“स्कूलों के बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहनों के लिए पीला रंग अनिवार्य”

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अमल करने की अवधि 1 अप्रैल 2017 से बढ़ाकर 1 जुलाई 2017 किया 

वाहनों पर नीले गहरे रंग की पट्टी लगानी अनिवार्य

गुरुग्राम, 27 मार्च। गुरुग्राम जिला के सभी निजी स्कूलों द्वारा बच्चों को घर से स्कूल लाने व स्कूल से घर ले जाने के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहन जैसे- कैब , ऑटो या बसों आदि का पीला रंग होना अनिवार्य है जिसके लिए उनकी निर्धारित समयावधि को 1 अप्रैल 2017 से बढ़ाकर 1 जुलाई 2017 कर दिया गया है। इस समयावधि के बाद पॉलिसी का उल्लंघन करने वाले निजी स्कूलों से जिला प्रशासन सख्ती से निपटेगा। 
यह दिशा-निर्देश आज गुरुग्राम क्षेत्रीय यातायात प्राधिकरण के सचिव त्रिलोक चंद ने लघु सचिवालय में आयोजित बैठक में दिए। इस बैठक में गुडग़ांव के सभी निजी विद्यालयों के प्रतिनिधियो ने भाग लिया।
 
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जिला गुरुग्राम में ऐसे लगभग 70 वाहनों का चालान किया गया था जिनमें पॉलिसी में निर्धारित मानदंडों की अवहेलना पाई गई थी। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है जिसके साथ खिलवाड़ करने की अनुमति किसी को भी नही है, इसलिए यह जरूरी है कि सभी निजी स्कूल पॉलिसी में दिए मानदंडों के अनुसार बच्चों के लिए सुरक्षित वाहनों की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
 
स्कूलो की बसों संबंधी आवश्यक मानदंडो के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल बसे पीले रंग की होनी चाहिए और उस पर नीले गहरे रंग की पट्टी लगानी अनिवार्य है। स्कूल बसो के आगे सफेद चमकीली पट्टी तथा पीछे लाल रंंग की पट्टी होनी चाहिए। बसो की स्पीड कंट्रोल करने के लिए स्पीड गर्वनर लगे होने चाहिए। स्कूल बसो पर आगे तथा पीछे ‘स्कूल बस’ अवश्य लिखा होना चाहिए और यदि किराए पर बस हैै ‘ऑन स्कूल ड्यूटी’ लिखा होना चाहिए। बस सुव्यवस्थित होनी चाहिए साथ ही सभी आवश्यक परमिट, इंश्योरेंस, रजिस्टे्रशन प्रमाण पत्र, पोलुशन प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज पूरे होने चाहिए। इसके अलावा बस का चालक अनुभवी व कुशल होना चाहिए व उसके साथ एक परिचालक भी होने चाहिए।  
 
उन्होंने कहा कि स्कूल ऐसी किसी भी कंपनी या एजेंसी या बस चालकों के साथ कान्ट्रैक्ट ना करें जो सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी के  मानदंडो को पूरा ना करते हो। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की टीम ने पिछले दिनों गुरूग्राम के स्कूलों को सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी की पालना सुनिश्चित करने के उद्द्ेश्य से चैक किया था जिसमें उन्होंने पाया कि कुछ निजी विद्यालय सुरक्षित स्कू ल वाहन पॉलिसी को गंभीरता से नही ले रहे है। उन्होंने कहा कि आज की बैठक का उद्द्ेश्य सभी निजी विद्यालयों को अंतिम अवसर प्रदान करना है ताकि वे पॉलिसी के सभी नॉम्र्स को समय रहते पूरा कर लें। उन्होंने कहा कि स्कूल 1 जुलाई 2017 तक सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी के सभी मानदंडो के अनुरूप बसों को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाए अन्यथा प्रशासन द्वारा सख्त कदम उठाए जाएंगे।
 
उन्होंने कहा कि पंजाब एंव हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश है कि बच्चो की सुरक्षा के मद्द्ेनज़र स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाए। स्कूल की प्राइवेट बसों में दो सीसीटीवी कैमरे (बस के अंदर आगे व पीछे) लगे होने चाहिए जो ना केवल अच्छी गुणवत्ता के हो बल्कि उनमें डिजीटल वीडियों रिकॉर्डिंग व टील्ट ज़ूम आदि की क्षमता हो। इन सीसीटीवी कैमरों मे कम से कम 15 दिन की रिकॉर्डिंग की क्षमता होनी चाहिए। इसके साथ ही, स्कूलों को इन रिकॉर्डिंग का कम से कम 6 महीनों का बैकअप रखना अनिवार्य है। 
 
  क्षेत्रीय यातायात प्राधिकरण के सचिव त्रिलोक चंद ने ‘सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी’ के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि  स्कूलों को अपने यहां बसों की संख्या, स्कूल में आने के लिए बसों का प्रयोग करने वाले बच्चों की संख्या व रूट संबंधी आवश्यक जानकारी नोटिस बोर्ड पर लगानी होगी ताकि बच्चों व अभिभावकों को बसों में सफर करने वाले बच्चों के बारे में पूरी जानकारी हो। 
 
उन्होंने कहा कि स्कूल द्वारा रखे जाने वाले बस ड्राइवर के पास बस चलाने का कम से कम 5 साल का अनुभव होना चाहिए तथा उसका इन 5 सालों में 3 बार से अधिक चालान नहीं कटा होना चाहिए। उन्होंने बताया कि स्कूल बस के संचालक के पास स्कूल वाहन का परमिट या स्वीकृति पत्र पास होना अनिवार्य है। शहर में बसो की स्पीड अधिकतम 50 किलोमीटर प्रतिघंटा तक होनी चाहिए। 
 
उन्होंने कहा कि बसों में बच्चों की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया स्टॉफ, कन्डेक्टर व महिला अटेंडेट पूरी तरह से ट्रैंड होने चाहिए व उनके साथ एक टीचर इंचार्ज भी अवश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों में बाऊंडरीवॉल व पार्किं ग एरिया होना अनिवार्य है ताकि बच्चों को स्कूल छोड़ते समय व ले जाते समय उन्हें बाऊंडरीवॉल के भीतर से ही लिया जा सके। बसों में फस्ट एड किट के साथ फायर एक्सटींगशर होना भी अनिवार्य है। बसों में नियुक्त किया गया स्टॉफ अपनी यूनिफार्म में होना चाहिए तथा उसके पास सिविल सर्जन से मैडीकल फिटनेस का प्रमाण-पत्र होना चाहिए। 

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