“जीएसटी रिटर्न भरने का अंतराल तीन माह किया जाए”

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गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के साथ व्यापारियों की बैठक

ट्रेडर ऐसोसिएशन व ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने दिए बदलाव के कई सुझाव 

सुभाष चौधरी /प्रधान संपादक 

गुरुग्राम, 16 अगस्त। हरियाणा के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रामनिवास ने आज गुरुग्राम में पहुंचकर व्यापारी संगठनों तथा ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी) को अपनाने में उनके समक्ष आ रही दिक्कतों के बारे में जानकारी हासिल की। ज्यादात्तर ट्रेडर ऐसोसिएशन तथा ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने जीएसटी का स्वागत किया और इसमें कुछ संशोधन करने के लिए सुझाव दिए। 

राम निवास ने बैठक में पहुंचे सभी प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे खुलकर अपनी बात रखें। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने जीएसटी को अपनाने में व्यापारियों के समक्ष आ रही कठिनाइयों का पता लगाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की विभिन्न जिलों में ड्यूटियां लगाई हैं। उनकी ड्यूटी गुरुग्राम जिला में लगाई गई है। उन्होंने कहा कि जीएसटी अभी नया है इसलिए शुरू-शुरू में दिक्कतें आ सकती हैं और उन दिक्कतों को हटाकर व्यापारियों के लिए इसे कैसे सुचारू किया जा सकता है, इस पर राज्य सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि यह मानकर चले कि जीएसटी व्यापारी हितैषी है और व्यापारी किसी भी तरह से अपने आप को असुरक्षित महसूस न करें। उन्होंने पूछा कि जीएसटी लगने के बाद व्यापार में कठिनाई हुई है या आसानी।

 

श्री राम निवास ने यह भी कहा कि अगर किसी व्यापारी से अंजाने में टैक्स अदायगी में कोई गलती हो जाती है तो उस पर पैनेल्टी नहीं लगेगी। उन्होंने बैठक में पहुंचे जिला टैक्सेशन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट नवीन गुप्ता, उपाध्यक्ष वी के चौहान तथा चार्टिड अकाउंटेंट एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से कहा कि वे जीएसटी को समझने में व्यापारियों की मदद करें और टैक्स अदायगी में उनका सहयोग करें। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा व्यापारियों की मदद के लिए जीएसटी सुविधा केंद्र खोले जाएंगे परंतु टैक्सेशन बार तथा चार्टिड अकाउंटेंट भी आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर  इस प्रकार के सुविधा केंद्र खोल सकते हैं। श्री रामनिवास ने यह भी कहा कि अभी भी बहुत सारे व्यापारियों को जीएसटी के बारे में पूर्ण जानकारी नही है और उनके मन में जीएसटी को लेकर बहुत सी भं्रातियां हैं।

 

उन्होंने आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे व्यापारियों के लिए और भी सैमिनार आयोजित करें ताकि उनके मन में किसी प्रकार की भ्रांति ना रहे। उन्होंने यह भी कहा कि व्यापारियों की तरफ से आज उनके सामने जो भी सुझाव रखें गए हैं, उन्हें वे अपनी रिपोर्ट में लिखकर राज्य सरकार को भेजेंगे।   टे्रडर एसोसिएशन की तरफ से कन्हैया लाल पहुवा ने अतिरिक्त मुख्य सचिव के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि जीएसटी के अंतर्गत कंपोजिशन योजना में एक वित्त वर्ष में छोटे करदाताओं के लिए लिमिट 75 लाख रूपए से बढाकर डेढ़ करोड़ रूपए की जानी चाहिए। इस योजना को चुनने वाले करदाता अपने उपभोक्ताओं से कोई टैक्स नहीं लेंगे और ना ही वे किसी इंपुट टैक्स कै्रडिट का दावा करने के हकदार होंगे।

योजना के तहत करदाता को सेल का एक प्रतिशत टैक्स के रूप में भरना होगा। श्री पहुवा ने ये भी कहा कि ज्यादात्तर छोटे व्यापारी ज्यादा पढ़-लिखे नहीं हैं और उन्हें कंप्यूटर चलाना नहीं आता, इसलिए जीएसटी के अंतर्गत रिटर्न भरने का अंतराल तीन महीने किया जाना चाहिए। बैठक में पहुंचे कालीन विक्रेता ने बताया कि पहले गुजरात के गांधी नगर से उनका सामान कच्चे बिल पर आता था परंतु अब जीएसटी लगकर आ रहा है, इसलिए वे अब बिल पर ही अपने सामान की बिक्री करते हैं।  आल हरियाणा टै्रक्स एण्ड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष तथा गुडग़ांव ट्रांसपोर्टर वैलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एचएस शर्मा ने अतिरिक्त मुख्य सचिव के समक्ष ट्रांसपोर्टरों की समस्या रखी और बताया कि ई-वे बिल का सामान निर्धारित समय अवधि में पहुंचाने का प्रावधान कानून में किया गया है लेकिन ‘नो एंट्री’ तथा टै्रफिक की दिक्कतों के कारण यह कार्य पूर्ण कर पाना ट्रांसपोर्टर के लिए कठिन होगा।

 

उन्होंने बताया कि इस संबंध में ट्रांसपोर्टरों को ज्ञापन जीएसटी काउंसिल में भी भेजा जा चुका है। उनका सुझाव था कि वाजिब कारणों को देखते हुए समय अवधि बढाने की शक्तियां ‘उपायुक्त स्टेट टैक्स’ (उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त) को दी जानी चाहिए ताकि ई-वे बिल के सामान की डिलीवरी में देरी होने पर ट्रांसपोर्टर भारी जुर्माने से बच सकें।  जीएसटी का कानून बनने के बाद राज्य सरकार ने उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त (डीईटीसी) के पद का नामकरण डिप्टी कमीशनर स्टेट टैक्स कर दिया है। आज की बैठक में गुरुग्राम में नियुक्त चारों डिप्टी कमीशनर स्टेट टैक्स भी उपस्थित थे। 

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