एम्स, नई दिल्ली 69 वर्ष का हुआ : भारत के चिकित्सा संस्थानों में लगातार सातवें वर्ष शीर्ष स्थान पर खड़ा

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नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव ने कहा है, “अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स नई दिल्ली भारत में चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अग्रणी है, जिसकी उत्कृष्टता की विरासत दुनिया भर के चिकित्सा संस्थानों को प्रेरित करती रहती है ।”

 

श्री जाधव ने एम्स, नई दिल्ली के 69 वें स्थापना दिवस समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा, “एम्स नई दिल्ली ने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं और यह विश्व में अग्रणी स्थान रखने वाले चिकित्सा संस्थानों में से एक होने के अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दृढ़ संकल्प है।” है, केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के समय से लगातार सातवें वर्ष एम्स नई दिल्ली को भारत के चिकित्सा संस्थानों में शीर्ष स्थान दिया गया है और इस संस्थान की यह अपरिवर्तित स्थिति उल्लेखनीय उपलब्धि है।”

उन्होंने बताया कि एम्स नई दिल्ली अब केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय चिकित्सा कॉलेज नेटवर्क (एनएमसीएन) के राष्ट्रीय संसाधन केंद्र के रूप में कार्यरत है। जिससे स्नातक, स्नातकोत्तर और सतत चिकित्सा शिक्षा को बढ़ाने के लिए 100 से अधिक चिकित्सा कॉलेजों के साथ संपर्क स्थापित करने में मदद मिली है। उन्होंने कहा, “इस उद्देश्य को पिछले वर्ष शुरू की गई राष्ट्रीय शिक्षण प्रबंधन एवं सूचना प्रणाली, एसएकेएसएचवाईएएम द्वारा सुगम बनाया जा रहा है।”

 

श्री जाधव ने कहा कि एम्स नई दिल्ली ने स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सृजित इस केंद्र से छाती के एक्स-रे के मूल्यांकन, मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी का शीघ्र पता लगाने और त्वचा के घावों की पहचान के साथ-साथ अन्य उपकरणों के लिए एआई आधारित समाधान प्रदान करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि ” अत्याधुनिक रोबोटिक सर्जरी उपकरणों के साथ सर्जनों के प्रशिक्षण के लिए समर्पित एम्स सबसे बड़ा रोबोटिक सर्जरी कौशल प्रशिक्षण केंद्र बनने के लिए तैयार है।”

यह भी बताया गया कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा 900 से अधिक बाह्य शोध परियोजनाओं के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है, जिसकी कुल अनुदान राशि लगभग 200 करोड़ रुपये है, जबकि एम्स ने अपने स्तर पर 240 से अधिक आंतरिक शोध परियोजनाओं को वित्त पोषित किया है। इसके अलावा छात्रों, रेजीडेंट डॉक्टरों, पीएचडी शोधार्थियों और कर्मचारियों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा लेने के लिए यात्रा फेलोशिप प्रदान की है। एम्स दिल्ली ने बीआईआरएसी– बायोनेस्ट योजना के तहत बायो-इनक्यूबेटर के रूप में चिकित्सा नवाचार और उद्यमिता केंद्र भी शुरू किया है।

श्री जाधव ने कहा कि एम्स ने 2200 कमरों वाला एक नया छात्रावास परिसर बनाने की योजना बनाई है, जिसका अनुमानित खर्च लगभग 900 करोड़ रुपये है। उन्होंने हाल ही में शुरू की गई नई शैक्षणिक सुविधाओं जैसे मातृत्व एवं शिशु ब्लॉक, सर्जरी ब्लॉक और राष्ट्रीय वृद्धावस्था केंद्र के बारे में भी जानकारी दी, जो अब पूर्ण रूप से काम कर रहे हैं। पिछले 2 वर्षों में एम्स में मरीजों के लिए बिस्तरों में 30 प्रतिशत से अधिक, गहन देखभाल और ऑपरेशन थिएटर सेवाओं में लगभग 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ये नई सुविधाएं एम्स की बृहत नैदानिक मांग को पूरा करने की क्षमता में सुधार करेंगी। मैदानगढ़ी में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आयुर्विज्ञान संस्थान (सीएपीएफआईएमएस) को चालू करने की जिम्मेदारी भी एम्स को सौंपी गई है।

केंद्रीय मंत्री ने एम्स के विभिन्न विभागों द्वारा किए गए नवीन अनुसंधान और परियोजनाओं को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी का आधिकारिक रूप से उद्घाटन करते हुए संस्थान के स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

 

केंद्रीय मंत्री ने पुरस्कार समारोह का उद्घाटन भी किया, जिसमें छात्रों और कर्मचारियों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। संस्थान दिवस प्रदर्शनी में शोध और नवाचार में उत्कृष्टता योगदान के लिए भी पुरस्कार दिए गए।

 

