1942 में अंग्रेजों से लूटी गयी पलंग को अब भी संभाल कर रखा है ……

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मोतिहारी : पताही प्रखंड क्षेत्र में गांधी जी के एक सहयोगी के परिवार ने अंग्रेजों से लूटी गयी पलंग को संभाल कर रखा है। उक्त पलंग को चम्पापुर गांव निवासी डॉ. निर्मल कुमार झा उर्फ पप्पू झा के पास है। वे गांधी जी के सहयोगी रहे वैद्य स्व. कामेश्वर झा के पौत्र हैं। कामेश्वर झा ने वर्ष 1934 में भूकंप पीड़ितों से मिलने पहुंचे गांधी जी का सहयोग किया था।

उन्होंने वर्ष 1942 में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान अंग्रेजों की पताही कोठी से उनकी पलंग लूट ली थी। इस पलंग पर कोठी पर तैनात अंग्रेज पदाधिकारी आर मिर्ग फर्मिंडल विश्राम करते था। पलंग को लोहे व लोहे के स्प्रिंग के साथ लकड़ी के मिश्रण से बनाया गया है। इसकी कीमत वर्तमान में लगभग पचास हजार आंकी गई है। जानकारी मिलने पर मोतिहारी गांधी संग्रहालय के सचिव ब्रजकिशोर सिंह ने दो अप्रैल को चम्पापुर पहुंच पलंग का जायजा लिया। उन्होंने उक्त पलंग को गांधी संग्रहालय में देने का आग्रह किया, जिसपर परिजन विचार कर रहे हैं।
रामजीदास हैं पलंग लूट के गवाह अंग्रेजों से पलंग लूटने के गवाह उक्त गांव निवासी रामजी दास (98) हैं। उन्होंने वैद्य स्व झा के साथ अंग्रेजों की पताही कोठी से पलंग लूटने में अपनी सहभागिता निभाई थी। उन्होंने बताया कि जब देश में भारत छोड़ो आंदोलन चल रहा था, तब पताही कोठी से बैलगाड़ी पर पलंग लादकर वैद्य जी के घर लायी गयी थी। उस समय उनकी उम्र लगभग 15 वर्ष थी।
औषधीय चिकित्सालय का हो रहा निर्माण गांधी के सहयोगी रहे चंपापुर गांव निवासी वैद्य कामेश्वर झा के नाम से औषधीय चिकित्सालय का निर्माण कराया जा रहा है। चिकित्सालय का निर्माण उनके पोते निर्मल कुमार झा उर्फ पप्पू झा के द्वारा चंपापुर में कराया जा रहा है।
स्वतंत्रता सेनानी के परिजन होंगे सम्मानित गांधी शताब्दी वर्ष पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी के परिजन को सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए 12 अप्रैल को तिथि निर्धारित की गयी है।
कहते हैं गांधी सहयोगी के पौत्र कामेश्वर झा के पौत्र डॉक्टर निर्मल कुमार झा उर्फ पप्पू झा ने बताया कि अंग्रेजों के जमाने की पलंग को अपने पूर्वजों की विरासत के रूप में उन्होंने संभाल कर रखी है। इसे प्रखंड के गांधीवादियों व अन्य परिवारों में विचार-विमर्श के बाद गांधी संग्रहालय को सौंपा जाएगा।

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