-18 के लिए भारत सरकार का पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 3.09 लाख करोड़ रुपए है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 31.28 प्रतिशत अधिक है, जिसमें से सितम्बर, 2017 तक 1.46 लाख करोड़ रुपए की राशि पूंजीगत कार्यों पर खर्च की जा चुकी है। इसके अलावा, भारत सरकार ने वर्ष 2017-18 के लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) के लिए पूंजीगत व्यय लक्ष्य 3.85 लाख करोड़ रुपए नियत किया है, जिसमें से सितम्बर, 2017 तक सीपीएसई द्वारा 1.3 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत व्यय के खर्च का लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है। रेलवे
सौभाग्य (प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना)
ग्रामीण सड़कें – प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) :
पीएम आवास योजना (पीएमएवाई) – शहरी और ग्रामीण
भारतमाला परियोजना
अर्थव्यवस्था के मजबूत वृहत-आर्थिक आधारभूत तत्वों और पिछले वर्षों की तुलना में पर्याप्त रूप से संवर्धित स्तरों पर सतत लोक व्यय को देखते हुए, सरकार ने देश में निवेश विषयक माहौल को सुधारने हेतु अनेक उपाय किए हैं। सरकार द्वारा किए गए व्यापक आर्थिक सुधार कार्यों के परिणामस्वरूप विदेशी प्रत्यक्ष निवेश विगत 3 वर्ष में अभूतपूर्व स्तर पर है। तथापि, निजी क्षेत्रक घरेलू निवेश अतीत में अग्रवर्ती ऋणों के बढ़ते सम्मिश्रण द्वारा प्रभावित होता रहा जो अब असहनीय बन गया है। निवेश विषयक सामान्य माहौल को प्रभावित करने के अलावा, इन अनर्जक ऋणों (नॉन-फरर्मिंग लोन्स) ने प्रावधान के अभूतपूर्व स्तरों को, विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में, भी आवश्यक बना दिया है। इसके परिणामस्वरूप, उनकी उधार देने की सामर्थ्य प्रभावित हुई है जिससे विशेष रूप से मध्यम और लघु क्षेत्र पर असर पड़ा है। यह देखा जा सकता है कि जहां निकट अतीत में अनेक कार्पोरेट बांड बाजार में कदम रख चुके हैं, वहां एमएसएमई ही ऐसे हैं जो बैंकों की असामर्थ्य के कारण पूंजी से वंचित हो गए हैं। ये बैंक अतृप्त प्रावधान (डिमांडिंग प्रविजनिंग) मानदंड के अत्यधिक बोझ से पीड़ित हैं। इससे सहायक माहौल सृजन का असरदार उपाय करने की जरूरत पड़ी जिसमें पीएसबी, निजी क्षेत्र, विशेष रूप से मध्यम और लघु स्तरीय उद्योगों, को ऋण प्रदान कर सकें।
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आरंभिक निवेश हेतु धनराशि उपलब्ध कराने के लिए बैंकों के पूंजीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है ताकि बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण की राशि में वृद्धि हो और अधिकाधिक रोजगार सृजन हो सके। इसके लिए चालू वर्ष में अधिकतम आवंटन, तथा आगामी दो वर्षों के दौरान लगभग 2,11,000 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया जाएगा जिसके लिए 18,139 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान, लगभग 1,35,000 करोड़ रुपये का पुनर्पूंजीकरण बांड जारी करने तथा शेष राशि के लिए बैंकों द्वारा बाजार से पूंजी जुटाने और सरकारी इक्विटी को भुनाकर (लगभग 58,000 करोड़ रुपये संभावित) धनराशि जुटाने की आवश्यकता है।
सरकार का कार्य केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पूंजीकरण तक ही सीमित नहीं है। पूंजीकरण के साथ ही उन्हें वित्तीय प्रणाली में प्रमुख भूमिका निभाने में सक्षम बनाने के लिए सुनिश्चित कदम उठाए जाएंगे। जिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बैंकिंग क्षेत्र में 70 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है उन्हें और अधिक विकास करने के लिए और बर्धित ऋण की राशि को उठाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस दिशा में देशभर में ‘मुद्रा प्रोत्साहन’ का अभियान चलाकर काम शुरू कर दिया गया है। वित्तपोषण और बाजार तक पहुंच में वृद्धि करके सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विकास पर व्यापक बल दिया जाएगा तथा 50 कलस्टरों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को वित्तपोषित करने का अभियान चलाया जाएगा। इस संबंध में संबंधित मंत्रालयों द्वारा नेतृत्व किया जाएगा एवं अभियान को गति प्रदान की जाएगी, ऋण के लिए किए गए आवेदनों पर बैंकों द्वारा निर्बाध रूप में त्वरित कार्रवाई की जाएगी। मूल्यांकन प्रक्रिया को कम करने और सही ऋण आवेदनों को प्रस्तुत करने के लिए फिनटेक कंपनियों (वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों) से सहायता ली जाएगी। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को निम्नलिखित के माध्यम से सहायता प्रदान करके प्रोत्साहित किया जाएगा।
