नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज महाराष्ट्र के वर्धा में राष्ट्रीय पीएम विश्वकर्मा कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने ‘आचार्य चाणक्य कौशल विकास’ योजना और ‘पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर महिला स्टार्टअप योजना’ का शुभारंभ किया। उन्होंने पीएम विश्वकर्मा लाभार्थियों को प्रमाणपत्र और ऋण जारी किए तथा पीएम विश्वकर्मा के तहत प्रगति के एक वर्ष को यादगार बनाने के लिए समर्पित एक स्मारक टिकट भी जारी किया। श्री मोदी ने महाराष्ट्र के अमरावती में पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्क की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, दो दिन पहले विश्वकर्मा पूजा समारोह को याद करते हुए कहा कि आज यहां वर्धा में पीएम विश्वकर्मा योजना के सफलतापूर्वक एक वर्ष पूरा होने का उत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा आज का दिन विशेष है, क्योंकि महात्मा गांधी ने 1932 में इसी दिन अस्पृश्यता के खिलाफ अभियान की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि आज पीएम विश्वकर्मा का एक वर्ष पूरा होना और श्री विनोबा भावे की साधनास्थली और महात्मा गांधी की कर्मभूमि वर्धा की धरती से इसका उत्सव मनाना, इस अवसर को विकसित भारत के संकल्प को नई ऊर्जा देने की उपलब्धि और प्रेरणा का संगम बनाता है। उन्होंने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना के माध्यम से सरकार ने कौशल विकास और ‘श्रम से समृद्धि’ के माध्यम से बेहतर भविष्य बनाने का संकल्प लिया है और महात्मा गांधी के आदर्श इसे वास्तविकता में बदलने का माध्यम बनेंगे। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर पीएम विश्वकर्मा योजना से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आज पीएम मित्र पार्क की आधारशिला रखी गई है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज का भारत अपने वस्त्र उद्योग को दुनिया के बाजारों में शिखर पर ले जाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य भारत के वस्त्र उद्योगों की सदियों पुरानी प्रसिद्धि और पहचान को फिर से स्थापित करना है। श्री मोदी ने कहा कि अमरावती में पीएम मित्र पार्क इस दिशा में एक और बड़ा कदम है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए अमरावती के लोगों को बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि महाराष्ट्र के वर्धा जिले को पीएम विश्वकर्मा योजना की पहली वर्षगांठ के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि यह सिर्फ एक और सरकारी कार्यक्रम नहीं है बल्कि यह सदियों पुराने पारंपरिक कौशल का उपयोग करके भारत को एक विकसित देश बनाने का एक रोडमैप है। उन्होंने कहा कि हमारे सदियों पुराने पारंपरिक कौशल भारत की समृद्धि के कई गौरवशाली अध्यायों का आधार थे, उन्होंने कहा कि हमारी कला, इंजीनियरिंग, विज्ञान और धातु विज्ञान पूरी दुनिया में बेजोड़ है। श्री मोदी ने कहा, “हम दुनिया के सबसे बड़े कपड़ा निर्माता थे।” प्रधानमंत्री ने कहा, “अतीत में मिट्टी के बर्तनों और इमारतों का कोई मुकाबला नहीं था।” श्री मोदी ने कहा कि बढ़ई, लोहार, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, बढ़ई-राजमिस्त्री और ऐसे कई पेशेवर भारत की समृद्धि की नींव हुआ करते थे और इस ज्ञान एवं विज्ञान को घर-घर तक पहुंचाते थे। यह कहते हुए कि अंग्रेजों ने इन स्वदेशी कौशलों को खत्म करने के लिए अनेक साजिशें रचीं, श्री मोदी ने कहा कि वर्धा की इसी धरती से गांधीजी ने ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा दिया। उन्होंने देश के दुर्भाग्य पर नाराजगी व्यक्त की कि आजादी के बाद आई सरकारों ने इस हुनर को वह सम्मान नहीं दिया जिसका वह हकदार था। यह टिप्पणी करते हुए कि पूर्ववर्ती सरकारों ने शिल्प और हुनर का सम्मान करना भूलकर विश्वकर्मा समुदाय की लगातार उपेक्षा की, उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप भारत प्रगति और आधुनिकता की दौड़ में पिछड़ता चला गया।
इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि वर्तमान सरकार ने आजादी के 70 वर्षों के बाद पारंपरिक कौशल में नई ऊर्जा लाने का संकल्प लिया है, प्रधानमंत्री ने जिक्र किया कि ‘सम्मान, सामर्थ्य, समृद्धि’ (सम्मान, क्षमता और समृद्धि) प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की भावना है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा उद्देश्य पारंपरिक शिल्प को सम्मान, कारीगरों का सशक्तिकरण और विश्वकर्माओं की समृद्धि है।
