आजकल चुप चुप से क्यों रहते हैं केजरीवाल जी ?

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तीखे बोल बोलने वाले आप नेता की रणनीति बदली !

नई दिल्ली : राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वयं में बड़ा बदलाव ला रहे हैं.  अब तक बात बात पर लड़ने मरने को उतारू होने वाले आम आदमी पार्टी के संयोजक कुछ हप्तों से अपनी रणनीति में बदलाव करते नजर आ रहे हैं. केंद्र सरकार व पीएम मोदी पर हर छोटी बड़ी घटनाओं के लिए तीखे हमले करने वाले केजरीवाल पंजाब और गोवा चुनाव के बाद  किसी प्रकार की तीखी बयानबाज़ी से परहेज करते नज़र आ रहे हैं.

 

एमसीडी चुनाव में करारी हार झेलने के बाद केजरीवाल अपनी लड़ाकू छवि बदलने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने अपनी नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में भी सक्रियता बढ़ा दी है. लोगों के बीच जाकर स्वयं समस्या का जायजा ले रहे हैं और लोक लुभावन योजनाओं का ऐलान कर रहे हैं. इस कड़ी में केजरीवाल ने पार्टी के सभी विधायकों और अपने मंत्रियों को रोज जनता से बिना अपॉइंटमेंट मिलने और क्षेत्र में जाकर लोगों की समस्याएँ  सुलझाने का आदेश भी दिया है .

 

उनके कोर्स ऑफ़ एक्शन को देखने से लगता है कि अब फिलहाल उन्होंने पीएम मोदी या केंद्र सरकार पर हमला करने की अपनी सरकार के कामकाज पर ज्यादा ध्यान देने का निर्णय लिया है. हो सकता है एमसीडी चुनाव में हुई उनकी पार्टी की करारी हार से उन्होंने कुछ सीख ली हो जबकि पार्टी के भीतर छिड़ी अंदरूनी जंग ने भी उन्हें अपने काम काज के टूट तरीके बदलने को मजबूर किया हो. उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ माह में पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा , कपिल मिश्रा, पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान व वरिष्ठ  नेता एवं राजस्थान के प्रभारी कुमार विश्वास सम्बन्धी विवादों से आम आदमी पार्टी की बड़ी किरकिरी हुई है. इन विवादों का जवाब देने के बजाय केजरीवाल ने सरकार की योजनाओं पर फोकस करना शुरू कर दिया है.

 

उनकी पार्टी के सोशल मीडिया पेज अब विवादित बयान जारी करने या प्रतिक्रिया व्यक्त करने का बजाय दिल्ली सरकार के कामकाज के प्रचार से भरे दिखते हैं. खबर है कि सीएम केजरीवाल स्वयं भी ट्विटर और फेसबुक पर अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय हैं. यहाँ तक कि स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसदिया के घर सीबीआई छापे   के दौरान भी अरविंद केजरीवाल ने अपने स्वभाव के विपरीत सीधे तौर पर केंद्र पर कोई हमला नहीं बोला. केवल अपने साथियों की पोस्ट को शेयर कर आरोप प्रत्यारोप के युद्ध से बाहर रहे.

 

अब वे बोलने के बजाय कार्टून से काम चलाते हैं. तीखे बोल बोलने वाले आपन नेता अब इशारों में केंद्र पर आरोप लगाते हैं. यहं तक कि दिल्ली सरकार या आप पार्टी की रैली या नेताओं की बैठक,केजरीवाल के निशाने पर अब पीएम मोदी नहीं होते हैं. आम आदमी पार्टी के नेता यह मानने लगे हैं कि अब संवाद के ज़रिये ही समस्याएं सुलझ रही हैं और जनता इसे पसंद कर रही है.

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