यह याद रखा जाए कि अतिरिक्त क्षमता से युक्त किंतु उपयुक्त परिश्रम को निम्न मात्रा में करने वाले सेक्टरों को बहुत अधिक ऋण देने के कारण दबाव में स्थित आस्तियां सृजित हुई हैं जो मार्च 2014 तक बढ़कर 11.9 प्रतिशत हो गई है। स्पष्ट और पूर्णत: तैयार किए गए बैंक तुलन-पत्रों की जांच के लिए वर्ष 2015 की गई आस्ति गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) से यह पता चला कि काफी अधिक मात्रा में अनर्जक आस्तियां सृजित हो गई हैं। दबाव में स्थित ऋण जिन्हें पूर्व में ऋण पुनर्गठन के लिए दी गई छूट के अंतर्गत चुकाया नहीं गया, के लिए हुई हानि के अंतर्गत स्थित ऋण का अनर्जक आस्ति के रूप में पुनर्वर्गीकरण किया गया जिसके लिए धनराशि उपलब्ध कराई गई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अनर्जक आस्तियों की पहचान करके उन्हें निपटाने की प्रक्रिया आरंभ की तथा आपेक्षित हानि के लिए राशि उपलब्ध कराई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सकल अनर्जक आस्ति 2015 के बाद से तेजी से बढ़ी और मार्च 2015 के 5.43 प्रतिशत (2,78,466 करोड़ रुपये) से बढ़कर जून 2017 में 13.69 प्रतिशत (7,33,137 करोड़ रुपये) हो गई। अनुमानित हानि के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली राशि में पर्याप्त वृद्धि हुई। 2014-15 से 2017-18 की पहली तिमाही तक 3,79,080 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया जबकि पूर्ववर्ती 10 वर्षों के दौरान केवल 1,96,937 करोड़ रुपये का ही प्रावधान किया गया था। यह दबाव में स्थित ऋण के कारण अनुमानित हानि से निपटने का सही उपाय था। सरकार ने पीएसबी को पारदर्शी और अधिक दक्ष बनाने के लिए स्वच्छता अभियान के साथ अन्य सुधारों को पुनः पूंजीकृत किया है और उन्हें प्रारंभ किया है। इसके लिए बैंक बोर्ड ब्यूरो स्थापित किया गया था तथा पीएसबी में गैर-कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति हेतु कदम उठाए गए थे। पीएसबी के पुनःपूंजीकरण तथा आमूल-चूल परिवर्तन के लिए सरकार ने दिनांक 14-8-2015 को इंद्रधनुष योजना की घोषणा की। सरकार ने 2018-19 तक 1,80,000 करोड़ रु. की पूंजी की आवश्यकता की कल्पना की है। तदनुसार, सरकार ने 70,000 करोड़ रु. का प्रावधान किया तथा बैंकों द्वारा 1,10,000 करोड़ रु. की पूंजी को बाजार से जुटाने का प्रस्ताव रखा। अभी तक, सरकार ने पीएसबी में 51,858 करोड़ रु. की पूंजी लगायी है। एक्यूआर और एनपीए मान्यता के कराण दवाब के अंतर्गत पीएसबी अभी तक बाजार से 21,261 करोड़ रु. की पूंजी जुटा पाई है। दिसंम्बर, 2015 में पीएसबी के साथ आरबीआई द्वारा एक्यूआर निष्कर्षों को साझेदारी से पहले इंद्रधनुष के प्रारंभ ने पीएसबी को अन्य एनपीए तथा परिणामस्वरूप एक्यूआर के जरिए पता लगाई गई अनंतिम अपेक्षा के बावजूद सफलतापूर्वक बेसल III अनुपालनकर्ता बने रहने हेतु समर्थ बनाया है। वर्तमान निर्णय इंद्रधनुष योजना में ज्यादा सहायक होगा। सरकार ने दबावग्रस्त आस्तियों की वसूली एवं समाधान को सुकर बनाने के लिए विभिन्न कानूनी बदलाव भी किए थे। दिवालियापन और शोधन अक्षमता संबंधी मामलों को सुलझाने के लिए एक एकीकृत रूपरेखा के रूप में दिवालियापन एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 अधिनियमित की गई। शीघ्र वसूली को सुकर बनाने के लिए वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण तथा सुरक्षा हितों का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (एसएआरएफएईएसआई अधिनियम) और बैंकों को देय ऋण की वसूली एवं वित्तीय संस्थान अधिनियम 1993 (जोकि ऋण वसूली प्राधिकरण को संचालित करता है), 