आजादी के 70 साल बाद भी नहीं बदली मेवात की तस्वीर !

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: मेवात की 70 फीसदी से अधिक लोगों को पीने का पानी तक मुहैया  हो सका

: 70 फीसदी से अधिक मेवात के लोगों ने नहीं सुनी रेल की सीटी

: मेवात की 14 लाख की आबादी पर नहीं कोई महिला विशेषज्ञ डाक्टर

: मेवात में कृषि विभाग के 90 फीसदी, चिक्सिा विभाग में 70 फीसदी और शिक्षा विभाग में

60 फीसदी से अधिक पद खाली पडे हैं

: मेवात के 14 लाख की आबादी पर नहीं है कोई यूनिवर्सिटी या उसका सेंटर

: मेवात की 80 फीसदी से अधिक गावों में नहीं है नहरी पानी

यूनुस अलवी

 मेवात:   आजादी के लिऐ अंग्रेजों और मुगलों से लडकर देश की खातिर 30 हजार से अधिक शहीद होने वाले मेवातियों को आजादी के 70 साल बाद भी मूलभूत सुविधाऐं मयस्सर नहीं हो सकी है। मेवात इलाका कभी गुडगांव और फरीदाबाद जिलो का हिस्सा हुआ करता था। आज गुरूग्राम का नाम दुनिया के नक्शे पर साईबर सिटी के नाम से मशहूर है लेकिन देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 70 किलोमीटर और साईबर सिटी गुरूग्राम से मात्र 27 किलोमीटर दूर बसे मेवात में आजादी के 70 साल बाद भी पीने का पानी, प्रयाप्त डाक्टर, नहरे तक मौजूद नहीं हैं। भले गुरूग्राम और फरीदाबाद में मैट्रो दनादन दौडती है लेकिन मेवात की 70 फीसदी से अधिक जनता ने रेल की सीटी तक नहीं सुनी है। प्रदेश के के दूसरों जिलों में कई की यूनिवसिर्टी है लेकिन मेवात के 443 गावों पर दो गर्ल और एक बाल कॉलेज है। मेवात की 14 लाख आबादी पर एक भी महिला विशेषज्ञय डाक्टर उपलब्ध नहीं हैं। मेवात के 80 फीसदी गावो में खारा पानी है इसके बावजूद लोगों को प्रयाप्त पीने का पानी भी मयस्सर नहीं हैं।

लोगों के लोगों को टेंकरों से खरीदकर मोल का पानी पीना पड रहा है। मेवात में 90 फीसदी लोग कृषि पर आधारित हैं। यहां खेतों की सिंचाई के लिए नहरी पानी तो दूर पशुओं को तालाबों में पीने का पानी भी मौजूद नहीं हैं। पानी ना होने की वजह से गंदे कीचडयुक्त पानी में आज भी महिलाऐं कपडा धोती हैं। चिक्तिसा की नजर से देखें तो मेवात में 70 फीसदी डाक्टर और कर्मचारी ही मौजूद नहीं हैं। भले ही मेवात कृषि पर निर्भर रहने वालो जिला हो फिर भी यहां 90 फीसदी कृषि विभाग के कर्मचारी नहीं हैं।

 

प्रदेश से शिक्षा दर मेवात सबसे पीछे हैं इसका मुख्य कारण यह है की यहां पर अभी 60 फीसदी से अधिक अध्यापक मुहईया की नहीं हैं। मेवात के 40 हाई स्कूल और 40 वरिष्ट माध्यमिक स्कूलो के 80 प्रिसिपलों में से आज भी 70 पद खाली पडे हैं। मेवात में 20 फीसदी से अधिक बच्चे कुपौशन के शिकार हैं। करीब 20 फीसदी लोग टीबी और केंसर से पीडित हैं। मेवात की 90 फीसदी महिलाओं में आज भी खून की कमी है। मेवात के युवाओं के पास रोजगार के लिए किसी भी सरकार ने कोई संसाधन मुहईया नहीं कराऐ जिसकी वजह से मेवात के युवा चोरी, डकेता और नशा के जालों में फंसते जा रहे हैं।

  क्या कहते हैं समाजसेवी ? 

समाजसेवी रमजान चौधरी और उमर मोहम्मद पाडला का कहना है कि देश की आजादी की खातिर मेवातियों ने कभी भी मुगलों और अंग्रेजों से समझोता नहीं किया। राण सांगा के साथ 12 हजार घुडसवारों को लेकर मेवात राजा हसन खां ने बाबर से युध किया और वहं 25 मार्च 1527 को कानवाह के मैदान में शहीद हुआ। देश की पहली क्रांति 1857 की लडाई में मेवात के 10 हजार से अधिक लोग शहीद हुऐ। गांव रूपडाका में एक ही गांव के 425 लोगों को शहीद कर दिया गया था।  

उनका कहना है कि आजादी के बाद भी किसी भी सरकार ने मेवात के विकास की तरफ ध्यान नहीं दिया। देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 70 किलोमीटर दूर बसे मेवात को आज पीने तक का पानी मुहईया नहीं हैं। यहां कि 70 फीसदी आबादी ने रेल की सीटी तक नहीं सुनी। उनका कहना है कि देश के बटवारे के समय जब मेवाती पाकिस्तान जा रहे थे तो 19 दिसंबर 1947 को महात्मां गांधी ने पाकिस्तान जाने से रोका था और मेवात के लोगों को सम्पूर्ण विकास और सुरक्षा देने का वादा किया था। आज तक किसी भी सरकार ने गांधी जी के वादे को पूरा करने का प्रयास नहीं किया। मेवात को जिला 13 साल से अधिक हो गया है लेकिन आज भी 30 फीसदी से दूसरे जिलों के अधिकारियों को मेवात के विभागों का अतिरिक्त चार्ज दे रखा है। 
 
 

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