ग्रामीण उद्यमिता को नई दिशा : एसएचजी उत्पादों की पैकेजिंग और डिज़ाइन पर विशेष सत्र आयोजित

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गुरुग्राम, 21 अक्टूबर। राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (NIRDPR), दिल्ली शाखा द्वारा आयोजित ” स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) उत्पादों की बेहतर डिज़ाइनिंग और पैकेजिंग” विषय पर आज एक प्रभावी सत्र गुरुग्राम के लेज़र वैली ग्राउंड में आयोजित सरस आजीविका मेला 2024, में किया गया। सत्र में वक्ता के तौर पर नई दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) से पुनीत दहिया मौजूद रहे। इस सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान, दिल्ली शाखा की प्रभारी डॉ. रुचिरा भट्टाचार्य ने की। इस सत्र में शोध एवं प्रशिक्षण अधिकारी सुधीर कुमार सिंह, नरेश कुमारी, सुरेश प्रसाद, स्वयं सहायता समूहों के सदस्य और प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

सत्र का मुख्य उद्देश्य एसएचजी उत्पादों को बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और आकर्षक बनाना था, ताकि ग्रामीण उद्यमियों को उनके उत्पादों की बिक्री में वृद्धि हो और वे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुंच बना सकें। पुनीत दहिया ने अपने संबोधन में कहा कि डिज़ाइन और पैकेजिंग एक ऐसा महत्वपूर्ण तत्व है, जो उत्पाद की प्रस्तुति और उसकी ब्रांड छवि को मजबूत करता है। उन्होंने प्रतिभागियों को नए डिज़ाइनिंग रुझानों, पैकेजिंग के तकनीकी पहलुओं, और ब्रांडिंग के महत्व से अवगत कराया। इस दौरान उन्होंने व्यावहारिक उदाहरणों के साथ दिखाया कि कैसे छोटे-छोटे बदलाव भी उत्पाद की अपील में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके बनाए गए उत्पादों को बाज़ार में उतारने के लिए प्रेरित किया गया। सरस आजीविका मेला 2024 का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं और उनके स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्त्र, हस्तशिल्प, खाद्य पदार्थों और अन्य उत्पादों को प्रोत्साहन देना और उनके लिए एक मंच उपलब्ध कराना है।

इस सत्र के दौरान प्रतिभागियों को मौजूदा डिज़ाइनिंग के रुझानों और रंग संयोजन के महत्व के बारे में जानकारी दी गई। इस सत्र के दौरान मौजूद सदस्यों ने सीखा कि किस प्रकार न केवल बेहतर पैकेजिंग उत्पाद की सुरक्षा करती है, बल्कि उसे आकर्षक भी बनाती है। इसमें पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग और लागत-कुशल पैकेजिंग पर भी जोर दिया गया। मौजूद सदस्यों को यह भी समझाया गया कि एक अच्छी ब्रांड छवि कैसे बनती है और कैसे ब्रांडिंग उत्पाद की बिक्री और उपभोक्ता की रुचि को प्रभावित करती है।

प्रतिभागियों ने इस सत्र को बेहद उपयोगी बताया और कहा कि इससे उन्हें अपने उत्पादों को बाज़ार में पेश करने के नए और बेहतर तरीके सीखने को मिले। इस अवसर पर कई एसएचजी की महिलाओं ने अपने उत्पादों को प्रदर्शित भी किया, जो आकर्षक डिज़ाइन और पैकेजिंग से सुसज्जित थे।

राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान के अधिकारियों ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि इस प्रकार के सत्र ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं और उनके स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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