2016 में संशोधित किए गये थे। इसके अतिरिक्त, सरकार को समर्थ बनाने के लिए इस वर्ष बैंकिंग विनियम अधिनियम, 1949 को संशोधित किया गया ताकि सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक को यह प्राधिकृत करने के लिए समर्थ बनाया जा सके कि वह बैंको को दिवालियापन एवं शोधन अक्षमता संहिता के अंतर्गत दिवालियापन समाधान प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दे। पिछले तीन वर्षों में उठाये गये इन साहसी कदमों ने न सिर्फ परपरागत मुद्दों का समाधान किया है बल्कि पीएसबी के पूंजीगत सामर्थ्य के पुनर्निर्माण के लिए सुधारों को और अधिक मजबूत बनाया गया है। मजबूत, बड़े बैंक बनाने की प्रक्रिया भारतीय स्टेट बैंक के एकीकरण से शुरू हो गई है एवं घोषित पुनःपूंजीकरण इसे और अधिक गति देगा। इसके लिए प्रत्येक पीएसबी की पूंजीगत सामर्थ्य पर आधारित विशिष्ट पहुंच अपनाई जाएगी। आज घोषित किये गए अप्रत्याशित पुनः पूंजीकरण एवं पहलों से यह आशा की जाती है कि इससे निकट भविष्य में आर्थिक गतिविधियों को त्वरित करने में योगदान, रोजगार और अर्थव्यवस्था का विकास जैसे महत्वपूर्ण प्रभाव देखें जाएंगे।
जीडीपी वृद्धि द्वारा मापी जाने वाली अर्थव्यवस्था की वास्तविक वृद्धि ने लगातार सुधार दर्शाया है पिछले दो वर्षों में 5.9 प्रतिशत की तुलना में 2014-15 और 2016-17 के बीच इसका औसत 7.5 प्रतिशत है। यद्यपि, पिछली कुछ तिमाहियों में वृद्धि में कुछ गिरावट रही है, जिसे अस्थायी राडार लक्ष्य माना जा सकता है और अगर उपलब्ध संकेतकों से देखा जाए तो ऐसा लगता है कि हम इस गिरावट से बाहर आ गए हैं और जीडीपी वृद्धि पुन: शुरू होने की आशा है। वर्ष 2016-17 के लिए कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी खाद्यान्न उत्पादन के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार खाद्यान्नों का कुल उत्पादन 275.7 मिलियन टन होने की आशा है जो पिछले वर्ष 251.6 मिलियन टन कुल खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 9.6 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2017-18 के लिए पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार खरीफ मौसम के लिए खाद्यान्नों का उत्पादन 134.67 मिलियन टन होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2016-17 के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार खाद्यान्नों का उत्पादन 138.52 टन मिलियन था। वैश्विक आर्थिक स्थिति में गिरावट के परिणामस्वरूप भारत के निर्यात की मांग कम होने के बावजूद औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक (आईआईपी) 2016-17 के दौरान 4.6 प्रतिशत बढ़ा जबकि 2015-16 में यह वृद्धि 3.3 प्रतिशत (संशोधित आईआईपी श्रृंखला के अनुसार) थी। अप्रैल-अगस्त, 2017 के दौरान सामान्य आईआईपी वृद्धि 2.2 प्रतिशत थी जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 5.9 प्रतिशत थी। अगस्त, 2017 के दौरान आईआईपी में 4.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो जून में (-)0.2 प्रतिशत तथा जुलाई, 2017 में 0.9 प्रतिशत की वृद्धि से काफी अधिक है। सवारी वाहनों की बिक्री में सितम्बर, 2017 के लिए 11.3 प्रतिशत और अप्रैल-सितम्बर के लिए 9.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी प्रकार वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री सितम्बर, 2017 में 25.3 प्रतिशत और अप्रैल-सितम्बर, 2017 के लिए 6 प्रतिशत बढ़ी। वास्तविक जीडीपी वृद्धि अक्तूबर, 2017 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकलन के अनुसार भारत का विकास 2017 में 6.7 प्रतिशत और 2018 में 7.4 प्रतिशत होने की आशा है अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी पूर्वानुमान लगाया है कि 2022 तक भारत का विकास 8.2 प्रतिशत बढ़ जाएगा। चीन का विकास 2016 में 6.7 प्रतिशत था और क्रमशः 2017 तथा 2018 में 6.8 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत होने की आशा है। हम आशा करते है कि इस तिमाही में दुबारा मजबूत विकास करेंगे और हमारे भावी वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों से भी बेहतर होंगे। |