आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने में मदद करेगा : पीयूष गोयल

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नई दिल्ली : केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री  पीयूष गोयल ने आज कहा कि अगर भारत वास्तव में 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा रखता है, जैसाकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2022 को अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा था, तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता देश को उस गंतव्य तक पहुंचाने तथा देश के प्रत्येक नागरिक के लिए समृद्धि लाने में सहायता करेगी। वह वैश्विक कृत्रिम बुद्धिमत्ता सम्मेलन और पुरस्कार समारोह के तीसरे संस्करण को संबोधित कर रहे थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उद्धृत करते हुए कि “कोई भी समाज जो नवाचार नहीं करता है, उसका विकास रुक जाता है” श्री गोयल ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता सचमुच भारत की विकास यात्रा में सहायक के रूप में कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि एआई तकनीक के साथ ‘मेक इन इंडिया‘ पहल भारत को विश्व की फैक्ट्री बनने में सक्षम बनाएगी और विश्व को उपकरण तथा प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने में सहायता कराएगी। उन्होंने कहा कि देश में उपलब्ध विशाल प्रतिभा समूह निश्चित रूप से एआई को आर्थिक गतिविधि के प्रत्येक सेक्टर में ले जाने के लिए नए-नए तरीकों की खोज में सहायता करेगा। श्री गोयल ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की वर्षों से देश के वैज्ञानिक समुदाय के प्रयासों की सहायता करने और विशेष रूप कोविड के चुनौतीपूर्ण समय में उनके अद्भूत कार्य के लिए सराहना की।

श्री गोयल ने कहा कि सरकार एआई का उपयोग अपने काम करने के तरीके को फिर से परिभाषित करने के लिए कर रही है। उन्होंने यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूलिप) का उदाहरण प्रस्तुत किया जो देश के पूरे लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम में सुधार लाने के लिए एआई का लाभ उठा रही है। इसी प्रकार, पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, जिनका लक्ष्य हमारी अवसंरचना का विकास करना, ओएनडीसी जिसका लक्ष्य ई कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करना, जीईएम जिसने सरकारी खरीद के लिए उल्लेखनीय प्रभाव सृजित किया है, जैसी सारी पहलें दक्षता लाने तथा सेवाओं की बेहतर प्रदायगी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठा रही हैं।

एआई के उपयोग की विस्तार से चर्चा करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि सरकार की एक प्रमुख पहल ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना‘ 80 करोड़ लोगों को अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए कोविड महामारी के दौरान आरंभ की गई थी, यह योजना भी जरुरतमंदों की सहायता करने और लाभार्थियों की व्यवहार पद्धतियों को समझने तथा उचित मूल्य की दूकानों के निष्पादन के बारे में फीडबैक प्राप्त करने के लिए कई प्रकार से एआई का उपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि एआई इसका आकलन करने में मदद करती है कि कौन सी दूकानें प्रभावी तरीके से काम कर रही हैं तथा लाभार्थियों को अच्छी सेवाएं उपलब्ध करा रही हैं। श्री गोयल ने यह भी कहा कि एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (ओएनओआरसी) एआई का उपयोग करता है और हमारे प्रवासी कार्यबल की गतिशीलता पैटर्न का विश्लेषण करने में हमारी सहायता कर सकता है।

श्री गोयल ने टिप्पणी की कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्रांति यहां स्थायी रूप से रहेगी और कहा कि उद्योग, स्टार्टअप्स, इनक्यूबेटर्स तथा शिक्षा क्षेत्र के सार्थक योगदान के साथ, भारत विश्व भर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्रांति के हब के रूप में उभरेगा। उन्होंने युवाओं से अनुसंधान की भावना पैदा करने तथा हमारे दिन प्रतिदिन के जीवन में समृद्धि लाने के लिए एआई प्रौद्योगिकीयों का उपयोग करने के लिए विभिन्न तरीकों से सोचने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे इसकी खोज करने को कहा कि एआई किस प्रकार किसानों, मछुआरों के जीवन तथा एमएसएमई सेक्टर को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

तीसरे एआई सम्मेलन का आयोजन एआईसीआरए द्वारा किया गया है तथा सरकार की साझीदारी में रक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, स्मार्टसिटी, गतिशीलता तथा शिक्षा के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसका लक्ष्य एक रूपरेखा तैयार करना है कि किस प्रकार एआई इकोसिस्टम तथा स्टार्टअप्स का उपयोग समाज के लाभ के लिए किया जा सकता है। तीसरे वार्षिक सम्मेलन ने उस संवादहीनता को खत्म करने के लिए, जिनमें कई हितधारक कार्य करते रहे हैं और हमारे समाज के प्रमुख सेक्टरों के लिए प्रौद्योगिकीय समाधान खोजने के लिए बहुविषयक समूह गठित किए हैं।

 

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