सुभाष चौधरी /The Public World
गुरुग्राम : गुरुग्राम नगर निगम की अधिकारियों की लापरवाही के चलते साइबर सिटी की मुख्य सड़कें और गलियां अंधेरे में डूबने की कगार पर है. निगम क्षेत्र के सभी वार्डों एवं मुख्य सड़कों में स्ट्रीट लाइटस एवं हाई मास्क लाइटस इंस्टॉल करने व इसका मेंटेनेंस करने वाली भारत सरकार की कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ई ई एस एल ) ने निगम को आगामी 2 सितंबर से अपनी सेवा बंद करने का अंतिम नोटिस दे दिया है. कंपनी ने निगम से ₹19 करोड़ की बकाया राशि का भुगतान तत्काल करने की मांग की है. आशंका प्रबल है कि अगर समय रहते भुगतान नहीं किया गया तो नगर निगम की ओर से एग्रीमेंट के उल्लंघन का खामियाजा शहर के लोगों को त्योहारी सीजन में भुगतना पड़ सकता है.
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन आने वाली पीएसयू एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ई ई एस एल ) गुरुग्राम शहर में स्ट्रीट लाइट्स का संचालन व रख – रखाव का काम करती है.तत्कालीन एमसीजी कमिश्नर वी उमाशंकर के कार्यकाल के दौरान ही केंद्र सरकार की इस कंपनी का गुरुग्राम नगर निगम के साथ एक समझौता हुआ था. इसके तहत निगम के सभी वार्डों एवं मुख्य सड़कों पर स्ट्रीट लाइटस और हाई मास्क लाइटें इंस्टॉल करने तथा इसकी मेंटेनेंस करने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई थी. कंपनी की ओर से शहर की गलियों और मुख्य सड़कों पर निगम के आर्डर के आधार पर 18 वाट, 24 वाट, 35 वाट, 45 वाट, 90 वाट, 110 वाट और 190 वाट की स्ट्रीट लाइटें इंस्टॉल की गई.
बताया जाता है कि इस काम के लिए एग्रीमेंट के अनुसार ई ई एस एल को नगर निगम की ओर से एडवांस पेमेंट देने की शर्त रखी गई थी. वर्ष 2021 तक निगम की ओर से स्ट्रीट लाइटें लगाने और इसकी मेंटेनेंस करने के मामले में लगभग 36 करोड़ का भुगतान किया गया था. सूत्रों का कहना है कि 2021 के बाद इस मद में निगम की ओर से कोई भुगतान नहीं किया गया बावजूद इसके कि ई ई एस एल की ओर से निगम के आर्डर के आधार पर अलग-अलग क्षमता की अब तक कुल 85000 स्ट्रीट लाइटें इंस्टॉल की गई है.
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सूत्रों का कहना है कि ई ई एस एल का नगर निगम गुरुग्राम पर 19 करोड़ रुपए का बकाया है. पिछले 3 वर्षों में कंपनी की ओर से निगम को बारंबार भुगतान करने के लिए कहा गया लेकिन स्थिति पूर्ववत बनी रही. इतनी बड़ी राशि लंबित होने के बाद भी भारत सरकार की यह कंपनी अपनी सेवा देती रही. मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग के मुताबिक नगर निगम को सारा भुगतान कार्य पूर्ण होने से पहले ही करना था लेकिन(ई ई एस एल ने भुगतान प्राप्त नहीं होने के बावजूद लगभग 85000 स्ट्रीट लाइट्स शहर में लगाई तथा उससे सम्बंधित आधारभूत ढाँचे का काम भी किया. उनके संचालन के लिए सी सी ऍम एस पैनल भी लगाए I मगर अभी तक बकाया 19 करोड़ रुपए का भुगतान प्राप्त नहीं होने के कारण मजबूरन कंपनी ने नगर निगम को अंतिम नोटिस दे दिया है. कंपनी ने कहा है कि अगर समय रहते लंबित भुगतान नहीं किया गया तो वह 2 सितम्बर 2023 से अपना काम पूरी तरह बंद कर देगी I यदि ऐसा हुआ तो आमजन को शहर में अँधेरे की विकट समस्या से जूझना पड़ेगा जिसके लिए नगर निगम के अधिकारी ही उत्तरदायी होंगे I
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की इस कंपनी ने निगम को इससे पहले भी दो बार नोटिस दिया था लेकिन आउटस्टैंडिंग अमाउंट का भुगतान नहीं किया गया. यह सुविधा मुहैया कराने के लिए हुए एग्रीमेंट के बाद अब तक गुरुग्राम नगर निगम के कई कमिश्नर बदल गए लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. अब हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि भारत सरकार की इस कंपनी को हरियाणा सरकार के सबसे अमीर नगर निगम को अपनी सेवा देने से मना करना पड़ा है.
