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मार्च 2013 में हरियाणा सरकार ने दी थी स्वीकृति
नहीं हो रहा कैमरों का लाभ
गुरूग्राम : नगर निगम अधिकारियों की उदासीनता के चलते शहर के कई इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरे शोपीस बनकर रह गए हैं। नगर निगम ने करीब चार करोड़ रूपये खर्च कर ये सीसीटीवी कैमरे लगवा तो दिये हैं, लेकिन इन्हें चालू नहीं कराया गया है। ऐसे में ये कैमरे महज शोपीस बनकर रह गए हैं और इन्हें लगाने का मकसद हल नहीं हो रहा है।
मानव आवाज संस्था के संयोजक अभय जैन और प्रवक्ता बनवारी लाल सैनी ने बताया कि संस्था को आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक सीसीटीवी कैमरे के प्रोजैक्ट का टेंडर दिसंबर 2014 को हुआ था। जुलाई 2015 में इसका वर्क ठेकेदार को अलॉट किया गया। अगस्त 2015 को काम शुरू हुआ था जो छह महीने की अवधि में पूरा हो जाना चाहिये था। करीब 15 महीने की देरी से काम चल रहा है। जिन स्थानों पर कैमरे लग चुके हैं, उन्हें भी चालू नहीं किया जा रहा है।
संस्था के पदाधिकारियों ने आगे बताया कि किसी भी प्रोजैक्ट को सबसे पहले तो अधिकारी अपनी टेबल पर लटका कर रखते हैं। जब प्रोजैक्ट पास हो जाता है और जनता के करोड़ों रूपये खर्च कर काम करा दिया जाता है तो भी लापरवाह अधिकारी उसे लटकाने में ही रूचि रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब चार करोड़ रूपये खर्च कर कैमरे लगवा दिए गए हैं तो उन्हें तुरंत प्रभाव से चालू करने की बजाय बेवजह देरी की जा रही है।
ज्ञात रहे मार्च 2013 में हरियाणा सरकार ने गुरूग्राम नगर निगम को सीसीटीवी लगाने की अनुमति दी थी।
डाकखाना, सदर बाजार, सोहना चौक, जेल चौक, लघु सचिवालय, राजीव चौक, झाड़सा चौक, सिग्नेचर टावर, सेक्टर-31 चौक, इफको चौक आदि पर कैमरे लगाने का काम चल रहा है।
संस्था का मानना है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन गुरूग्राम नगर निगम अधिकारी अपनी लापरवाहियों से उनके प्रयासों पर पानी फेरने को अमादा है।
मानव आवाज संस्था गुहार लगाती है कि नगर निगम अधिकारी इस मामले को प्रमुखता से लेते हुए सीसीटीवी कैमरों को तुरंत प्रभाव से चालू करवाये ताकि अपराध पर अंकुश लगे, चोरी की वारदातों में कमी आए। कैमरों के चालू होते ही पुलिस की मोनिटरिंग भी निश्चित ही बढि़या होगी।