अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद बहुआयामी हो गया है : मनोहर लाल

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इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित काउंटर टैरोरिजम कांफ्रेंस में हरियाणा के सीएम 

आतंकवाद से निपटने के नये मानदण्ड विकसित करने की जरूरत

चंडीगढ़/नई दिल्ली , 14 मार्च:  हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आगाह किया कि आज दुनिया साइबर आतंकवाद, सोशल मीडिया के माध्यम से आतंकवाद, आउटर स्पेस में आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा से सम्बन्धित मुद्दों पर आतंकवाद की चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि इसकी सूची लगातार बढ़ रही है। 

मुख्यमंत्री, जो आज नई दिल्ली में इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित तीसरे काउंटर टैरोरिजम कांफ्रेंस को सम्बोंधित कर रहे थे, ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद बहुआयामी है। अब वह समय नहीं है जब आतंकवाद को केवल हिंसा और सामुहिक हत्याओं के रूप में जाना जाता था। इन चुनौतियों को पहचानने और एकजुट होकर इनसे निपटने के लिए तौर-तरीके और मानदण्ड विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए हमें दृढ़ संकल्प के साथ सहयोगी और समन्वित तरीका अपनाना होगा। 

उन्होंने वैश्विक समुदाय को आंतकवाद के विरूद्ध एकजुट करने के लिए एक व्यापक काउंटर टैरोरिजम रणनीति बनाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि लोग अमन-चैन के माहौल में रह सकें। उन्होंने सचेत किया की वैश्विक आंतकवाद को पोषित करने वाले अनेक कारक हैं। वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा देने के बहुत से कारक हैं। इनमें धार्मिक कट्टरवाद, गरीबी, सामाजिक-आर्थिक शोषण की नीतियां, आर्थिक संसाधनों का उपनिवेशन करने की इच्छा, बेरोजगारी, सोशल मीडिया का गैर-सैद्धांतिक उपयोग, साइबर स्पेस की अनैतिक पद्धतियां, विभिन्न तरह के सामप्रदायिक हित, राजनैतिक वर्चस्व की इच्छा जैसे कई कारक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अपनी पहचान के संकट से ग्रस्त या किसी एक या दूसरे कारण से अपने आप को समाज की मुख्य धारा से अलग-थलग समझने वाले युवा आतंकवादी विचारधारा के समर्थकों के प्रलोभन में आकार आसानी से कट्टरपंथी बन जाते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वास्तव में एक विडम्बना है और चिंता का विषय है कि दुनिया का कोई भी कौना उग्रवाद के अभिशाप से मुक्त नहीं है। ऐसा लगता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आतंकवादियों के विरूद्ध एकजुट होकर कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है। हम सीमा पार से आतंकवाद को प्रत्यर्पणीय अपराध घोषित करने में विफल रहे हैं, जिससे कई देश आतंकवादियों के लिए सुरक्षित शरण स्थल बन गये हैं। ‘हम आतंकवादी समूहों पर प्रतिबंध लगाने और आतंकवादी शिविरों को बंद करवाने पर भी एकमत नहीं हैं। कुछ देश अपनी भूमि पर आतंकवाद को पोषण कर रहे हैं। वे आतंकवाद को राज्य की नीति के एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि हममें से अब कुछेक गुड टैरोरिजम और बैड टैरोरिजम पर बहस में उलझे हुए हुए हैं। हम अभी तक आतंकवाद की सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य परिभाषा भी नहीं दे पाए हैं। इन विषयों पर विस्तार से विचार-विमर्श करने की जरूरत है ताकि प्रभावी और स्वीकार्य ग्लोबल काउंटर टैरोरिजम नीति बनाई जा सके।’   

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद से पीडि़त रहा है और है। वास्तव में भारत आतंकवाद के वैश्विक स्तर पर पैर पसारने से पहले ही इसका शिकार रहा है। आज आतंकवाद किसी देश विशेष या क्षेत्र विशेष की समस्या नहीं है, बल्कि यह बहुत से देशों में शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। आज यह बड़े पैमाने पर फैल चुका है और वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बन चुका है। मेरा राज्य हरियाणा भी पंजाब में आतंकवाद के दौरान इसके दंश को झेल चुका है। आतंकवाद के विरूद्ध हमें एकजुट होकर लड़ाई लडऩी होगी। आतंकवाद की घटनाओं से प्रभावशाली ढंग से और निर्णायक रूप से निपटने के लिए रणनीति बनाने का यह उपयुक्त समय है।

उन्होंने कहा कि भारत एक पावन धरा है। यहां के लोगों का ‘वैसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन में गहरा विश्वास है। जीयो और जीने दो हमारी संस्कृति का मूल मंत्र है। भगवान श्रीकृष्ण के गीता में दिए गये कर्मयोग के संदेश से प्रेरित होकर भारत ने 1996 में अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक समझौता करने का प्रस्ताव किया था। इसका  उद्देश्य वैश्विक समुदाय को आतंकवाद के विरूद्ध एकजुट करना था ताकि लोग अमन-चैन के माहौल में रह सकें। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने तुर्की के अन्ताल्या में आयोजित जी-20 सम्मेलन में वैश्विक समुदाय का आह्वान किया था कि बिना किसी व्यक्तिगत या राष्ट्रों के भेदभाव के अंतकवाद के विरूद्ध एकजुट होकर वर्ष 1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित समझौते को अंगीकार किया जाए। विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गये अपने भाषण में इस कनवेंशन को अपनाने की अपील की थी।

इस अवसर पर मैं आतंकवाद पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के एक कथन का उल्लेख करना चाहूँगा । उन्होंने कहा, ‘आइये राजनीति मतभेदों, भेदभाव तथा अच्छे या बुरे आतंकवाद के बीच अन्तर करने से ऊपर उठकर और भारत द्वारा प्रस्तावित अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक समझौता को अपनाएं।’

मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि यदि इस कनवेंशन पर अमल किया जाता है तो इससे दुनियाभर में आतंकवादियों के लिए कोई जगह नहीं बचेगी और दुनियाभर के लोग और अधिक अमन चैन से रह सकेंगे। इससे हस्ताक्षर करने वाले देशों को आतंकवादी समूहों को हथियारों, धन, मानव संशाधनों और आश्रय स्थलों तक पहुंच से वंचित करने के लिए आपसी तालमेल से कार्य योजना बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा। जीवन, विकास और समृद्धि के लिए शांति और सुरक्षा जरूरी है, जिस पर दुनियाभर में आतंकवादी चोट पहुंचा रहे हैं। 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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