निगम के एक अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ईईएसएल की ओर से अंतिम नोटिस / अल्टीमेटम मिलने के बाद लगभग ₹10 करोड़ रुपए का भुगतान करने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है. अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो जल्दी ही कंपनी के खाते में यह भुगतान करा दिया जाएगा. बड़ा सवाल यह है कि गुरुग्राम नगर निगम के पुराने 35 वार्डों में लगाई गई हजारों स्ट्रीट लाइटें उससे संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर की मेंटेनेंस की वैकल्पिक व्यवस्था अभी तक नगर निगम की ओर से नहीं की गई है. आशंका जताई जा रही है कि कंपनी के अल्टीमेटम की तारीख 2 सितंबर तक अगर यह भुगतान नहीं हो पाया तो संबंधित एजेंसी अपना काम करना बंद कर देगी. नतीजतन शहर की गलियां और सड़कें अंधेरे में डूबी रहेंगी और लोग असुरक्षित महसूस करेंगे.
निगम के अधिकतर पूर्व पार्षदों का कहना है कि पिछले 6 माह से भी अधिक समय से यह शहर सीवर जाम और भीषण जलजमाव जैसी समस्या से कराह रहा है और अब गलियां व सड़कों पर भी अंधेरे का राज कायम हो जाएगा. क्योंकि अभी से ही संबंधित एजेंसी ने पूर्व पार्षदों एवं आरडब्लूए के प्रतिनिधियों को स्ट्रीट लाइट की शिकायतों के निवारण की दृष्टि से नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है. निवर्तमान पार्षदों का कहना है कि शहर की जनता की आवश्यकताओं के प्रति अधिकारियों की लापरवाही का यह नतीजा है. एक तरफ गुरुग्राम को अंतर्राष्ट्रीय शहर का तगमा दिया जाता है तो दूसरी तरफ आवश्यक आवश्यकता बन गई स्ट्रीट लाइट्स के मामले पर निगम के अधिकारियों की निष्क्रियता गंभीर खामियों की ओर इशारा कर रही है .
स्ट्रीट लाइट्स लगवाने को लेकर निगम के सदन का कार्यकाल पूरा होने से पहले हुई सदन की कई बैठकों में पार्षदों ने जबरदस्त हंगामा भी किया था. मेयर और निगम आयुक्त के बीच इसको लेकर नोंकझोंक भी देखने को मिली थी . हर बार तत्कालीन निगम आयुक्त मुकेश कुमार आहूजा सदन में मेयर और पार्षदों को आश्वस्त करते थे लेकिन मामला जस का तस बना रहता था. अब सम्बंधित कंपनी का भुगतान लंबित होने का खुलासा होने से इसमें होने वाली देरी के कारण का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.
दूसरी तरफ चर्चा यह भी है कि गुरुग्राम नगर निगम का चुनाव इसी वर्षा संभावित है. इसके लिए नई वार्ड बंदी की गई है जिसमें वार्न की संख्या अब बढ़ाकर 36 कर दी गई है. पिछले 5 से 6 वर्षों के दौरान शहर का विस्तार भी हुआ है जबकि नियमित होने वाली अवैध कालोनियों की संख्या भी बढ़ी है. इस लिहाज से आवासीय कालोनियों की गलियों को भी विस्तार मिला है. शहर का क्षेत्रफल भी बढ़ा है. ऐसे में स्ट्रीट लाइटों की आवश्यकता भी अपेक्षाकृत काफी बढ़ गई है. आने वाले समय में ईईएसएल और निगम के बीच हुए पुराने करार को भी रिवाइज करने की मांग उठने वाली है. अगले 1 सप्ताह में इन सभी सवालों पर नगर निगम प्रशासन का क्या रुख रहता है इस पर पूर्व पार्षद और शहर के लोगों की नजरें टिकी हुई हैं .