यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल वार्षिक बैठक : उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत और अमेरिका सहयोग पर बल दिया

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नई दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका  महत्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भर बनने, आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने और अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।  उन्होंने आज नई दिल्ली में यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) की 49वीं वार्षिक आम बैठक में मुख्य भाषण देते हुए यह बात कही।

न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 के हमले की वर्षगांठ पर पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि यह हमला दुनिया को आतंकवाद से उत्पन्न खतरों की याद दिलाता है। मंत्री महोदय ने बताया कि भारत दशकों से अपनी सीमाओं के पार से बढ़ावा मिलने वाले आतंकवाद से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि 9/11 हमले, विभाजनकारी प्रवृत्तियों, भड़काऊ और झूठे प्रचार जैसे कार्यों की निंदा की जानी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि 9/11 हमले ने संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों के जबरदस्त धैर्य को दिखाया और समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के बीच एकजुटता की आवश्यकता को प्रदर्शित किया। श्री गोयल ने इस तरह के कायरतापूर्ण आतंकवादी कृत्य आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक गठजोड़ के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका को एक बेहतर दुनिया के लिए अपने संबंधों को मजबूत करना चाहिए और पुनः प्रतिबद्ध होना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ‘रिफार्म-परफार्म-ट्रांसफार्म’ के सिद्धांत पर काम करती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार में सुधार देश को प्रदर्शन करने और देशवासियों के जीवन को बदलने में मदद करेंगे। भारत में सुधारों के बारे में जानकारी के प्रसार के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों से भारत के साथ काम करने के अपने अनुभव को दुनिया तक पहुंचाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका द्विपक्षीय एवं भू-राजनीतिक मुद्दों में साझा हितों के साथ सबसे रणनीतिक और परिणामी संबंधों में से एक साझा करते हैं।

श्री गोयल ने 1893 में आज ही के दिन शिकागो में दिए गए स्वामी विवेकानंद के भाषण का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रतिष्ठित भाषण एआई और महत्वपूर्ण तकनीकों के युग में साझेदारी एवं समृद्धि के यूएसआईबीसी शिखर सम्मेलन के विषय से गहराई से मेल खाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों के बीच साझेदारी और समृद्धि इस दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने में सक्षम बनाएगी और आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद के सार्वभौमिक सहनशीलता, राष्ट्रों के बीच सामंजस्य और एक-दूसरे की संस्कृति एवं इतिहास का सम्मान करने के महत्व पर उनकी शिक्षाओं को जारी रखेगी।

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