निर्मल ग्राम पंचायत में 5% भी शौचालय नहीं

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पूर्वी चम्पारण जिले के हरसिद्धि प्रखंड का है मामला

 

तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के हाँथो मिला था सम्मान

मोतिहारी/ हरसिद्धि  : सरकार ने निर्मल ग्राम पंचायत का दर्जा तो दे दिया लेकिन आज भी यहां के लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं। जी हां यह सौ फिसदी सत्य है।हम बात कर रहे हैं पूर्वी चंपारण जिले के हरसिद्धि प्रखंड अन्तर्गत हरपुर राय पंचायत की। एक तरफ केन्द्र एवं राज्य सरकार खुले में शौच से मुक्ति के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं चला रही है।देश के पीएम नरेन्द्र मोदी ने तो आज-कल स्वच्छता को लेकर अभियान छेड़ दिया है। सरकार द्वारा सभी पंचायतों के हर घर में शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है ताकि कोई खुले में शौच ना करें एवं इससे फैलने वाली बिमारियों से लोग बच सके। यही नहीं जिस पंचायत के हर घर में शौचालय निर्माण हो जाता है, उस पंचायत को निर्मल ग्राम पंचायत का भी दर्जा दिया जाता है। इसी अभियान के तहत पूर्वी चम्पारण जिला अन्तर्गत हरसिद्धि प्रखण्ड क्षेत्र के हरपुर राय पंचायत को वर्ष 2009 में निर्मल ग्राम पंचायत घोषित किया गया था। उक्त पंचायत की मुखिया बच्ची देवी को महामहीम राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया था। हरपुर राय पंचायत निर्मल ग्राम पंचायत घोषित तो हो गया, लेकिन पंचायत के लगभग 95% घर आज भी शौचालय विहीन है। इन घरों के लोग खुले में शौच करने को विवश है। जमीनी सच्चाई यह है कि उक्त पंचायत में मात्र 5% घरों में ही शौचालय है, जो निजी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हरपुर राय पंचायत को निर्मल ग्राम पंचायत घोषित करने के लिए हर घर में शौचालय का निर्माण कराया गया था, या केवल कागजी खानापूर्ति करके निर्मल ग्राम पंचायत घोषित कर दिया गया। खैर यह जांच का विषय है। यदि सरकार एक निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच एजेंसी द्वारा उक्त पंचायत में बने शौचालय का भौतिक सत्यापन कराए तो इस पूरे मामले की सच्चाई सामने आ जाएगी। अब तो यहां के लोगों को इस बात की चिंता सता रही है कि कागज में निर्मल पंचायत घोषित होने के बाद अब हमलोगों को सरकार की ओर से चलायी जा रही शौचालय निर्माण योजना का लाभ मिलेगा या नहीं। जानकारी के अनुसार निर्मल ग्राम पंचायत घोषित होने के बाद दुबारा उस पंचायत में सरकार द्वारा शौचालय निर्माण नहीं कराया जाता है। खैर जो हो निर्मल पंचायत के नाम पर मुखिया जी को तो पुरस्कार मिल गया।हरपुर राय की जनता जाये भाड़ में,इससे न तो सरकार को मतलब है और न पंचायती राज के प्रतिनिधि को।

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