प्रधानमंत्री ने पीएम विश्वकर्मा को सफल बनाने के लिए विभिन्न विभागों के बड़े पैमाने पर और अभूतपूर्व सहयोग की ओर ध्यान आकर्षित किया और बताया कि 700 से अधिक जिले, 2.5 लाख ग्राम पंचायतें, 5000 शहरी स्थानीय इकाइयां इस योजना को गति दे रही हैं। श्री मोदी ने कहा कि पिछले वर्ष 18 विभिन्न पारम्परिक कौशल वाले 20 लाख से अधिक लोगों को पीएम विश्वकर्मा योजना से जोड़ा गया है। आधुनिक मशीनरी और डिजिटल उपकरणों की शुरूआत के साथ 8 लाख से अधिक कारीगरों और शिल्पकारों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया गया है और उनकी उपयोगिता बढ़ाई गई है। अकेले महाराष्ट्र में 60,000 से अधिक लोगों ने कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि उत्पादकता और उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करने के लिए 6 लाख से अधिक विश्वकर्माओं को आधुनिक उपकरण, 15,000 रुपये के ई-वाउचर और अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए बिना गारंटी के 3 लाख रुपये तक के ऋण प्रदान किए गए हैं।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पारंपरिक कौशल के प्रति अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदायों के योगदान को ध्यान में रखते हुए, पिछली सरकारों के दौरान उनके द्वारा की गई उपेक्षा पर दुख व्यक्त किया। श्री मोदी ने कहा कि यह वर्तमान सरकार ही है, जिसने पिछड़ा विरोधी मानसिकता की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। उन्होंने पिछले वर्ष के आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के लोग विश्वकर्मा योजना का सबसे अधित लाभ प्राप्त कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने विश्वकर्मा समुदाय के लोगों को न केवल कारीगर बने रहने, बल्कि उद्यमी और व्यवसाय के मालिक बनने की इच्छा व्यक्त करते हुए, विश्वकर्मा द्वारा किए गए कार्यों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का दर्जा देने का उल्लेख किया। उन्होंने एक जिला एक उत्पाद और एकता मॉल जैसे प्रयासों के बारे में बात की, जहां विश्वकर्माओं को बड़ी कंपनियों की आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनाने के लिए पारंपरिक उत्पादों का विपणन किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) और सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के बारे में बात की। यह कारीगरों और शिल्पकारों के लिए अपने व्यवसाय का विस्तार करने का माध्यम बन गए हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि जो सामाजिक वर्ग आर्थिक प्रगति में पिछड़ गया था, वह अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा, “कौशल भारत मिशन इसे और मजबूत कर रहा है।” श्री मोदी ने बताया कि कौशल विकास कार्यक्रम के अंतर्गत देश के करोड़ों युवाओं को वर्तमान में आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है। यह रेखांकित करते हुए कि कौशल भारत जैसे कार्यक्रमों के साथ भारत के कौशल को दुनिया भर में मान्यता मिल रही है, श्री मोदी ने गर्व के साथ बताया कि भारत ने इस वर्ष के शुरुआत में फ्रांस में आयोजित विश्व कौशल पर एक विशाल कार्यक्रम में कई पुरस्कार जीते हैं।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बल देकर कहा, “वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र में अपार औद्योगिक संभावनाओं वाला उद्योग है।” उन्होंने बताया कि विदर्भ का क्षेत्र उच्च गुणवत्ता वाले कपास के उत्पादन का एक बड़ा केंद्र रहा है, लेकिन बाद की सरकारों ने किसानों के नाम पर ओछी राजनीति और भ्रष्टाचार के कारण कपास किसानों को दुख के भंवर में धकेल दिया। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्ष 2014 में जब देवेन्द्र फडणवीस सरकार बनी तो समस्या को सुलझाने का काम तेजी से आगे बढ़ा। उन्होंने कहा कि अमरावती के नंदगांव खंडेश्वर में एक टेक्सटाइल पार्क बनाया गया, जहां कोई भी उद्योग निवेश करने के लिए तैयार नहीं था, लेकिन आज यह महाराष्ट्र के लिए एक बड़ा उद्योग केंद्र बनकर सफलतापूर्वक विकसित हो रहा है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पीएम मित्र पार्क पर किए जा रहे काम की गति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डबल इंजन सरकार की इच्छाशक्ति इस कार्य के रूप में प्रदर्शित हुई है। श्री मोदी ने कहा, “पूरे भारत में 7 मित्र पार्क स्थापित किए जाएंगे।” उन्होंने कहा कि इस परिकल्पना में फार्म से फाइबर, फाइबर से फैब्रिक, फैब्रिक से फैशन, फैशन से फॉरेन का एक पूरा चक्र शामिल है, जिसका अर्थ है कि विदर्भ के कपास से उच्च गुणवत्ता वाला कपड़ा बनाया जाएगा और फैशन के अनुसार कपड़े से सिले सिलाए वस्त्र तैयार किए जाएंगे, जिनका विदेशों में निर्यात किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि इससे किसानों को होने वाला घाटा रुकेगा और मूल्यवर्धन होने के कारण उन्हें अपनी फसलों के लिए अच्छे दाम मिल सकेंगे। