—- संस्कृत विवि में कर्मी से लेकर वीसी ने किया योग
—- जीवन निर्वाह की शैली सिखाता है योग : प्रतिकुलपति
—- दीर्घ स्वस्थ जीवन के लिए योग जरूरी : डा0 झा
दरभंगा। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बुधवार को संस्कृत विवि के कुलपति डा0 सर्वनारायण झा ने कहा कि भगवान कृष्ण संसार के सबसे बड़े योगी हैं। इसका प्रमाण सैकड़ों बर्ष पूर्व योगी को लेकर कृष्ण व अर्जुन के बीच हुआ सम्वाद है और जिसकी चर्चा गीता के कई अध्यायों में स्पष्ट रूप से वर्णित है।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने कहा कि दरबार हॉल में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति ने कहा कि योग का मतलब जोड़ना होता है और कर्म में कुशलता भी योग ही है। उन्होंने योगी व योग को गीता के सार के माध्यम से बड़ी ही बारिकी से समझाया। गीता का ही हवाला देकर तपस्वी,ज्ञानी व कर्मी से भी योगी को बड़ा व महत्वपूर्ण बताते हुए वीसी डा0 झा ने समझाया कि जिस ज्ञान का कार्यान्वयन न हो या फिर जिसे महसूस या अनुभव नहीं किया जा सके तो वह भार हो जाता है। यानी ज्ञान विज्ञान के साथ ही उपयुक्त है। नॉलेज के साथ विशडम जरूरी है। ऐसे में बेशक योग हमें उर्ध्वगामी प्रवृति की ओर ले जाता है।
वहीं डा0 विनय कुमार मिश्र के सञ्चालन में हुए योग कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रोवीसी डा0 चन्देश्वर प्र0 सिंह ने कहा कि विवेक, शांति व अनुशासन योग का मूल उद्देश्य है। इस तरह योग जीवन निर्वहन की शैली को सिखाता है। उपस्थित खासकर छात्रों से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि योग कर छात्र ध्यानस्थ हो सकते हैं और चित्त की चंचलता को भी वे रोक सकते हैं। इस तरह योग के माध्यम से वे स्वास्थ्य के साथ साथ अपनी पढ़ाई में भी लाभ ले सकते हैं।
वहीं मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति डा0 उपेन्द्र झा वैदिक ने भी दीर्घ स्वस्थ जीवन के लिए योग को जरूरी बताया। उनके अनुसार हमारे शरीर के सभी अंग भी योग से ही संचालित हैं।संधि – सामास भी योग से ही सम्भव है।
इसके बाद योग प्रशिक्षक शशि रंजन कुमार व चंद्र मोहन चौधरी के अलावा रामविनोद ठाकुर के निर्देशन में सभी कर्मियों के साथ वीसी, प्रोवीसी व अन्य पदाधिकारियों ने दरबार हॉल में ही योगाभ्यास किया। डा0 रीता सिंह ने भी न्यास योग से सभी को रूबरू कराया।
इसके पूर्व माँ सरस्वती व महाराजा के फोटो पर माल्यार्पण व कुलगीत के बाद शुरू कार्यक्रम में स्वागत भाषण कुलसचिव डा0 शक्ति नाथ झा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डा0 सुधीर कुमार झा ने किया।मङ्गलाचरण रूपेश कुमार व वरुण कुमार झा ने प्रस्तुत किया। वहीं छात्रा अरुंधति व निधि ने कुलगीत तो मेधा राय व श्वाति कुमारी ने स्वागत गान गाया। समवेत राष्ट्र गान के बाद कार्यक्रम की समाप्ति की गयी।
मालूम हो कि दरबार हाल व उसके चारो ओर योग करने के लिए दरी बिछाई गयी थी। कार्यक्रम में बाहर के लोगों ने भी योग किया। मौके पर पीजी विभाग के सभी विद्वान शिक्षक भी शरीक हुए।