सीसीपीए ने यूपीएससी सीएसई 2023 के परिणाम संबंधी भ्रामक विज्ञापन के लिए शुभ्रा रंजन आईएएस स्टडी पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगया

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नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने शुभ्रा रंजन आईएएस स्टडी पर भ्रामक विज्ञापन के लिए 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह निर्णय उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और संवर्धन के हित में और यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि किसी भी वस्तु अथवा सेवा का कोई गलत या भ्रामक विज्ञापन न किया जाए जिससे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन होता है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के उल्लंघन के मद्देनजर मुख्य आयुक्त श्रीमती निधि खरे और आयुक्त श्री अनुपम मिश्रा की अध्यक्षता वाली सीसीपीए ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 के संबंध में भ्रामक विज्ञापन के लिए शुभ्रा रंजन आईएएस स्टडी के खिलाफ आदेश जारी किया है।

कोचिंग संस्थान और ऑनलाइन एडटेक प्लेटफॉर्म संभावित उम्मीदवारों (उपभोक्ताओं) को प्रभावित करने के लिए सफल उम्मीदवारों की तस्वीरों और नामों का उपयोग करते हैं, जबकि ऐसे उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम या उनके द्वारा भुगतान की गई फीस और पाठ्यक्रम की अवधि का खुलासा नहीं किया जाता है।

शुभ्रा रंजन आईएएस स्टडी ने अपने विज्ञापन में निम्नलिखित दावे किए-

  1. “शीर्ष 100 में 13 छात्र”
  2. “टॉप 200 में 28 छात्र”
  3. यूपीएससी सीएसई 2023 में “टॉप 300 में 39 छात्र”
  4. इसके अलावा, विज्ञापनों में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 के सफल उम्मीदवारों की तस्वीरों और नामों को प्रमुखता से दर्शाया गया है, जबकि ऐसे उम्मीदवारों द्वारा चुने गए विशिष्ट पाठ्यक्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

शुभ्रा रंजन आईएएस स्टडी ने सफल उम्मीदवारों के नाम और तस्वीरें प्रमुखता से प्रदर्शित कीं और साथ ही साथ उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों का विज्ञापन अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर दिया। हालाँकि, यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 में उक्त सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम के संबंध में जानकारी उपर्युक्त विज्ञापन में प्रकट नहीं की गई थी।

सीसीपीए ने यूपीएससी सीएसई 2023 के परिणाम संबंधी भ्रामक विज्ञापन के लिए शुभ्रा रंजन आईएएस स्टडी पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगया 2

संस्थान लगभग 50 से अधिक पाठ्यक्रम की सुविधा करता है। हालाँकि, डीजी जांच रिपोर्ट में पाया गया कि अधिकांश सफल छात्रों ने राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध (पीएसआईआर) क्रैश कोर्स और टेस्ट सीरीज़ ली थी, जो प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद लागू होती है। यह उपभोक्ता का अधिकार है कि उसे सीएसई के अंतिम चयन में जगह बनाने के लिए कोचिंग संस्थान से सफल उम्मीदवारों द्वारा लिए गए विशिष्ट पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी मिले। संभावित उपभोक्ताओं के लिए, यह जानकारी सीएसई में उनकी सफलता के लिए पाठ्यक्रम के बारे में सूचित विकल्प बनाने में योगदान देगी।

प्रत्येक सफल अभ्यर्थी द्वारा चुने गए विशिष्ट पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी को जानबूझकर छिपाकर, संस्थान ने ऐसा दिखाया कि उसके द्वारा प्रस्तुत सभी पाठ्यक्रमों की सफलता दर उपभोक्ताओं के लिए समान है, जो सही नहीं था।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(28) (iv) भ्रामक विज्ञापनों को परिभाषित करती है, जिसमें वे विज्ञापन भी शामिल हैं जिनमें “जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई जाती है”। सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए विशिष्ट पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी उपभोक्ताओं के लिए जानना महत्वपूर्ण है ताकि वे यह तय करते समय सूचित विकल्प बना सकें कि उन्हें किस कोर्स और कोचिंग संस्थान में शामिल होना है।

