जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने थल सेना प्रमुख का पदभार संभाला

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नई दिल्ली :  जनरल उपेंद्र द्विवेदी, पीवीएसएम, एवीएसएम ने जनरल मनोज पांडे, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एडीसी से 30वें थल सेना प्रमुख (सीओएएस) के रूप में पदभार ग्रहण किया, जो आज (30 जून 2024) राष्ट्र की चार दशकों से अधिक सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुए।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी एक निपुण सैन्य नेता हैं, जिन्होंने सशस्त्र बलों में 40 वर्षों की सेवा की है। जनरल द्विवेदी सैनिक स्कूल, रीवा (मध्य प्रदेश) के पूर्व छात्र रहे हैं। उन्हें 1984 में जम्मू और कश्मीर राइफल्स की रेजिमेंट में कमीशन दिया गया था। जनरल द्विवेदी के पास विभिन्न परिचालन वातावरण में उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी थिएटरों में संतुलित कमान के साथ-साथ स्टाफ एक्सपोजर का एक अनूठा अनुभव है।

उन्होंने ऐसे समय में थल सेना प्रमुख का पदभार संभाला है, जब वैश्विक भू-रणनीतिक माहौल गतिशील बना हुआ है, तकनीकी प्रगति और आधुनिक युद्ध के लगातार बदलते स्वरूप के कारण सुरक्षा क्षेत्र में चुनौतियाँ और भी स्पष्ट होती जा रही हैं। इसलिए एक उभरते राष्ट्र के लिए सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने हेतु परिचालन संबंधी तैयारियाँ, थल सेना प्रमुख के लिए एक प्रमुख फोकस क्षेत्र के रूप में प्रमुखता से उभरेंगी। साथ ही, बेशुमार गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिए एक केंद्रित प्रतिक्रिया रणनीति भी राष्ट्र की रक्षा को बढ़ाने की दिशा में प्राथमिकता होगी। जनरल द्विवेदी अपने साथ अनुभव का खजाना और अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए प्रभावी ढंग से योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने का सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड लेकर आए हैं। उन्होंने महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है और राष्ट्रीय सुरक्षा कैनवास में ग्रे ज़ोन अभिव्यक्तियों का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जनरल ऑफिसर को सुरक्षा क्षेत्र में आधुनिक और उभरती हुई तकनीकों की गहरी समझ है, और परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए सैन्य प्रणालियों में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग और एकीकरण करने का एक विचारशील दृष्टिकोण रखते हैं। यह दृष्टिकोण भारतीय सेना द्वारा आत्मनिर्भरता के माध्यम से अपने आधुनिकीकरण और क्षमता विकास की जरूरतों को पूरा करने के चल रहे प्रयास के अनुरूप है। उनका उद्देश्य देश की जीवंत, सक्षम और उत्पादक प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाकर महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के प्रसार को बढ़ाना होगा।

चेटवुड आदर्श वाक्य के दृढ़ विश्वासी और अनुयायी, जनरल विश्वास की संस्कृति को बढ़ावा देने, जूनियर अधिकारियों के सशक्तीकरण, सैनिकों की भलाई और दिग्गजों और वीर नारियों के कल्याण पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे।

जनरल मनोज पांडे थल सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए

जनरल मनोज पांडे चार दशक से अधिक की अवधि की विशिष्ट सेवाएं देने के बाद आज थल सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए। उनका कार्यकाल उच्च स्तर पर युद्ध की तैयारी, परिवर्तन की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के अतिरिक्त आत्मनिर्भरता पहलों के प्रति उनके दृढ़ प्रयासों के लिए याद रखा जाएगा।

थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) रहते हुए जनरल मनोज पांडे ने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सैन्य परिचालन तैयारियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उन्होंने मुख्यतः जम्मू और कश्मीर, पूर्वी लद्दाख और उत्तर पूर्व में अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया और सभी रैंकों की परिचालन तैयारियों और मनोबल का ध्यान रखा। जनरल मनोज पांडे ने पांच अलग-अलग स्तंभों के तहत प्रौद्योगिकी अवशोषण पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारतीय सेना के समग्र परिवर्तन की पहल की। इन प्रौद्योगिकी पहलों के तहत महत्वपूर्ण प्रगति की गई, जो भारतीय सेना को एक आधुनिक, स्फूर्तिमान, अनुकूलक और प्रौद्योगिकी-सक्षम भविष्य के सैन्य-बल के रूप में मार्गदर्शन करती रहेगी।

आत्मनिर्भरता’ पहल के तहत स्वदेशी हथियारों और उपकरणों के अनुकूलन पर उनके प्रयासों ने भारतीय सेना के लिए चिरस्थायी निरंतरता का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने मानव संसाधन विकास पहलों को गति प्रदान की, जिसने सेवारत कर्मियों, उनके परिवारों और सेवानिवृत सैनिक समुदाय के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला। उनके सीओएएस के कार्यकाल में, उन्होंने द्विपक्षीय/बहुपक्षीय अभ्यास, सेमिनार और चर्चाओं को बढ़ावा दिया। उनके मार्गदर्शन में, दक्षिण एशिया और इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा चुनौतियों का व्यापक विश्लेषण करने के लिए चाणक्य रक्षा संवाद की स्थापना की गई। इसके अलावा, उन्होंने इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ्स कॉन्फ्रेंस (आईपीएसीसी) के संचालन और साझेदार देशों के साथ वार्षिक अभ्यास के स्तर और इसकी सीमाओं को बढ़ाने के माध्यम के द्वारा सैन्य कुटनीति पर विशेष बल दिया।

जनरल मनोज पांडे की चार दशक से अधिक की सैन्य यात्रा की शुरूआत राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से हुई। उन्हें दिसंबर 1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स ( दि बॉम्बे सैपर्स ) में कमीशन मिला। उन्होंने विभिन्न परिचालन स्थितियों में महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण कमांड और स्टाफ नियुक्तियाँ कीं। उनके उत्कृष्ट सेवाकाल के लिए उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया है।

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