कांग्रेस नेता ने बताया : गुरुग्राम नगर निगम के चुनाव को क्यों टाल रही है भाजपा सरकार !

Font Size

-राजेश यादव बादशाहपुर ने प्रदेश सरकार पर दागे कई सवाल 

-क्या सरकार को भ्रष्टाचार के खुलासे व निगम चुनाव में हार का डर सता रही है  ?

-वार्डबंदी के तौर तरीके को भी नगर निगम एक्ट के विरुद्ध बताया 

-जनसँख्या के लिए कराये गए डोर टू डोर सर्वे को भी बेमानी करार दिया 

–  निगम चुनाव की प्रक्रिया के लिए परिवार पहचान पत्र को आधार बनाने का किया विरोध 

सुभाष चौधरी /The Public World

गुरुग्राम : कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रवक्ता राजेश यादव बादशाहपुर ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर गुरुग्राम नगर निगम के चुनाव को जानबूझ कर टालने का आरोप लगाया. उन्होंने आज यहाँ आयोजित एक प्रेस वार्ता में आशंका व्यक्त की कि भाजपा नेतृत्व  भ्रष्टाचार के खुलासे और निगम चुनाव में हार के भय से चुनाव करवाने से कतरा रही है. नगर निगम एक्ट का हवाला देते हुए उन्होंने वार्डबंदी के तौर तरीके पर भी गंभीर सवाल खड़े किये. साथ ही सरकार व राज्य चुनाव आयोग से चुनावी प्रक्रिया नियमानुसार शुरू करवाने की मांग की . उन्होंने चुनाव में देरी बरते जाने पर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की भी बात की .

राजेश यादव ने पत्रकारों को बताया कि गत 3 नवंबर 2022 को ही नगर निगम गुरुग्राम का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 की धारा-6 के अनुसार निगम सदन का कार्यकाल समाप्त होने से 6 माह पहले ही वार्डबंदी की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए लेकिन आज 6 महीने बीत जाने के बाद भी वार्डबंदी शुरू नहीं हुई । उन्होंने तर्क दिया कि इसी एक्ट के अनुसार यदि निगम में कोई नया क्षेत्र जोड़ा या घटाया जाता है तो वार्डबंदी नए सिरे से करनी होगी. इसके लिए निगम क्षेत्र की जनसंख्या का डोर टू डोर सर्वे किया जाना भी जरूरी है । उन्हीं आंकड़ों के आधार पर वार्डों का निर्धारण होना चाहिए . एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा कि सर्वे में निर्धारित जनसंख्या के आंकड़ों के अनुपात में अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग के लिए वार्ड आरक्षित किए जाने का प्रावधान है ।

उन्होंने खुलासा किया कि भाजपा सरकार ने निगम चुनावों की वार्डबंदी के लिए जनसंख्या आकलन के लिए डोर टू डोर सर्वे करवाया व इसके लिए सर्वे करने वाली कंपनी को करोड़ों रुपयों का भुगतान भी किया. लेकिन अब उस सर्वे के आंकड़ों को छिपाया जा रहा है. राजेश ने यह कहते हुए प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किये कि यदि सरकार मानती है कि ये सर्वे सही हैं तो फिर सरकार उन्हीं आंकड़ों के आधार पर वार्डबंदी क्यों नहीं करा रही ?  यदि सरकार इन आंकड़ों को गलत मानती है तो फिर गलत सर्वे करने वाली एजेंसी के विरुद्व कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है ? उन्होंने सरकार से सवाल किया कि उस एजेंसी को किए गए भुगतान की रिकवरी क्यों नहीं की जा रही है ।

पत्रकारों के सवाल पर उनका कहना था कि बिना कानून में संशोधन किए ही मुख्यमंत्री ने परिवार पहचान पत्र के आधार पर निगम की वार्डबंदी करवाने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया. इसे म्यूनिसिपल एक्ट के प्रावधान  का खुला उल्लंघन करार देते हुए राजेश यादव ने कहा कि निगम क्षेत्र के सभी लोगों के परिवार पहचान पत्र नहीं बने हैं. उनका सरकार से सवाल था कि आखिर इस आधार पर निगमक्षेत्र की जनसंख्या का सटीक आंकड़ा कैसे मिल सकता है ?

उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा अपनाए गए वार्डबंदी के लिए एडहोक कमिटी के गठन के तौर तरीके पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि म्यूनिसिपल एक्ट के अनुसार वार्डबंदी करने के लिए गठित की जाने वाली एडहाक कमेटी में पांच से ज्यादा सदस्य नहीं होने चाहिए . पहले सरकार ने 10 सदस्यीय कमिटी गठित की फिर उनका नोमिनेशन रद्द कर पांच सदस्य नियुक्त कर दिए । बावजूद इसके अबतक वार्डबंदी का कार्य पूरा नहीं हुआ। कांग्रेस नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा कि हो सकता है कि मुख्यमंत्री व स्थानीय शहरी निकाय मंत्री अज्ञानी हों लेकिन अफसरों को तो निगम एक्ट का ज्ञान है. फिर भी इस तरह के कार्य क्यों होने दे रहे हैं ? उन्होंने सवालिया लहजे में आरोप लगाया कि क्या सीएम अधिकारियों पर दबाव बनाकर अपने चहेतों को फायदा पहुचाने की नियत से ये कार्य करवा रहे है ?

राजेश ने वर्ष 2016 में भी भाजपा सरकार द्वारा निगम चुनाव को लेकर बरती गई लेटलतीफी की याद दिलाते हुए कहा कि तब भी भाजपा सरकार चुनावों से भाग रही थी. उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय  का दरवाजा खटखटाया . तब भी कोर्ट के आदेश पर सरकार निगम चुनाव कराने के लिए बाध्य हुई । उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल दागते हुए पूछा कि क्या सरकार चाहती है कि जनता चुनाव कराने के लिए फिर कोर्ट में गुहार लगाए ?

उनका कहना है कि शहर की जनता त्राहि त्राहि कर रही है. लोगों के मकान नहीं बनने दिए जा रहे हैं . लोग मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं. भाजपा नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं . जनता की कहीं कोई सुनवाई नहीं है .

उन्होंने दावा किया कि गुरुग्राम की जनता भाजपा से त्रस्त है.  नगर निगम चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों की अभूतपूर्व हार होनी तय है. इसलिए ही भाजपा सरकार व भाजपा नेता चुनाव से भाग रहे हैं । कायदे से अबतक नगरनिगम चुनाव हो जाने चाहिए लेकिन सरकार निगम को जनप्रतिनिधि विहीन रखकर 2500 करोड़ रुपये के सालाना बजट वाले नगर निगम के अधिकारियों, ठेकेदारों, भाजपा नेताओं की मौज करा रही है ।

कांग्रेस नेता ने सरकार पर सफाई, विकासकार्यों के ठेकों को मनचाहे रेटों पर अपने चहेतों देने का भी आरोप लगाया । उन्होंने कहा कि सरकार नगरनिगम की बेशकीमती संपत्तियों को कोडि़यों के भाव अपने चहेतों को दे रही है और संपत्तिकर के नाम पर लोगों को लूटा जा रहा है । 85 प्रतिशत संपत्तिकर के बिल गलत हैं लेकिन जिस कंपनी को ठेका दिया उसपर कोई कार्रवाई  नहीं. उपर से उस कंपनी को करोड़ों का भुगतान किया गया ।

प्रेसवार्ता के माध्यम से उन्होंने भाजपा सरकार व हरियाणा के राज्य चुनाव आयुक्त से जनभावनाओं व जनहित का सम्मान करते हुए निगम एक्ट के नियमों के तहत जल्द से जल्द नगरनिगम का चुनाव कराने की मांग की . पत्रकार वार्ता में राजेश यादव के साथ एडवोकेट प्रवीन यादव, संजय यादव, हरीश यादव व मनोज भी मौजूद थे ।

 

 

You cannot copy content of this page