संस्थान ने अपने विज्ञापनों और लेटरहेड्स में “शुभ्रा रंजन आईएएस” और “शुभ्रा रंजन आईएएस के छात्र” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे यह भ्रामक धारणा बनी कि श्रीमती शुभ्रा रंजन एक आईएएस अधिकारी हैं/थीं। यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत गलत बयान देने और अनुचित व्यापार व्यवहार को दर्शाता है, जिससे जनता और संभावित छात्रों को यह विश्वास दिलाने में गुमराह किया जाता है कि उनके द्वारा प्रदान की गई सेवाएँ या मार्गदर्शन सीधे आईएएस अधिकारी की विश्वसनीयता से जुड़े हैं। संस्थान ने प्रस्तुत किया कि यह एक लिपिकीय गलती थी, जो तर्कसंगत नहीं है क्योंकि शुभ्रा रंजन आईएएस या @shubhraranjanias शब्द का इस्तेमाल इसके लेटरहेड्स और इसके विज्ञापनों में अक्सर किया जाता रहा है। संस्थान ने असाधारण गुणवत्ता और सफलता की धारणा बनाने के लिए भ्रामक प्रथाओं का इस्तेमाल किया। एक विज्ञापन में तथ्यों का सत्य और ईमानदार प्रतिनिधित्व होना चाहिए, जिसमें इस तरह से खुलासा किया जाना चाहिए कि वे स्पष्ट, प्रमुख और दर्शकों के लिए नोटिस करना बेहद मुश्किल हो।

उपरोक्त के मद्देनजर, सीसीपीए ने संस्थान को तत्काल प्रभाव से भ्रामक विज्ञापन बंद करने और भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए 2,00,000 रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया।

22 नवम्बर 2024 को, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने यूपीएससी सीएसई 2022 के परिणामों के बारे में भ्रामक दावों का विज्ञापन करने के लिए वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट पर 7 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट ने अपने विज्ञापन में दावा किया था कि “यूपीएससी सीएसई 2022 में 933 में से 617 चयनित” और “हम भारत में शीर्ष यूपीएससी कोचिंग संस्थानों की सूची में प्रथम स्थान पर हैं”। सीसीपीए ने पाया कि दावा किए गए सभी 617 सफल उम्मीदवारों को साक्षात्कार मार्गदर्शन कार्यक्रम में नामांकित किया गया था, जो “निःशुल्क” प्रदान किया गया था। सीसीपीए ने वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट के खिलाफ तत्काल प्रभाव से भ्रामक विज्ञापन बंद करने का आदेश जारी किया।

कोचिंग संस्थानों द्वारा भ्रामक विज्ञापन देने के खिलाफ सीसीपीए ने कार्रवाई की थी। इस संबंध में सीसीपीए ने अब तक विभिन्न कोचिंग संस्थानों को भ्रामक विज्ञापन देने के लिए 45 नोटिस जारी किए हैं। सीसीपीए ने 20 कोचिंग संस्थानों पर 63 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए उन्हें भ्रामक विज्ञापन बंद करने का निर्देश दिया है।

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) के माध्यम से उपभोक्ता मामले विभाग ने यूपीएससी सिविल सेवा, आईआईटी और अन्य प्रवेश परीक्षाओं के लिए नामांकन कराने वाले छात्रों और अभ्यर्थियों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए मुकदमे-पूर्व चरण में सफलतापूर्वक हस्तक्षेप किया है। विभिन्न कोचिंग सेंटरों द्वारा अनुचित व्यवहार, विशेष रूप से छात्रों/अभ्यर्थियों की नामांकन फीस वापस न करने के संबंध में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में दर्ज कई शिकायतों के बाद, एनसीएच ने 432 प्रभावित छात्रों को (1 सितंबर 2023 से 31 अगस्त 2024 के दौरान) कुल 1.15 करोड़ रुपये की वापसी की सुविधा के लिए मिशन-मोड पर इन शिकायतों को हल करने के लिए एक अभियान शुरू किया। देश के सभी क्षेत्रों से प्रभावित छात्रों ने एनसीएच पर अपनी शिकायतें उठाईं, विभाग के हस्तक्षेप के बाद ये सभी रिफंड मुकदमे-पूर्व चरण में तुरंत संसाधित किए गए।

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