नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद 24 घंटे के अंदर ही स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने आज शाम राजनीतिक दलों को मिलने वाले चुनावी बांड से संबंधित डिटेल जानकारी इलेक्शन कमीशन को सौंप दिया। इस संबंध में पहले बैंक ने 11 मार्च को याचिका दायर कर आगामी जून माह तक की मोहलत मांगी थी जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था। अदालत में सुनवाई के दौरान विभिन्न पक्षों के वकीलों ने चुनावी बांड के माध्यम से सर्वाधिक 5000 करोड़ रु से अधिक का चंदा भारतीय जनता पार्टी को मिलने का जबकि 1000 करोड़ रु आसपास का चंदा कांग्रेस पार्टी को मिलने का दावा किया था। साथ ही कॉरपोरेट सेक्टर से चंदा मिलने की पीछे नीतिगत और व्यावसायिक फायदा उठाने की आशंका भी जताई गई थी।
उल्लेखनीय है कि राजनीतिक दलों को चुनावी चंदा देने के नए प्रावधान के विरोध में कुछ संस्थाओं ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की थी और इसे रद्द करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने गत 15 फरवरी को इस पर लंबी सुनवाई के बाद चुनावी बांड को गैर कानूनी घोषित करते हुए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से अब तक इस बहाने हुई लेनदेन की सारी जानकारियां इलेक्शन कमीशन को सौंपने का निर्णय सुनाया था। लेकिन स्टेट बैंक ने और अधिक समय मांगने के लिए कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
स्टेट बैंक इसे डालने की कोशिश में था लेकिन सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने अतिरिक्त समय मांगने वाली याचिका को खारिज करते हुए 11 मार्च को अगले 24 घंटे के अंदर सारी जानकारियां इलेक्शन कमीशन को देने को कहा । अदालत ने बैंक से यह भी कहा था कि अगर उनके आदेश पर 12 मार्च शाम 5:00 बजे तक अमल नहीं किया गया तो उनके खिलाफ अदालत की अब मानना का मामला 15 मार्च को चलाया जाएगा।
आज स्टेट बैंक में कार्य अवधि समाप्त होने से पहले ही इलेक्शन कमीशन को चुनावी बांड से संबंधित साड़ी जानकारियां इलेक्शन कमीशन को सौंप दिया है। समझा जाता है कि इस डिटेल में उन सभी राजनीतिक दलों और कॉरपोरेट सेक्टर की कंपनियां के बीच चुनावी बांड को लेकर हुई लेनदेन का बुरा शामिल है। आगामी 15 मार्च तक इलेक्शन कमीशन से अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर देगा जिस देश का कोई भी आम नागरिक एक्सेस कर सकेगा।
संभावना इस बात की प्रबल है कि इस डाटा की आम होते ही इसको लेकर व्यक्त की जा रही आशंका के मध्य नजर मीडिया जगत इसकी जांच पर लाल भी शुरू कर देगा। ऐसे में सर्वाधिक चुनावी बांड बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी को किन कंपनियों की ओर से अधिक चुनावी चंदे दिए गए हैं इसका भी खुलासा हो जाएगा साथ ही लगभग 1000 करोड़ का चुनावी चंदा बनाने वाली देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कच्चा चिट्ठा भी देश के सामने खुल जाएगा।
चर्चा तो यहां तक है कि अलग-अलग राज्यों में जिन क्षेत्रीय दलों की सरकारें हैं उन्हें भी चुनावी बांड के माध्यम से व्यवसाईयों उद्योगपतियों सहित अन्य माध्यमों से चुनावी चंदे बड़े पैमाने पर मिले हैं। इनमें पश्चिम बंगाल में सत्ता में बैठी तृणमूल कांग्रेस, बिहार में कुछ समय के लिए सत्ता में रहे जनता दल और राष्ट्रीय जनता दल के साथ-साथ उड़ीसा में बीजू जनता दल तमिलनाडु में दम के तेलंगाना में टीआरएस और आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस जैसे दालों को भी मिले चंदे की जानकारी प्रकाशित हो जाएगी।
जाहिर है इससे देश में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा राजनीतिक भूचाल खड़ा होने की आशंका जताई जा रही है। दूसरी तरफ खबर यह भी है कि इस जानकारी को पब्लिश होने से रोकने के लिए देश के बड़े वकीलों के समूह ने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की मांग की है।