एम्स नई दिल्ली ने सूचना प्रोद्यौगिकी संबंधी कई पहल की हैं और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए कई इन-हाउस सॉफ्टवेयर विकसित किए हैं। संतुष्ट पोर्टल मरीजों को उनकी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज करने, स्थिति का पता लगाने और समाधान संबंधी प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाता है। संस्थान में पारदर्शिता बढ़ाने और मरीजों के विश्वास को बनाए रखने के लिए, रियलटाइम डैशबोर्ड विकसित किए गए हैं तथा उन्हें जनता के लिए उपलब्ध कराया गया है। किसी भी हार्डवेयर या नेटवर्क समस्या के जल्द समाधान के लिए आईटी अवसंरचना और नेटवर्क प्रबंधन को भी डिजिटल बनाया गया है। आपातकालीन विभाग के लिए ट्राइएज रजिस्टर एक वेब एप्लिकेशन है, जो रोगी की बीमारी की स्थिति, चिकित्सा जांच का रिकॉर्ड रखने में मदद करता है और विभिन्न विभागों द्वारा समय पर आपसी-परामर्श सुनिश्चित करके मरीज की हालत में सुधार करने में मदद करता है। केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम के दौरान इन डिजिटल पहलों का शुभारंभ किया। उन्होंने एम्स में छह कर्मचारियों वाले एक अग्निशमन केंद्र का भी उद्घाटन किया। यह किसी भी मेडिकल संस्थान के लिए विशेष रूप से पहला ऐसा स्टेशन है।

 

इस अवसर पर एम्स नई दिल्ली के निदेशक प्रो. एम. श्रीनिवास ने कहा, “एम्स को पहले ही अपने कुछ ब्लॉक और केंद्रों के लिए एनएबीएच प्रमाणन मिल चुका है और मुख्य अस्पताल सहित सभी केंद्रों के एनएबीएच प्रमाणन की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि चरणबद्ध तरीके से सभी प्रयोगशालाओं की एनएबीएल मान्यता प्रक्रियाधीन है। उन्होंने यह भी बताया कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के कार्यान्वयन में भी एम्स अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा, “इसने विभिन्न चुनौतियों का सामना किया है और 7 लाख से अधिक एबीएचए आईडी और 20 लाख से अधिक स्कैन और शेयर टोकन बनाकर देश के लिए एक आदर्श चिकित्सा संस्थान बन गया है।”

पृष्ठभूमि:

उल्लेखनीय है कि 1956 में स्थापित एम्स का उद्देश्य बेहतर गुणवत्तायुक्त चिकित्सा, शिक्षा और व्यापक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना था। इस संस्थान की स्थापना देश में पूर्ण रूप से प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की कमी को पूरा करने के लिए एक बड़े प्रयास के हिस्से के रूप में की गई थी। स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच और गुणवत्ता में चुनौतियों को देखते हुए, सरकार ने एक ऐसा संस्थान बनाने का लक्ष्य रखा, जो चिकित्सा प्रशिक्षण और रोगी देखभाल के क्षेत्र में मानक स्थापित करेगा।

अपनी स्थापना के समय से ही, एम्स नवीन चिकित्सा पद्धतियों और अत्याधुनिक शोध को विकसित करने में अग्रणी रहा है। इसके व्यापक दृष्टिकोण में निवारक, उपचारात्मक और पुनर्वास देखभाल पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है, जो इसे देश भर के चिकित्सा संस्थानों के लिए एक मॉडल बनाता है। दशकों से एम्स न केवल एक प्रमुख मेडिकल कॉलेज बन गया है, बल्कि एक शीर्ष शोध केंद्र भी बन गया है, जो चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में एम्स का महत्व

नई दिल्ली स्थित एम्स ने देश के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य को विस्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके महत्व को दर्शाने वाले कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

1. गुणवत्तायुक्त चिकित्सा शिक्षा : एम्स ने हजारों चिकित्सा पेशेवरों को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो देश भर में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। इसके कठोर शैक्षणिक कार्यक्रम यह सुनिश्चित करते हैं कि छात्रों को न केवल सैद्धांतिक ज्ञान मिले, बल्कि व्यावहारिक प्रशिक्षण भी मिले, जिससे वे रोगियों को उच्च-गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करने में सक्षम हो सकें।

2. शोध और नवाचार : यह संस्थान कार्डियोलॉजी, ऑन्कोलॉजी और न्यूरोसाइंस सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने अत्याधुनिक शोध कार्यों के लिए जाना जाता है। एम्स के शोधकर्ताओं ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, अक्सर अपने निष्कर्षों को विश्व की वास्तविक जरूरतों के अनुरूप परिवर्तित किया है, जिससे रोगियों को फायदा हो रहा है।

3. जन स्वास्थ्य पहल : एम्स ने निवारक देखभाल और स्वास्थ्य शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए जन स्वास्थ्य पहुंच कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लिया है। इन पहलों का उद्देश्य स्वास्थ्य समानता को बढ़ावा देने के सरकार के लक्ष्यों के अनुरूप हुए हाशिए पर रह रहे समुदायों के लिए स्वास्थ्य सेवा पहुंच में सुधार करना है।

4. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियां : एम्स ने विभिन्न स्वास्थ्य नीतियों और कार्यक्रमों पर सरकार के लिए एक सलाहकार निकाय के रूप में काम किया है। इसके शोध निष्कर्षों और विशेषज्ञ सिफारिशों ने स्वास्थ्य नीति निर्णयों को प्रभावित किया है और यह भी सुनिश्चित किया है कि वे साक्ष्य-आधारित और आबादी की जरूरतों के अनुरूप हैं।

5. स्वास्थ्य संकट के दौरान संस्थान की भूमिका : कोविड-19 महामारी जैसी स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान, एम्स ने देखभाल प्रबंधन, अनुसंधान करने और बेहतर विधियों के लिए मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संकट प्रबंधन में इसका नेतृत्व जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण रहा है।

 

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