नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय के एकीकृत रक्षा कार्मिक मुख्यालय के अंतर्गत कार्यरत तीनों सेनाओं के थिंक टैंक सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज (सीईएनजेओडब्ल्यूएस) ने स्वदेशीकरण क्षमताओं को विस्तार देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाया है। इसने जबलपुर के सीता पहाड़ी स्थित भारतीय सेना के प्रशिक्षण प्रतिष्ठान मिलिट्री कॉलेज ऑफ मैटेरियल मैनेजमेंट (एमसीएमएम) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के क्रियान्वित होने से सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज में ‘एमसीएमएम चेयर ऑफ एक्सीलेंस’ की स्थापना होगी, जिससे भारतीय सेना के लिए हथियारों के गुणवत्ता आश्वासन, नियंत्रण और उपयोगकर्ता परीक्षणों हेतु मानकीकृत प्रोटोकॉल तथा प्रक्रियाओं की शुरू करने पर अनुसंधान को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा। इस समझौता ज्ञापन पर नई दिल्ली में चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू की उपस्थिति में एमसीएमएम के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल संजय सेठी और सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज के महानिदेशक मेजर जनरल (डॉ) अशोक कुमार ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर मेजर जनरल (डॉ.) अशोक कुमार ने नीति-उन्मुख सिफारिशों के लिए विकास को बढ़ावा देने हेतु अनुसंधान के महत्व पर बल दिया, जिससे तीनों सेनाओं की सहायता के उद्देश्य से मानकीकरण का आधार तैयार होगा। लेफ्टिनेंट जनरल संजय सेठी ने भी आत्मनिर्भर भारत के साथ तालमेल बनाने के लिए दोनों संस्थानों के साझा दृष्टिकोण का उल्लेख किया।
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
सहयोगात्मक अनुसंधान: अध्ययन में व्यापक क्यूए/क्यूसी प्रोटोकॉल विकसित करने, खरीद एवं अनुबंध ढांचे को बढ़ाने, सहायता को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से मानकीकृत कार्यप्रणाली स्थापित करने और भारतीय सेना के लिए विशिष्ट निरीक्षण, प्रमाण एवं प्रमाणन मानकों को बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
क्षमता निर्माण: एमसीएमएम और सीईएनजेओडब्ल्यूएस स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ विभिन्न हितधारकों के लिए कार्यशालाएं, सेमिनार तथा चर्चाएं आयोजित करेंगे।
ज्ञान का सृजन: अध्ययन में तीनों सेनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के प्रयासों का दस्तावेजीकरण किया जाएगा।