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि अकेले पीएम मित्र पार्क से 8-10 हजार करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है, श्री मोदी ने कहा कि इससे विदर्भ और महाराष्ट्र में युवाओं के लिए एक लाख से अधिक नए रोजगार के अवसर पैदा करने के साथ-साथ अन्य उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि नई आपूर्ति श्रृंखलाएं बनाई जाएंगी जिससे देश के निर्यात में सहायता मिलेगी जिससे आय में वृद्धि होगी। श्री मोदी ने इस बात पर भी बल दिया कि महाराष्ट्र इस औद्योगिक प्रगति के लिए आवश्यक आधुनिक बुनियादी ढांचे और संपर्क के लिए तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें नए राजमार्ग, एक्सप्रेसवे, समृद्धि महामार्ग के साथ-साथ जल और वायु संपर्क का विस्तार भी शामिल है। श्री मोदी ने कहा, “महाराष्ट्र एक नई औद्योगिक क्रांति के लिए तैयार हो गया है।”
महाराष्ट्र के बहुआयामी विकास में राज्य के किसानों की भूमिका स्वीकार करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र की समृद्धि किसानों की खुशी से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन वाली सरकार किसानों की समृद्धि बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री मोदी ने पीएम-किसान सम्मान निधि योजना के तहत उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों को रेखांकित किया, जिनके तहत केंद्र सरकार किसानों को सालाना 6,000 रुपये प्रदान करती है और महाराष्ट्र सरकार भी उतनी ही राशि जोड़ती है, जिससे किसानों की आय में सालाना 12,000 रुपये की वृद्धि होती है। प्रधानमंत्री ने सिर्फ 1 रुपये में फसल बीमा प्रदान करने और किसानों के लिए बिजली बिल माफ करने की पहल के बारे में भी बताया। क्षेत्र की सिंचाई संबंधी चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इंगित किया कि राज्य में वर्तमान सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान शुरू किए गए प्रयासों को उसके बाद के प्रशासन द्वारा विलंबित किया गया था। प्रधानमंत्री ने बताया कि आज, वर्तमान राज्य सरकार ने इन परियोजनाओं को पुनर्जीवित किया है और गति प्रदान की है। उन्होंने हाल ही में स्वीकृत 85,000 करोड़ रुपये की वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ो परियोजना का उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य नागपुर, वर्धा, अमरावती, यवतमाल, अकोला और बुलढाणा जिलों में 10 लाख एकड़ भूमि को सिंचाई की सुविधा प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी सरकार महाराष्ट्र में किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है”। उन्होंने प्याज पर निर्यात कर को 40 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत करने का उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में प्याज किसानों को तत्काल राहत प्रदान करना है। श्री मोदी ने घरेलू किसानों को आयातित खाद्य तेलों के प्रभाव से बचाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी चर्चा की और कहा, “हमने खाद्य तेलों के आयात पर 20 प्रतिशत कर लगाया है और परिष्कृत सोयाबीन, सूरजमुखी और पाम तेल पर सीमा शुल्क 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत कर दिया है,” उन्होंने कहा कि इस कदम से विशेष रूप से महाराष्ट्र भर में सोयाबीन किसानों को लाभ होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये प्रयास जल्द ही कृषि क्षेत्र के लिए सकारात्मक परिणाम देंगे। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने झूठे वादों में न आने की चेतावनी दी और तेलंगाना के किसानों का जिक्र किया जो आज भी कर्जमाफी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के किसानों से सतर्क रहने और भ्रामक वादों से गुमराह होने से बचने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने समाज में विभाजन पैदा करने वाली ताकतों और विदेशी धरती पर भारतीय परंपराओं एवं संस्कृति का अपमान करने वालों के खिलाफ भी आगाह किया। उन्होंने याद दिलाया कि लोकमान्य तिलक के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गणेश उत्सव भारत में एकता का त्योहार बन गया था, जिसमें हर समाज और वर्ग के लोग उत्सव मनाने के लिए एक साथ आए थे। उन्होंने नागरिकों से परंपरा एवं प्रगति तथा सम्मान और विकास के एजेंडे के साथ खड़े होने का आग्रह किया। श्री मोदी ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, “हम सब मिलकर महाराष्ट्र की पहचान की रक्षा करेंगे और इसके गौरव को बढ़ाएंगे। हम महाराष्ट्र के सपनों को साकार करेंगे।”
इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, केंद्रीय मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी, केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री जयंत चौधरी तथा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार तथा अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।