नई दिल्ली : इसरो ने आज यानी 2 सितम्बर 2023 को अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च कर भारतीय अन्तरिक्ष के इतिहास ही नहीं दुनिया के सामने भी अपना धाक जमा ली है . आदित्य एल1 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया . इस भारतीय मिशन को डीप स्पेस में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (EAS) भी ग्राउंड सपोर्ट दे रहा है . बताया गया है कि गहरे अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यान की सिग्नल काफी कमजोर हो जाती है इसलिए दूसरी अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों की मदद ली जा रही है . चंद्रयान-3 मिशन में भी इसरो को दूसरी एजेंसियों से ग्राउंड सपोर्ट मिला था.
आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण को देखने के लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे . इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि आदित्य एल1 को सूर्य के करीब पहुंचने में लगभग 4 महीने का समय लगेगा. आदित्य एल1 लगभग धरती से 15 लाख किलोमीटर दूरी तय करेगा.
आदित्य-एल1 की ग्राउंड सपोर्ट में यूरोपियन स्पेस एजेंसी सबसे प्रमुख एजेंसी है. ईएसए ने कहा कि वे इस मिशन की लॉचिंग से लेकर मिशन के एल-1 प्वाइंट पर पहुंचने तक सपोर्ट देंगे. साथ ही अगले दो साल तक वे आदित्य एल 1 को कमांड भेजने में भी मदद करेंगे.
इसरो वैज्ञानिकों का कहना है कि आदित्य-एल1 को सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (एल1) के आसपास एक विशेष कक्षा में स्थापित किया जाएगा. उपग्रह और पेलोड एक ही सापेक्ष स्थिति में सूर्य के चारों ओर घूमेंगे और बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देख सकेंगे गे. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का निरीक्षण करने में मदद मिलेगी.