नई दिल्ली : वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई। बैठक का उद्देश्य विशेष रूप से दिल्ली में वायु प्रदूषण हॉटस्पॉट और अन्य निर्दिष्ट प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत की जा रही कार्रवाइयों की प्रगति और प्रभावशीलता की समीक्षा करना था।
बैठक में दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली सरकार के प्रमुख विभागों और एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें पर्यावरण, परिवहन, एमसीडी, यातायात पुलिस, दिल्ली जल बोर्ड, पीडब्ल्यूडी और डीएसआईआईडीसी के अलावा सीपीडब्ल्यूडी, एनडीएमसी, एनएचएआई, डीएमआरसी, डीडीए, एनसीआरटीसी और एनबीसीसी जैसे अन्य संगठन शामिल थे।
बैठक के दौरान इस बात पर ज़ोर दिया गया कि सभी संबंधित विभागों, प्राधिकरणों और एजेंसियों को आयोग द्वारा जारी निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए। निर्देशों को सख्ती और बिना किसी समझौते के लागू करने के महत्व को रेखांकित किया गया और इस बात पर ज़ोर दिया गया कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ़ तत्काल और सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि सभी स्तरों पर जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
बैठक के दौरान जीआरएपी के चरण–I और चरण–II के दौरान किए जाने वाले/तेज किए जाने वाले प्रमुख निवारक कार्यों को दोहराया गया:
ग्रैप चरण I
- 500 वर्ग मीटर से अधिक आकार वाले तथा ‘वेब पोर्टल’ पर पंजीकृत न होने वाले सी एंड डी परियोजनाओं को रोकें।
- बायोमास और नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट को खुले में जलाने पर प्रतिबंध।
- ढाबों और रेस्तरां आदि में तंदूरों में कोयला/लकड़ी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाएं।
- संवेदनशील/भीड़भाड़ वाले स्थानों पर बेहतर यातायात प्रबंधन।
- प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को जब्त करना/दंडात्मक कार्रवाई करना।
ग्रैप चरण II
- धूल से निपटने के लिए सड़कों की मशीन से सफाई, पानी का छिड़काव तथा एंटी–स्मॉग गन का उपयोग बढ़ाया जाना चाहिए।
- डी.जी. सेटों के उपयोग को न्यूनतम करने के लिए डिस्कॉम के माध्यम से निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- वायु प्रदूषण के चिन्हित हॉटस्पॉटों पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
- सीएक्यूएम द्वारा निर्दिष्ट आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर डीजी सेटों पर विनियम।
- समन्वय बढ़ाने, समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करने तथा क्षेत्र में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों की समग्र प्रभावशीलता में सुधार लाने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की दिशा में निम्नलिखित बातों पर प्रकाश डाला गया:
- संबंधित प्राधिकारियों को उनके सोशल मीडिया पेज पर शिकायत का जवाब देते समय संबंधित कार्यान्वयन प्राधिकारी के साथ सीएक्यूएम को टैग करने के लिए जारी निर्देशों का कार्यान्वयन।
- जीआरएपी के विभिन्न चरणों के तहत एनसीआर में वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए संबंधित एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई के प्रभावी कार्यान्वयन और निगरानी तथा नागरिकों की शिकायतों के निवारण के लिए आयोग में “जीआरएपी निगरानी नियंत्रण कक्ष” स्थापित किया गया है।
- जीआरएपी निगरानी नियंत्रण कक्ष को दैनिक डेटा रिपोर्टिंग के लिए डीपीसीसी/एसपीसीबी द्वारा नोडल अधिकारी नामित किया गया है।
- सूचना के सुचारू प्रवाह के लिए एक समूह भी बनाया गया है और डीपीसीसी/एसपीसीबी के संबंधित नोडल अधिकारी और सदस्य सचिव को इसमें शामिल किया गया है।
- जीआरएपी के अंतर्गत की गई कार्रवाइयों पर साझा की गई रिपोर्ट/सूचना का आयोग द्वारा नियमित आधार पर विश्लेषण किया जाता है ताकि विभिन्न एजेंसियों/विभागों की समग्र प्रतिक्रिया का आकलन किया जा सके तथा आवश्यक सुधारात्मक उपायों के लिए नोडल अधिकारियों के साथ नियमित अनुवर्ती कार्रवाई की जा सके।
आयोग ने संबंधित एजेंसियों द्वारा निपटाए जा रहे लंबित शिकायतों के समाधान की धीमी गति और बढ़ते बैकलॉग के बारे में चिंता व्यक्त की। इस बात पर ज़ोर दिया गया कि उल्लंघन के हर मामले को तत्परता से निपटाया जाना चाहिए और त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के लिए तुरंत संबोधित किया जाना चाहिए। आयोग ने शिकायतों से निपटने में अधिक सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित किया, क्योंकि मुद्दों को हल करने में देरी से वायु गुणवत्ता प्रबंधन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन में भी बाधा आती है। यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि एजेंसियों को लंबित मामलों को हल करने और अनसुलझे शिकायतों के आगे संचय को रोकने के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए। आयोग ने अधिकारियों को यह भी याद दिलाया कि प्रवर्तन प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने और वायु प्रदूषण नियंत्रण के व्यापक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए समय पर समाधान महत्वपूर्ण है।
एमसीडी को विशेष रूप से सार्वजनिक पार्किंग स्थलों में पार्किंग शुल्क संरचना की व्यापक समीक्षा करने का निर्देश दिया गया था जैसा कि आयोग द्वारा दिनांक 20.08.2024 के निर्देश संख्या 82 के माध्यम से कहा गया था। यह निर्देश सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए निजी वाहनों के लिए पार्किंग शुल्क के युक्तिकरण/समीक्षा को अनिवार्य बनाता है।
बैठक में पक्की सड़कों, बाजारों, सार्वजनिक स्थानों आदि पर निजी वाहनों की अनाधिकृत/बेतरतीब पार्किंग के खिलाफ सख्त अनुशासन और उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया जिससे वाहनों की भीड़ और प्रदूषण के उच्च स्तर विशेष रूप से जो सर्दियों में,बढ़ जाते हैं और प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणपत्र व्यवस्था के उल्लंघन सहित उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आह्वान किया गया।
आयोग ने अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले(ई.ओ.एल.) वाहनों (पेट्रोल वाहनों के लिए 15 वर्ष से अधिक तथा डीजल वाहनों के लिए 10 वर्ष से अधिक) को समाप्त करने के लिए तीव्र कार्रवाई करने का निर्देश दिया जो अभी भी दिल्ली में चल रहे हैं।
दिल्ली में जीआरएपी को लागू करने के लिए बताए गए प्रमुख कार्यों में हॉटस्पॉट–विशिष्ट कार्य योजनाएं और अन्य पहचाने गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में उपाय, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना और यातायात प्रबंधन में सुधार करना, सर्दियों के दौरान खुले में बायोमास/एमएसडब्ल्यू को जलाने से रोकना और अन्य पहलों के अलावा सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना शामिल है।
बैठक में वायु प्रदूषण से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए प्रमुख हॉटस्पॉट और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सभी संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय में लक्षित कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इस बात पर जोर दिया गया कि प्रदूषण नियंत्रण उपायों के सफल कार्यान्वयन और वायु गुणवत्ता में सार्थक सुधार सुनिश्चित करने के लिए एक सहयोगात्मक और केंद्रित दृष्टिकोण आवश्यक है।