नई दिल्ली। भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (डीओटी) के अंतर्गत प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमेटिक्स (सी-डॉट) ने स्वदेशी, अत्याधुनिक, अगली पीढ़ी की दूरसंचार प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, “ड्रोन का उपयोग करके चेहरों की पहचान” वाली प्रौद्योगिकी के लिए ट्रॉइस इन्फोटेक के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस समझौते पर दूरसंचार विभाग के सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि – यू.एस.ओ.एफ. के दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) कार्यक्रम के अंतर्गत हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसमें सी-डॉट भारत सरकार की कार्यान्वयन एजेंसी है। यह सहयोग अत्याधुनिक स्वदेशी दूरसंचार प्रौद्योगिकियों और समाधानों के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सी-डॉट के सहयोगी कार्यक्रमों (सीसीपी) के माध्यम से “आत्मनिर्भर भारत” के दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है। यह योजना भारतीय स्टार्टअप, शिक्षाविदों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को वित्तपोषित करने के लिए बनाई गई है, जो दूरसंचार उत्पादों और समाधानों के डिजाइन, विकास और व्यावसायीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक के रूप में कार्य करती है। इसका उद्देश्य सस्ती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं की सुविधा प्रदान करना है, जो पूरे भारत में डिजिटल विभाजन को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
ट्रॉइस इन्फोटेक एक अभिनव डीप-टेक स्टार्टअप है। इसकी स्थापना 2018 में हुई थी और इसका मुख्यालय त्रिवेंद्रम के टेक्नोपार्क में है। केरल स्टार्टअप मिशन (केएसयूएम) द्वारा विकसित की गई इस कंपनी को एआई/एमएल, एम्बेडेड सिस्टम, IoT, स्मार्ट सर्विलांस, एंटरप्राइज़ वेब और मोबाइल टेक्नोलॉजी, वीडियो मैनेजमेंट सिस्टम (वीएमएस) और दूरसंचार में समाधान में विशेषज्ञता हासिल है। ट्रॉइस इन्फोटेक उन्नत हार्डवेयर सिस्टम को सॉफ़्टवेयर समाधानों के साथ एकीकृत करता है, जिससे बड़े पैमाने पर उपयोग में सक्षम और प्रभावशाली उत्पाद मिलते हैं। 150 से अधिक कर्मचारियों के साथ, ट्रॉइस इन्फोटेक अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित करने में सबसे आगे है जो बुद्धिमत्तापूर्ण निगरानी को बढ़ावा देती हैं और परिचालन दक्षता में वृद्धि करती हैं। अनुसंधान और विकास पर इसका ध्यान स्मार्ट तकनीकों की निरंतर उन्नति सुनिश्चित करता है। ट्रॉइस इन्फोटेक भारत, मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण एशिया तक विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहा है।
यह परियोजना औद्योगिक-स्तर के, लंबी दूरी के कैमरों से सुसज्जित उन्नत ड्रोन-आधारित समाधान विकसित करने पर केंद्रित है, जो चेहरे की पहचान, उच्च सटीकता वाले एज प्रोसेसिंग और वास्तविक समय में निर्बाध डेटा ट्रांसमिशन के लिए उपयुक्त हैं। अत्याधुनिक कंप्यूटर विज़न और एआई तकनीकों से लैस इसके ड्रोन, कैमरे और लक्ष्य की गतिविधि, कम रोशनी की स्थिति और बिजली की कमी जैसी चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं। इसके प्रमुख नवाचारों में उच्च-ज़ूम लेंस, फेस अडैप्टिव एक्सपोज़र कंट्रोल टेक्नोलॉजी और मालिकाना संचार प्रोटोकॉल के साथ कस्टम इमेजिंग सिस्टम शामिल हैं। इसका प्राथमिक उद्देश्य रात्रि में निगरानी के लिए एडवांस नाइट विज़न के साथ लंबी दूरी की इमेजिंग तकनीक (500 मीटर+) का विकास, वास्तविक समय में चेहरे की पहचान के लिए उच्च सटीकता वाले एज प्रोसेसिंग और ग्राउंड स्टेशनों के साथ निर्बाध संचार के लिए 4 जी एलटीई, 5 जी और लंबी दूरी की फाईफाई (आईईईई 802.11एएच) तकनीक को एकीकृत करने वाली एक निर्बाध संचार प्रणाली तैयार करना है। इसकी तकनीकी सफलताओं में उच्च-संवेदनशीलता वाले सी एम ओ एस सेंसर, आईआर लेजर रोशनी, उपयुक्त एक्सपोज़र के लिए फेस अडैप्टिव एक्सपोज़र कंट्रोल टेक्नोलॉजी और वास्तविक समय में प्रसंस्करण के लिए कम-ऊर्जा वाले एआई हार्डवेयर के साथ एक उन्नत इमेजिंग सिस्टम शामिल है। हवाई निगरानी के लिए डिजाइन किए गए ये ड्रोन यातायात प्रबंधन, आपातकालीन प्रतिक्रिया, रक्षा, पर्यावरण निगरानी आदि क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे तथा वास्तविक समय में खुफिया जानकारी और निर्णय लेने के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी में नए मानक स्थापित करेंगे।
एक समारोह में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें सी-डॉट के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय, ट्रॉइस इन्फोटेक के सीईओ जितेश टी. और सीआईओ नंदकुमार टी.ई., सी-डॉट के निदेशक डॉ. पंकज दलेला और शिखा श्रीवास्तव तथा डीओटी के वरिष्ठ अधिकारी, डीडीजी (टीटीडीएफ) डॉ. पराग अग्रवाल और डीडीजी (एसआरआई) विनोद कुमार भी उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम में सी-डॉट के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने हमारे विविध देश की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने में स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और “आत्मनिर्भर भारत” के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
कार्यक्रम में जितेश टी. और नंदकुमार ने अभिनव “ड्रोन का उपयोग करके चेहरे की पहचान” की तकनीक के विकास पर जोर दिया। उन्होंने इस सहयोग के अवसर के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) और टेलीमैटिक्स विकास केंद्र (सी-डॉट) के प्रति आभार व्यक्त किया। सी-डॉट प्रतिनिधियों ने भी “ड्रोन का उपयोग करके चेहरा पहचानने” की तकनीक विकसित करने में इस सहयोग के प्रयास के प्रति अपना उत्साह और प्रतिबद्धता व्यक्त की।